पिछले 4 बजट में महिलाओं को वैसे तो सामाजिक सुरक्षा से संबंधित कई योजनाओं का तोहफा दिया गया लेकिन प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने सही मायनों में महिलाओं को स्वरोजगार पाने की दिशा में सशक्त किया है. कामकाजी हो या घरेलू महिलाएं सभी के लिए कम ब्याज दर पर बिना गारंटी पर कर्ज मिले उन्हें कारोबार खड़ा करने और उसे आगे बढ़ाने में मदद की है.
मोदी सरकार और महिला सशक्तिकरण
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना छोटे उद्योगों के लिए छोटी रकम मुहया तो कराती ही है साथ ही इस योजना में महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा का एक नया बाना भी पहनाया है जहां एक और कामकाजी महिलाएं मुद्रा योजना से नए उद्यम शुरू कर पा रही हैं तो वहीं घरेलू महिलाएं घरेलू उद्योगों को एक नई शक्ल देने में कामयाब रही है.
सरकार ने इस योजना के तहत लाभार्थी महिलाओं को विशेष छूट दी है जहां एक और महिलाएं अन्य लाभार्थियों की तर्ज पर बिना गारंटी के कर्ज ले पाएंगी उन्हें ब्याज दर पर 0.5% की विशेष व्याधि दी गई है इस योजना के तहत बैंक 11.50 फ़ीसदी से लेकर 19.50 फ़ीसदी की ब्याज दर पर कर्ज देते हैं हालांकि महिलाओं को ब्याज दर में कुछ रियायत दी जाती है कम ब्याज दर और बिना गारंटी की कर्ज की सुविधा की वजह से प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत हर 4 लाभार्थियों में से 3 महिलाएं हैं.
महिला सशक्तिकरण के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का कर्ज़ फिल्म चरणों में बांटा गया है शिशु किशोर और तरुण जहां शिशु श्रेणी में ₹50000 तक आ कर दिया जाता है तो वहीं किशोर श्रेणी में 50000 से ₹500000 तक आ कर दिया जाता है साथ ही तरुण श्रेणी में कर्ज आवंटन का आंकड़ा 500000 से ₹1000000 तक का रह सकता है. इस योजना की दो मुख्य उद्देश्य हैं पहला स्वरोजगार के लिए आसानी से कर्ज़ देना और दूसरा नए उद्यमों से रोजगार के नए अवसर देना. प्रधानमंत्री योजना का पूरा नाम माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट रिफाइनेंस एजेंसी है.
आंकड़ों की मानें तो 23 मार्च 2018 तक मुद्रा योजना के तहत 2,28,144 करोड रुपए की कर्ज मंजूर किए जा चुके हैं सरकार ने मुद्रा योजना के तहत पिछले साल 30 मार्च तक 2,20,596 करोड रुपए की कर्ज लाभार्थियों को दिए हैं.
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से पहले छोटे उद्यमों को बैंकों से कर्ज लेते वक्त मुश्किल कागजी कार्रवाई का सामना करना पड़ता था साथ ही कर्ज के लिए गारंटी देनी जरूरी होती थी इस वजह से छूटी उद्यमी कर्ज लेने से कतराते थे वही अब मुद्रा योजना के तहत बिना किसी प्रोसेसिंग शुल्क के कर्ज लिया जा सकता है साथ ही कर्ज चुकाने की अवधि को भी 5 साल तक बढ़ाए जा सकता है योजना में लाभार्थी को एक मुद्रा कार्ड भी दिया जाता है इस कार्ड से उद्यमियों को कारोबार में किए जाने वाले खर्च में भी सुविधा होती है यह सुविधा भले ही छोटे और लघु उद्योगों के लिए बनाई गई है लेकिन इसे जितना लाभ महिलाओं को हुआ है वह उल्लेखनीय है.
स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए
एनडीए सरकार ने 2014 में जब से कमान संभाली उसकी प्राथमिकताओं में महिलाएं सबसे आगे थी. सरकार ने खासकर पिछड़े वर्ग की महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए खास ध्यान दिया और इसी में से एक योजना है स्टैंड अप इंडिया आइए जानते हैं कि योजना क्या है और कैसे इसलिए पिछले वर्ष की महिलाओं की सशक्तिकरण में सहायता की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया था और एनडीए सरकार ने इस दिशा में कई काम भी किए, सरकार के इस प्रयास का ही परिणाम था “स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम” जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अप्रैल 2016 को किया योजना खासतौर से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति महिला उद्यमियों के लिए है. स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम किसी भी महिला को नई परियोजना शुरू करने के लिए बैंक 10 लाख से एक करोड़ रुपए के बीच कर्ज़ प्रदान करते हैं. यह उद्दम विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र से संबंधित हो सकते हैं .अगर इस उद्यम में 1 से ज्यादा लोग शामिल है तो 51 फ़ीसदी या इससे ज्यादा की हिस्सेदारी अनुसूचित जाति या जनजाति की महिला की होनी चाहिए.
