मिसाइल हमलों से बचने के लिए भारत स्वदेशी कवच बनाने में जुटा हुआ है| भारत बहु स्तरीय बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली तैनात करने की दिशा में लगातार कार्यरत है और इस दिशा में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है| भारत ने इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है| देश में बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली के तहत मिसाइल को मार गिराने के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस और एडवांस एडसेंस को और अधिक विकसित किया जारहा है|
भारत में 2 परतों वाली बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने की दिशा में नए आयाम को हासिल कर लिया है| भारत ने रविवार (23-09-2018) रात 8:05 मिनट पर उड़ीसा तट से दूर इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया, इसके साथ ही देश को कम और ज्यादा ऊंचाई से लक्ष्य भेदने में सक्षम दो-स्तर वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने में बड़ी उपलब्धि हासिल हो गई है|
अब्दुल कलाम द्वीप से प्रक्षेपित किया गया है,इसे पृथ्वी रक्षा यान के नाम से भी जाना जाता है| पृथ्वी रक्षा यान मिशन, पृथ्वी के वायुमंडल में 50 किलोमीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम है| डीआरडीओ मुताबिक सफल परीक्षण के दौरान पीडीवी इंटरसेप्टर और लक्ष्य मिसाइल दोनों सफलतापूर्वक जुड़ गए थे| इस तकनीक को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है| परीक्षण के दौरान रडार से आ रहे आंकड़ों का कंप्यूटर नेटवर्क से सटीक विश्लेषण किया गया और पृथ्वी रक्षा यान आने वाले लक्ष्य मिसाइल मार गिराया|
इससे पहले 11 फरवरी 2017 को इसी जगह से इंटरसेप्टर का आखरी बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था| अब समझने की कोशिश करते हैं इंटरसेप्टर मिसाइल क्या है? और यह कैसे उपयोगी है? इंटरसेप्टर मिसाइल सतह से हवा में मार करने वाली एक बैलेस्टिक रोधी मिसाइल है| यह किसी भी देश से छोड़े गए मध्यम दूरी और अंतर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइलों से मुकाबला करने के लिए बनाई जाती है|
इंटरसेप्टर मिसाइल कार्य प्रणाली
- इंटरसेप्टर मिसाइल से तीन तरीके से काम करती है ।
- पहला तरीका – हिट-टू-रन या किल प्रणाली पर आधारित है।
- खुद ही अपनी ओर आ रही मिसाइल की ओर अत्यधिक उच्च गति से जाती है।
- दूसरे तरीके में निर्धारित लक्ष्य पर हमला के लिए आवश्यक विस्फोटक भरे होते हैं।
- तीसरे तरीके में ऊपर बताए गई दोनों प्रणालियों के संयोजन के आधार पर काम करता है|
इस स्वदेशी कवच के सुरक्षा खेमे में जुड़ने के बाद भारतीय थल सेना को मदद मिलेगी| यह मिसाइल ऑटोमेटेड ऑपरेशन, रडर आधारित और ट्रैकिंग सिस्टम जैसे आधुनिक तकनीक से लैस है|यह कंप्यूटर नेटवर्क की मदद से डाटा की गणना कर बैलिस्टिक मिसाइल हमले का पता लगाकर उस पर जवाबी हमला कर सकेगी| यह सफल परीक्षण के बाद भारत ने तकनीक हासिल कर ली है जिसके जरिए दुश्मन के किसी भी मिसाइल हमले को रोका जा सकेगा|
भारत अपनी सुरक्षा प्रणाली को लेकर हमेशा से सजग रहा है| 1990 के दशक के बाद से भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा यानी बीएमडी प्रणाली विकसित करने में लगातार काम कर रहा है| इस कार्यक्रम के तहत दो तरह के मिसाइलों का निर्माण किया जा रहा है इसमें पृथ्वी एयर डिफेंस और एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल कार्यक्रम शामिल है|
बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली क्या है?
भारत में डीआरडीओ के और बहु स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने का मकसद देश को मिसाइल हमलों से बचाना है| बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली के तहत दो तरह की मिसाइलों का निर्माण किया गया है| इनमें पहला है पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल और दूसरा है एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल|
पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल का इस्तेमाल अधिक ऊंचाई पर दुश्मनों के बैलेस्टिक मिसाइल को नष्ट करने के लिए किया जाता है| पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल बाहरी वायुमंडल में 50 से 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है|
एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल निचले सतह पर दुसमन के बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए है| यह 15 से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर मिसाइलों को नष्ट करने की क्षमता रखता है| इसका परमाणु हथियारों के आपूर्ति के लिए भी किया जाता है|
बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली स्वदेशी कवच
- आठ साल के कठिन मेहनत के बाद नवंबर 2006 में पहला परीक्षण हुआ|
- पृथ्वी दो मिसाइल को पृथ्वी एयर डिफेंस ने 48 किमी की ऊंचाई पर मार गिराया|
- पृथ्वी एयर डिफेंस का फरवरी, 2017 को सफल परीक्षण हुआ|
बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली स्वदेशी कवच
- 2007 में एडवांस एयर डिफेंस के जरिए कृत्रिम इलेक्ट्रॉनिक मिसाइल नष्ट करने में सक्षम है|
- एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल का तीसरा सफल परीक्षण 2009 में हुआ था|
- जुलाई 2010 में एक बार फिर परीक्षण हुआ|
- दूसरे चरण में एडी-1 और एडी-2 नाम से नई बैलिस्टिक मिसाइल का निर्माण हुआ है|
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