देश के 102 शहरों की हवा आप साफ होगी और इसके लिए दिल्ली समेत 102 शहरों के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है| इसके तहत वायु प्रदूषण के मुख्य कारक पार्टिकुलेट तत्व पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में 20 से 30% की कमी लाने की बात की जा रही है| राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम का मकसद वायु प्रदूषण की रोकथा, नियंत्रण और वायु प्रदूषण कम करने के लिए बड़े पैमाने पर काम करना है| साथ ही पूरे देश में वायु की गुणवत्ता निगरानी को बेहतर बनाया जाएगा| इसके साथ ही वायु प्रदूषण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना भी राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम का हिस्सा है|
वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए लंबे वक्त से कई उपाय किए गए हैं हालांकि इन उपायों के बावजूद भारत में वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाने में ठोस कामयाबी नहीं मिली है| अब मोदी सरकार ने वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए इससे निपटने की एक देशव्यापी योजना बनाई है| केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 10 जनवरी को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम यानि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शुरुआत की है| फ़िलहाल इस मुहिम के पहले चरण में दिल्ली सहित देश के 23 राज्यों के 102 सबसे प्रदूषित शहरों को शामिल किया गया है|
इन सभी शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे| राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की खास बात यह है कि प्रदूषण में कमी का यह आकलन 2017 में हवा की गुणवत्ता के आधार पर होगा|
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के शुरुआती 5 सालों में यानि 2024 तक 102 शहरों में वायु प्रदूषण के मुख्य कारक तत्व पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में 20 से 30 फ़ीसदी की कमी लाई जाएगी यानी 2024 तक इन शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर को 20 से 30 फ़ीसदी तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है| राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत 102 शहरों में 43 शहर स्मार्ट सिटी परियोजना का हिस्सा है|
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत किन 102 शहरों का चयन हुआ है?
- पंजाब के लुधियाना और जालंधर समेत नों शहर
- हिमाचल प्रदेश के सात शहर
- मध्य प्रदेश और ओडिशा के छह-छह शहर
- राजस्थान, आंध्र प्रदेश और असम के पांच-पांच शहर
- उत्तराखंड के काशीपुर और ऋषिकेश शामिल
- बिहार के तीन शहर पटना, गया और मुजफ्फरपुर शामिल
सर्वाधिक वायु प्रदूषण वाले 102 शहरों के साथ अन्य शहरों में भी राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत वायु साफ बनाने की मुहिम जारी रहेगी| इन शहरों का चयन विश्व स्वास्थ्य संगठन और प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर जारी होने वाली रिपोर्ट के आधार पर किया गया है|
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम एक देशव्यापी कार्यक्रम है इसके तहत राज्यों को वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी, अगले 2 सालों में राज्यों को 300 करोड़ रुपए दिए जाएंगे| राज्यों से इस साल की वित्तीय मदद उपलब्ध कराने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं| सभी चयनित 102 शहरों की स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से अलग-अलग कार्य योजना तैयार की गई है| केंद्र सरकार के स्तर पर पर्यावरण मंत्रालय की समिति और राज्य के स्तर पर मुख्य सचिव की अगुवाई वाली समिति शहरों की कार्य योजना को लागू करने की निगरानी करेगी|
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने इसे वायु प्रदूषण कम करने की दिशा में केंद्र सरकार की ओर से संचालित सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम बताया है उनका मानना है कि विकास संबंधी सभी लक्ष्य प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण के साथ सामंजस्य के बिना अधूरे हैं उन्होंने कहा कि भारत में शहरीकरण और शहरों की तरफ पलायन की गति में अगले कुछ दशकों में तेजी से इजाफा की संभावना है ऐसे में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम भविष्य की चुनौती से निपटने में मददगार साबित होगा|
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत पहले चरण में मिडटर्म 5 ईयर एक्शन प्लान बनाया गया है| लंबी अवधि के लिए इसे बाद में अगले 20 से 25 सालों के लिए बढ़ाया जा सकता ह| राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत चुने गए शहरों में जिस तरह से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा था उसके चलते लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है| चुने गए सभी शहरों में निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने पर दिया गया है अभी सिर्फ 70 शहरों में ही वायु प्रदूषण को जांचने की व्यवस्था है|
पिछले कुछ सालों में जिस तरह से देश के बड़े शहरों के अलावा मध्यम और छोटे शहरों में भी वायु प्रदूषण बढ़ा है वह गंभीर चिंता का विषय बन गया है| बढ़ता वायु प्रदूषण अनेक तरह की जानलेवा बीमारियों की वजह बन रहा है बच्चों और बूढ़ों पर तो इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ रहा है और यही वजह है कि सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम लॉन्च किया| स्वच्छ वायु कार्यक्र लक्ष्य और उद्देश्य काफी व्यापक है और इसके तहत कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं|
