वर्ष 2018 के मानसून सत्र के बाद अब संसद का शीतकालीन सत्र 2018-19 खत्म हो गया है शीतकालीन सत्र 2018-19 कामकाज के लिहाज से उतना बेहतर नहीं रहा है राज्यसभा में तो स्थिति तो और भी खराब रही| कावेरी नदी पर बांध जैसे मुद्दों अवरोध की वजह से राज्यसभा में पूरे सत्र के दौरान सिर्फ़ 27 घंटे ही कामकाज हुआ जबकि 78 घंटे अवरोध में चले गए| अवरोध की वजह से शीतकालीन सत्र 2018-19 लोकसभा से 43 और राज्यसभा से 27 फ़ीसदी कामकाजी हो सका है|
संसद का शीतकालीन सत्र 2018-19 की सम्पूर्ण जानकरी
शीतकालीन सत्र 2018-19 की शुरुआत 11 दिसंबर को हुई थी| 16वीं लोकसभा का यह 16वां सत्र था जो 11 दिसंबर से शुरू होकर 8 जनवरी तक चला, वहीं राज्यसभा के लिए 247 मात्र था जो 11 दिसंबर से शुरू होकर 9 जनवरी तक चला| राज्यसभा में कामकाज की बात करें तो इस सत्र में सदन का ज्यादातर समय अवरोधो की भेंट चढ़ गया|
- राज्यसभा में 247 में सत्र में कुल 18 बैठकें हुई|
- इस दौरान कुल 27 घंटे कामकाज हुए जबकि 78 घंटे अवरोध में चले गए|
- लगातार विरोध के चलते इस सत्र में लोक महत्व की जरूरी विषयों पर चर्चा नहीं हो पाई|
- 285 तारांकित सवालों में से सिर्फ 31 का मौखिक जवाब दिया जा सका|
- 13 दिनों तक प्रश्नकाल नहीं चल पाया,पूरे सत्र के दौरान कोई निजी सदस्यों का विधायक ना तो प्रस्तुत किया जा सका ना ही इस पर चर्चा हो पाए लेकिन दो निजी सदस्यों के संकल्प पर जरूरी चर्चा हुई|
उपसभापति ने कहा कि उच्च सदन में 247वे सत्र के दौरान केवल 4 सरकारी विधेयक पारित हुए और पांच सरकारी विधेयक पेश किए गए हालांकि सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में ऐतिहासिक 124 वां संविधान संशोधन विधेयक पारित किया| इस पर 8 घंटे से अधिक चली चर्चा में 39 सांसदों ने भाग लिया| अपरिहार्य कारणों से सभापति की गैरमौजूदगी के नाते उपसभापति हरिवंश ने सत्र के समापन भाषण के दौरान अवरोधों को लेकर गहरी चिंता जताई|
राज्य सभा में इस सत्र के दौरान भी संसदीय समितियों ने शानदार काम किया|
- सत्र के दौरान संसदीय समितियों की 153 रिपोर्ट है और इससे संबंधित बयान सभा पटल पर रखे गए| सत्र के दौरान कुल 3040 और तारांकित सवालों की अनुमति मिली और उनके जवाब दिए गए इस सत्र की यह उल्लेखनीय बात रही कि 56 सदस्यों ने हाल में लॉन्च इन नोटिस पोर्टल का बेहतर उपयोग किया|
सत्र के दौरान 2688 नोट सचिवालय को प्राप्त हुए, इसमें 2460 प्रश्नों से संबंधित है|पूरे सत्र के दौरान सभापति एम वेंकैया नायडू ने कई बार अब रोड पर नाराजगी जताई उन्होंने सदस्यों से सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिए सदस्यों से बार-बार सहयोग की अपील की| सभापति ने कहा किया विरोध से सदन की गरिमा को नुकसान पहुंचा है और देशवासियों के बीच गलत संदेश जाता है|
- शीतकालीन सत्र 2018-19 में लोकसभा की बात करें तो सोलवीं लोक सभा के 16वें सत्र में कुल 17 बैठक हुई|
- इस दौरान सदन की कार्यवाही 46 घंटे से ज्यादा चली|
- लोकसभा में 12 सरकारी विधेयक पेश किए गए|
- 14 विधेयक लोकसभा से पारित हुए, इस सत्र के दौरान लोकसभा में सूचीबद्ध विधायकों में 82.35% विधेयक पारित किए गए|
- सत्र के दौरान चार सौ तारांकित और 4608 अतारांकित प्रश्न सूचीबद्ध थे|
- सदन में स्थाई समितियों ने 42 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए|
- लोकसभा में राफेल सौदे के मुद्दे पर नियम 193 के तहत 8 घंटे 21 मिनट की चर्चा हुई और इसपर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया|
- गैर सरकारी सदस्यों के 81 विधेयक पेश किए गए|
शीतकालीन सत्र 2018-19 की समाप्ति के बाद संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को दोनों सदनों में हुए कामकाज का विवरण दिया उन्होंने बताया कि अवरोध की वजह से शीतकालीन सत्र 2018-19 में राज्यसभा का 73% और लोकसभा का 53% समय बर्बाद हुआ यानी लोकसभा की उत्पादकता 43 फ़ीसदी और राज्यसभा की 27 फ़ीसदी रही|
लोकसभा से 14 विधेयक पारित हुए वहीं राज्यसभा से 4 विधेयक पारित हुए दोनों सदनों से पारित विधायकों की बात करें तो इनकी संख्या 5 रही, राज्यसभा से 4 विधेयक वापस लिए गए|
शीतकालीन सत्र की तुलना 2017-18 के शीतकालीन सत्र से