इस स्कीम के तहत लाभ उठाने के लिए एक लाख से ज्यादा बैंकों की शाखाओं और 17 हजार से ज्यादा सहायता केंद्रों की सहायता ली जा सकती हैं फिलहाल सरकारी पोर्टल से 103 बैंकों की 1,33,000 से ज्यादा शाखाओं से स्टैंड अप स्कीम का फायदा उठाया जा सकता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस योजना के तहत अब तक 68,930 आवेदन पत्र स्वीकार किए जा चुके हैं जिसके तहत 15,112 करोड़ की राशि स्वीकृत की जा चुकी है जबकि 53,782 महिलाओं को 8,275 करोड रुपए की राशि आवंटित की जा चुकी है.
मोदी सरकार की बजट में महिलाओ के लिया क्या है?
मोदी सरकार ने अपने बजटीय प्रावधानों में भी इस योजना का खास ख्याल रखा. 2016-17 की बजट में इस योजना के लिए 500 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया, इस साल ही सरकार को बड़ी सफलता प्राप्त हुई और पिछड़े वर्ग की महिलाओं ने 16 हजार से ज्यादा कारोबार खोले यह कारोबार अधिकतर फूड प्रोसेसिंग, गारमेंट इत्यादि क्षेत्रों में थे.
सरकार का सतत प्रयास रहा है कि महिलाओं से जुड़ी स्कीमों के लिए धन की कमी होने ना दी जाए इसीलिए 2018-19 के बजट में महिलाओं से जुड़ी स्कीमों के लिए धन में 4 फ़ीसदी का इजाफा किया गया और करीब 1,21,900 करोड़ से ज्यादा की राशि मुहैया कराई गई आने वाला बजट हालांकि अंतरिम बजट होगा लेकिन फिर भी उम्मीद की जा रही है कि सरकार की प्राथमिकताओं में महिलाओं का अग्रिम स्थान बना रहेगा.
महिला सशक्तिकरण के लिए उज्जवला और सौभाग्य योजना
इमहिलाओं के लिए भारत सरकार की योजनाएं के क्रम में उज्जवला और सौभाग्य जैसी योजनाओं की सौगात जनता को दी गई. उज्जवला योजना का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना है साथ ही महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा करना भी इसका मकसद है. सौभाग्य योजना ने ग्रामीण तबके का भाग्य ही बदल दिया है. य
भोजन सभी की आवश्यकता है और इसके लिए घरों में अलग-अलग तरह के चूल्हों का इस्तेमाल होता है और देश के कई घरों में रसोई गैस का चूल्हा एक सपना सरीखा था, महिलाएं खाना पकाने के लिए लकड़ी, कोयला, गोबर के उपयोग पर निर्भर रहती थी लेकिन इन दिनों को जलाने से निकलने वाला धुआं सेहत और पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक होता है महिलाओं बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालने के साथ ही यह धुआं साँस से जुड़ी बीमारियों का कारण बनता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार अशुद्ध इंधन से निकलने वाला धुआं 1 घंटे में 400 सिगरेट जलाने के बराबर है इसके अलावा महिलाओं और बच्चों को लकड़ी का जुगाड़ करने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है. देश में 24 करोड़ से अधिक है और इन सभी घरों में खाना बनाने के लिए अशुद्ध इंधन की जगह रसोई गैस का चूल्हा जल सके इसके लिए सरकार की कोशिशें लगातार जारी है.
मई 2016 में देश को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की सौगात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी. इस योजना के शुरुआती दौर में बीपीएल कार्ड धारक परिवारों को 3 वर्षों में प्रति कनेक्शन ₹600 की सहायता से 5 करोड़ एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए जाने का लक्ष्य रखा गया था किन्तु यह लक्ष्य समय सीमा खत्म होने के पहले ही प्राप्त कर लिया गया. योजना के तहत एलपीजी गैस कनेक्शन प्रत्येक घर की महिला सदस्य के नाम पर जारी किया जाता है. उज्जवला योजना के जरिए ग्रामीण परिवारों की महिलाओं का सशक्तीकरण सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया. योजना में बीपीएल परिवारों की पहचान सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना माध्यम से की जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के तहत 5,0000000 गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य समय से पहले ही प्राप्त कर दिया गया अभी हाल ही में 6 करोड़वा गैस कनेक्शन उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के हाथों प्रदान किया गया है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत लगभग एक लाख रोजगार सृजन हुआ और लगभग ₹10000 का व्यवसाय संपन्न हुआ. इस योजना के लॉन्च होने से भारत में मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा मिला क्योकिं सिलेंडर, गैस के चूल्हे और उससे जुड़े उपकरणों के निर्माता घरेलू है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के ज़रिये देश की ग्रामीण और गरीब तबके के महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव आया है यह योजना उनके जीवन में एक उजाला लेकर आई है जिसके जरिए महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के साथ ही अपने महत्व को भी पहचानने लगी है. उज्जवला योजना के साथ ही देश के हर घर को रोशन करने के लिए प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना यानी सौभाग्य योजना 25 दिसंबर 2017 से शुरू की गई.
