5000 साल पहले कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता का संदेश आज भी पूरी मानवता के लिए एक वरदान है| जो व्यक्ति को उसके जीवन के सार के बारे में बताती है| गीता के ज्ञान को पूरी दुनिया में फैलाने और उसकी संदेश को हर व्यक्ति तक पहुंचाने के मकसद से हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया है| इसमें देश और दुनिया के हर कोने से आए लोगों ने हिस्सा लिया|
निष्काम कर्म यानी बिना फल की इच्छा किया काम करते जाना, भगवत गीता में श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया यह संदेश आज भी मानवता के लिए सबसे बड़ा मार्गदर्शक है| आज भी कुरुक्षेत्र की भूमि कृष्ण की उस उपदेश की गवाह है जो उन्होंने युद्ध के मैदान में अवसाद से पीड़ित अर्जुन को गीता का संदेश दिया था और वह जगह है कुरुक्षेत्र| आज भी यहां वह अक्षय वट वृक्ष मौजूद है जहां कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था|
कुरुक्षेत्र को गीता की जन्मस्थली माना जाता है गीता का उद्भव दिवस शुल्क एकादशी को हुआ इस वजह से हर साल इसी पक्ष में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जाता है|गीता जयंती महोत्सव महोत्सव का आयोजन लम्बे समय से होता रहा है लेकिन पिछले कुछ सालों से इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है| जिसमें दुनिया के कई देशों के लोग हिस्सा लेते हैं| मोरिशस ने सहभागी देश और और गुजरात सहभागी राज्य की भूमिका निभाई| गीता के संदेश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने के मकसद से फरवरी 2019 में मॉरीशस में भी इसी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जाएगा|
इस अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन हरियाणा सरकार और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है| इसका मुख्य उद्देश्य गीता की महत्व को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और हरियाणा में पर्यटन को बढ़ावा देना है| इससे ना केवल लोगों को गीता के सार के बारे में पता चलता है बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार भी सृजित होता है|
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजन पर लगने वाले इस मेले में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक हर तरह से कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसका मुख्य उद्देश गीता के सार्वभौमिक संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है|
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के मौके पर आयोजित होने वाला ये अंतरराष्ट्रीय महोत्सव ना केवल समाज और दुनिया को गीता के महत्व और सार के बारे में बताता है बल्कि मानवता प्रेम और भाईचारे का संदेश भी देता है|
गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है हिंदू शास्त्रों में गीता का सर्वप्रथम स्थान है ये केवल एक ग्रंथ नहीं है बल्कि हजारों साल पहले कहे गए ऐसा उपदेश है जो मनुष्य को आज भी जीने की कला सिखाते हैं उसका मार्गदर्शन करते हैं| आज भी जब कोई जीवन के पड़ावों पर दुविधा में पड़ जाता है तो श्रीमद्भगवद्गीता ही मार्ग दिखाती है|
गीता के महत्व
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।।
मा कर्मफलहेतुर्भूः मा ते सगोस्वकर्मणि ।।”-श्रीमद्भगवदगीता
महाभारत की युद्ध भूमि में श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था वह श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से मशहूर है| सभी ग्रंथों में श्रीमद्भगवद्गीता को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें व्यक्ति के जीवन का सार है और इसमें महाभारत काल से लेकर द्वापरयुग तक कृष्ण की सभी लीलाओं का वर्णन किया गया है| इसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी जो पूर्ण रूप से अर्जुन और उनके सारथी श्री कृष्ण के बीच हुए संवाद पर आधारित है| गीता में काफी प्रभावशाली ढंग से धार्मिक सहिष्णुता की भावना को प्रस्तुत किया गया है जो भारतीय संस्कृति की अमूल्य विशेषता है| कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच जब अर्जुन अपने स्वजनों को देखकर युद्ध में विमुख होने लगे तब शोक में डूबे अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए श्री कृष्ण ने कहा कि व्यक्ति को निष्काम भाव से कर्म करते हुए फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए| गीता में ज्ञान योग, कर्म योग, भक्ति योग, राजयोग और एकइश्वरवाद की बहुत सुंदर ढंग से चर्चा की गई है| गीत मनुष्य को कर्म का महत्व समझ आती है इसमें 18 अध्याय और 720 श्लोक हैं और यह महाभारत के भीष्म पर्व का ही एक अंग है|
श्रीमद्भगवदगीता का महत्व |
- गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है।
- गीता में उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी शामिल किये गए है|
- गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और ब्रह्मसूत्रों का हैं।
- उपनिषदों को गौ और गीता को उसका दुग्ध कहा गया है।
- उपनिषदों की अध्यात्म विद्या गीता में भी स्वीकार किया गया है|
- वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म की चर्चा गीता में भी शामिल है|
- गीता में ब्रह्मविद्या का मतलब ज्ञानमार्ग है|
आत्मा और जीवन मरण के बारे में बताते हुए कृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा कि आत्मा अजर अमर है शरीर के नष्ट होने पर भी यह आत्मा मरती नहीं है जिस प्रकार व्यक्ति पुराना वस्त्र उतारकर नया वस्त्र धारण कर लेता है उसी प्रकार आत्मा भी पुराना शरीर छोड़कर नया शरीर धारण कर लेती है आत्मा को ना तो शस्त्र काट सकती हैं न अग्नि जला सकती है और ना ही जल ही गीला कर सकता है आत्मा को जो मारता है और जो से मरा हुआ समझता हैवह दोनों यह नहीं जानते कि ना यह मरती है और ना ही मारी जाती है|
जीवन में असफलता मनुष्य को परेशान कर देती है और वह घोर अवसाद की स्थिति में पहुंच जाता है ऐसे में गीता यह सिखाती है कि कर्म करें लेकिन फल की इच्छा ना करें- क्योंकि फल देना मनुष्य के हाथ में नहीं है| गीता किसी जाति धर्म विशेष का ग्रंथ नहीं बल्कि पूरी मानवता का ग्रंथ है जो मनुष्य को कर्म का संदेश देती है| गीता का आरंभ धर्म से और अंत कर्म से होता है| गीता मनुष्य को प्रेरणा देती है- मनुष्य का कर्तव्य क्या है? इसी का बोध कराना गीता का लक्ष्य है|
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ने धार्मिक और ऐतिहासिक जानकारी लोगों तक पहुंचाई वहीं दूसरी और पर्यटन और रोजगार के जरिए नए रास्ते भी खुले| कुरुक्षेत्र की धरती पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मेले में कई राज्यों से कारीगर और व्यापारियों ने शिरकत की|हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुए अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में जहां भारतीय सनातन परंपरा की एक व्यापक तस्वीर दुनिया को दिखाएं वहीँ इस महोत्सव में पर्यटन के लिहाज से भी एक नई मिसाल कायम की है| 10 दिनों से ज्यादा चले इस महोत्सव में लाखों की तादात में लोग गीता जयंती महोत्सव देखने कुरुक्षेत्र पहुचें| जो अपने आप में बड़ा कीर्तिमान है| इस महोत्सव को अगर एक बड़े मेले के तौर पर देखा जाए तो गलत नहीं होगा| सनातन परंपरा में विश्वास रखने वाले लोग देश-विदेश से इस महोत्सव में शिरकत करने के लिए हर साल लोग कुरुक्षेत्र आते हैं| स्थानीय लोगों में इस महोत्सव को लेकर खासा उत्साह देखने को मिलता है यहां लोगों का मानना है कि कुरुक्षेत्र के धार्मिक महत्व होने से उनकी शहर को एक अलग पहचान मिल रही है|
इस महोत्सव में स्टेट पाटनर की भूमिका निभाने वाले गुजरात ने पर्यटन के नजरिए से अपना अलग पवेलियन लगाया था| पवेलियन को देखने के लिए लोगों की भीड़ पहुंचेगी, गुजरात पवित्र यात्रा धाम विकास बोर्ड के सौजन्य से लगाए गए इस पवेलियन में गुजरात की संस्कृति की झलक देखने को मिली| अपने स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गुजरात पवित्र यात्रा धाम विकास बोर्ड ने कई तरह के इंतजाम किए थे| इसमें मुख्य आकर्षण का केंद्र गुजरात का सरदार पटेल की प्रतिमा रही| इसे देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ा|
कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर में चढ़ा अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव रोजगार के नजरिए से भी काफी अहम रहा, महोत्सव में उत्तर प्रदेश और गुजरात में सहभागी राज्य है मॉरीशस में सहभागी देश की भूमिका निभाई| देश के कोने-कोने से आए 850 से ज्यादा शिल्पकारों, बुनकरों और छोटे व्यापारियों को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की ओर से स्टोल लगाने के लिए जगह मुहैया कराई गई| देशी स्टॉले के साथ-साथ नेपाल और मॉरीशस के स्टोल भी लगाये गए थे|
अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव धार्मिक महत्व के साथ पर्यटन और रोजगार के लिहाज से भी सफल साबित हुआ| लाखों की संख्या में दूर-दूर से आए पर्यटक इस खास मेले के साक्षी बने ,गीता की व्यापक जानकारी मिलने के साथ यहां घूमने आए लोगों को कई राज्यों की सांस्कृतिक विरासत से भी जुड़ने का मौका मिला| कई राज्यों से आए कारीगरों और व्यापारियों को इस मेल से अच्छा खासा रोजगार मिला, कमाई के साथ-साथ पर गीता महोत्सव के सहयोगी बने| पिछले साल के मुकाबले इस साल में पर्यटन और रोजगार दोनों ही क्षेत्रों में बढ़ोतरी देखने को मिला|
Leave a Reply