अगर हम 2018-19 के शीतकालीन सत्र की तुलना 2017-18 के शीतकालीन सत्र से करें तो पिछले शीतकालीन सत्र में 34 घंटे अवरोध के बावजूद संतोषजनक कामकाज हुआ था| पिछला शीतकालीन सत्र सभापति के तौर पर एम वेंकैया नायडू के लिए पहला पूर्ण सत्र था उस दौरान राज्य सभा से 9 सरकारी विधेयक पारित हुए थे| पिछले सत्र में ही 2 जनवरी 2018 को उच्च सदन में 15 साल बाद सारे तारांकित सवालों को लेकर एक इतिहास रचा गया था| सिर्फ़ 13 बैठकों में कई काम हुए और देश की अर्थव्यवस्था, दिल्ली में प्रदूषण और रोजगार परिदृश्य पर भी जोरदार बहस उच्च सदन में हुई थी| बीते शीतकालीन सत्र की तुलना में इस बार भले ही बेहद निराशाजनक कामकाज दिखा लेकिन सभापति की विशेष अनुमति से एक दिन बढ़ाए गए इस सत्र के आखिरी दिन 124वां संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर और बेहतरीन चर्चा के साथ सदन ने एक इतिहास जरूर रच दिया है|
शीतकालीन सत्र 2018-19 के दौरान राज्य सभा में 5 नए विधेयक पेश किए गए इसमें :-
- एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स बिल 2018 31 दिसंबर को पेश किया गया|
- 7 जनवरी को राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग विधेयक 2019 को पेश किया गया, इसी दिन राष्ट्रीय होम्योपैथिक आयोग विधेयक 2019 पेश किया गया|
- इसके अलावा सत्र के आखिरी दिन यानी 9 जनवरी को संविधान अनुसूचित जनजाति या आदेश संशोधन विधेयक 2019 और संविधान अनुसूचित जनजाति आदेश दूसरा संशोधन विधेयक 2019 को पेश किया गया था|
3 जनवरी को लोकसभा से पारित हो चुके राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद संशोधन विधेयक को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई इसके तहत बीएड, डीएड और M.ed डिग्री धारकों को करैक्टर स्पेक्टिव मान्यता दी गई है जिन्हें एनसीटीई से मान्यता प्राप्त नहीं थी|
3 जनवरी को ही राज्यसभा से निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया इसके तहत अब बच्चों को पांचवी और आठवीं की परीक्षा में पास नहीं होने पर उसी कक्षा में रोका जाएगा, हालांकि से पहले बच्चों को 2 महीने के अंदर उस कक्षा में एक बार फिर परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाएगा| पहले शिक्षा के अधिकार के तहत दसवीं बोर्ड के पहले किसी भी बच्चे को किसी भी कक्षा में रोका नहीं जाता था|
शीतकालीन सत्र 2018-19 के आखरी दिन राज्यसभा से ऐतिहासिक 124 वां संविधान संशोधन विधेयक 2019 पारित हुआ| लोक सभा से यह विधेयक 8 जनवरी को ही पारित हो गया था इसके जरिए सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 फ़ीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है| 124 वां संविधान संशोधन विधेयक 2019 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिली| इस विधेयक के पारित होने से यह शीतकालीन सत्र 2018-19 ऐतिहासिक हो गया इस विधेयक के पारित होने के बाद अब सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फ़ीसदी तक आरक्षण का लाभ मिलेगा |
नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के लिए 8 जनवरी को लोकसभा में 124 वां संविधान संशोधन विधेयक 2019 पेश किया| लोकसभा में 4 घंटा 55 मिनट की चर्चा के बाद इस विधेयक दो तिहाई बहुमत से पारित किया गया|
शीतकालीन सत्र 2018-19 में लोक सभा में पेश हुए विधेयक
- बांध सुरक्षा विधेयक 2018
- भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक 2019
- केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2018
- मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2018
- राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान संशोधन विधेयक, 2018
- कंपनी संशोधन विधेयक 2018
- जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक 2019
- विनियोग संख्यांक 6 विधेयक 2018
- आधार और अन्य विधियां संशोधन विधेयक 2019
- व्यवसाय संघ संशोधन विधेयक 2019
- लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण संशोधन विधेयक 2019
- 124वां संविधान संशोधन विधेयक 2019
- उभयलिंगी व्यक्ति अधिकारों का संरक्षण विधेयक 2018
- सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019
- उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018
- राष्ट्रीय स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहुनिशक्तता ग्रस्त व्यक्ति कल्याण न्यास संशोधन विधेयक 2018
- मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2018
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