सौभाग्य योजना के तहत देश के सभी गांवों और उसके बाद सभी घरों को मुफ्त बिजली कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया यानी गरीबों से बिजली कनेक्शन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. 16000 करोड रुपए की लागत से गरीबों तक बिजली पहुंचाई जाएगी, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम यानी आरईसी को सौभाग्य योजना के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है. सौभाग्य योजना के तहत विद्युतीकरण प्रक्रिया में तेजी लाने और निगरानी करने के लिए एक वेब पोर्टल www.saubhagya.gov.in भी शुरू की गई है.
योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना है. योजना के तहत 31 मार्च 2019 तक हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है हालांकि एसईसीसी डाटा के तहत कवर नहीं किए गए बिना विद्युतीकरण घरों को भी ₹500 के भुगतान पर योजना के तहत बिजली कनेक्शन प्रदान किया जाएगा. जहां बिजली पहुंचाना संभव नहीं होगा वह सोलर पैक के जरिए रोशनी की व्यवस्था की जाएगी. सौभाग्य योजना के तहत देश के सभी गांव तक बिजली पहुंचा दी गई है और अब हर घर तक बिजली पहुंचाने का काम जोरों पर है. प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना के जरिए ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल रही है स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं में सुधार के साथ ही गरीब तबके की महिलाओं के जीवन में भी बड़ा बदलाव आ रहा है साथ ही आर्थिक गतिविधियों और रोजगार के अवसर में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
स्वच्छ भारत मिशन महिला सशक्तिकरण के लिए
अगर 21वीं सदी में भी किसी देश की महिलाओं का खुले में शौच के लिए जाना पड़े तो यह देश के लिए शर्मनाक की बात होगी. भारत को इसी शर्म से आजाद कराने में सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन का बहुत बड़ा योगदान रहा है न सिर्फ इस योजना के कारण देश में स्वच्छता की क्रांति आई बल्कि शौचालयों के निर्माण में महिलाओं को खुले में शौच करने से आजाद किया है.
भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत हो रहे शौचालय निर्माण में बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं को खुले में शौच से मुक्ति दिलाई है जिससे खासकर ग्रामीण महिला स्वास्थ्य को लेकर स्थिति में काफी सुधार हुआ है. सरकारी आंकड़ों की अगर माने तो अक्टूबर 2014 में 55 करोड़ ग्रामीण आबादी खुले में शौच के लिए मजबूर थी वही स्वच्छ भारत मिशन के चलते यह आंकड़ा जनवरी 2018 में कम होकर 25 करोड़ तक आ गया है. हर साल औसतन 100000 बच्चे खुले में शौच करने के कारण फेली बीमारियों के कारण जान से हाथ धोते हैं. वही महिलाएं भी शौचालय की कमी के चलते ही दूषित स्वास्थ्य से जूझती हैं. सरकार में इस समस्या को दूर करने के लिए साल 2019 में 10 करोड़ शौचालय बनाने का लक्ष्य तय किया है. ग्रामीण इलाकों में यह पाया गया है कि खुले में शौच से मुक्त हो चुके गांव की महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स दूसरे गांव की महिलाओं की तुलना में बेहतर है.
वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक शौचालयों की कमी के कारण भारत को हर साल जीडीपी के 6 फ़ीसदी का नुकसान होता है साथ ही सरकारी विद्यालयों में छात्राओं का प्राथमिक शिक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देने की बड़ी वजह स्कूल में शौचालय की गैरमौजूदगी ही है. सरकार के स्वच्छता अभियान का आलम यह है कि आज देश के 98.73 फ़ीसदी घरों में शौचालय बन गए हैं. 27 प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों में हर घर में शौचालय है. देश के 5,45,000 गांव खुले में शौच की आदत से मुक्ति पा चुके हैं, महिला स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता और भी जरूरी है सिर्फ सामाजिक रूप से ही नहीं बल्कि यह कहना तो डॉक्टरों का भी है.
अधिक जानकारी इस विषय पर चाहियें तो कमेंट करें आपके कमेंट के बाद इस पोस्ट में मोदी सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण से संबंधित और ज्यदा जानकारी जोड़ी जाएगी|
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