भारत स्वच्छ पर्यावरण और प्रदूषण मुक्त हवा और पानी के लिए प्रतिबद्ध है| यह हमारे संविधान में अनिवार्य है सतत विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए देश में लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण और वायु प्रदूषण से जुड़े लक्ष्य को पूरा करने के लिए अलग-अलग कानून बनते और लागू होते रहे हैं हालांकि इस में अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पाई और वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता चला गया, जब अब लाखों लोगों की मौत का कारण बन चुका है| वायु प्रदूषण की वजह से गंभीर बीमारियों की वजह से वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण की जरूरत महसूस की गई और इसी का परिणाम है राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम जिसका मकसद देश के शहरी और क्षेत्रीय दोनों स्तर पर वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाना और उसकी गुणवत्ता को बढ़ाना है|
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत सरकार ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई पहल की है इसके तहत:-
- वायु गुणवत्ता निगरानी लेकर को मजबूत बनाना ताकि पुराने आंकड़ों का विश्लेषण किया जा सके| इसके साथ ही मैनुअल और तकनीकी निगरानी के नेटवर्क को बढ़ाना शामिल है|
- 100 से ज्यादा शहरों में वायु गुणवत्ता का प्रबंध करना, साथ ही शहरों में बढ़ रहे वायु प्रदूषण को वैज्ञानिक तरीके से नियंत्रित करना शामिल है|
- इंडोर वायु प्रदूषण निगरानी और प्रबंधन भी किया जाएगा, इसके तहत किसी भी घर, संस्था या व्यवसाय के स्थानों के अंदर मौजूद हवा की भौतिक व रासायनिक और जैविक विशेषताओं का विश्लेषण किया जाएगा|
- वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए उत्सर्जन सूची बनाई जाएगी|
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत 4 वायु प्रदूषक की पहचान की गई है| इनमें सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर यानी pm10 और फाइन पार्टिकुलेट मैटर यानि की पीएम 2.5 शामिल है| इन वायु प्रदूषण को कि सभी स्थानों पर नियमित निगरानी की जाएगी|
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत वायु प्रदूषण के क्षेत्र में सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को सुचारू रूप से चलाने और संचालन के लिए नेटवर्क का निर्माण भी किया जाएगा, इसके साथ ही वायु गुणवत्ता मानकों और उत्सर्जन मानकों की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी|
विश्व स्वास्थ्य संगठन की कुछ महीने पहले वायु प्रदूषण पर आई रिपोर्ट में भारत के लिए चेतावनी दी गई है| सिर्फ 2016 में 5 साल से कम उम्र के एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत वायु प्रदूषण और उससे जुड़ी बीमारियों की वजह से हुई| भारत जैसे देश में लगभग पूरी जनसंख्या प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है|
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट भारत में बच्चों पर वायु प्रदूषण का असर
- 2016 में पांच साल से कम उम्र के एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत, मरने वाले बच्चों में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा|
- 2016 में 5 साल से कम उम्र के कुल 101,788 बच्चों की मौत वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों की वजह से हुआ| इनमें 54893 लड़कियां और 46895 लड़के थे|
- 5 साल से कम उम्र के कुल 101,788 बच्चों में से 60,987 बच्चों की मौत पीएम 2.5 प्रदूषण तत्व से वही इनमें 32,889 लड़कियां और 28,097 लड़के थे|
- 5 साल से कम उम्र के बच्चों में जो वायु प्रदूषण की वजह से मरते है भारत में उन बच्चों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है|
- दूसरे नंबर पर नाइजीरिया है जहां 47674 बच्चों की मौत
- पाकिस्तान में 21,136 बच्चे प्रदूषण के शिकार
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बच्चों पर वायु प्रदूषण का असर
- गर्भवती महिला पर जहरीली हवा का असर, समय से पूर्व शिशु को जन्म देने की प्रवृति, बच्चों का बाद में विकास प्रभावित
बच्चों पर वायु प्रदूषण का असर
- मानसिक विकास और ज्ञान क्षमता पर प्रभाव
- बचपन में ही अस्थमा और कैंसर की समस्या
- बच्चों पर वयस्कों की तुलना में अधिक प्रभाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट वायु प्रदूषण और बाल स्वास्थ्य
- पांच साल की उम्र के 63 करोड़ और 15 साल से कम उम्र के 1.8 अरब बच्चे प्रभावित दुनिया भर में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसदी बच्चे पीएम 2.5 से प्रभावित|
- उच्च आय वर्ग के देशों में 5 साल से कम उम्र के 52 फीसदी बच्चे पीएम 2.5 से प्रभावित|
- दुनिया की कुल आबादी का 40 फीसदी से ज्यादा लोग प्रभावित|
- इनमें एक अरब 15 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल|
- जो खाना पकाने से घर के अंदर होने वाले वायु प्रदूषण और प्रदूषित ईंधन से पीड़ित
- वायु प्रदूषण और बाल स्वास्थ्य 15 साल से कम उम्र के 50 फीसदी बच्चों को सांस की बीमारी वायु प्रदूषण से वायु प्रदूषण बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा
- पांच साल से कम उम्र के 10 में से 1 बच्चे की मौत प्रदूषित हवा की वजह से
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