भारतीय साहित्य में किसी अन्य ग्रंथ ने भारतीय जनमानस को इतना ज्यादा प्रभावित नहीं किया जितना रामायण ने, संसार के संपूर्ण साहित्य में रामायण के अलावा अन्य किसी महाकाव्य शताब्दियों तक किसी राष्ट्र की विचारधारा को इतना गहरा प्रभावित नहीं किया है| रामायण का इतिहास जितना दिलचस्प है उतना ही कौतूहल उत्पन्न करता है|
रामायण
रामायण का मूल अर्थ है राम का अयन जिसका मतलब होता है राम की यात्रा पथ, मूल रूप से यह राम की दो विजय यात्राओं पर आधारित है जिसमें प्रथम यात्रा प्रेम-,सहयोग हास-परिहास और आनंद-उल्लास से भरी हुई है| जबकि दूसरी यात्रा दुख, दर्द, वियोग, व्याकुलता और वेदना से भरी हुई है|
दूसरी यात्रा को ही राम कथा का मूल आधार माना जाता है| 24000 श्लोकों से भरे आदिकवि वाल्मीकि का संस्कृत में लिखा रामायण जितना बड़ा महाकाव्य है उसका इतिहास उतना ही दिलचस्प है| हिंदू स्मृति के इस महान काव्य में त्रेता युग में अवतरित रघुकुल के राजा राम की गाथा कही गई है|
इतिहासकारों और साहित्यकारों का मानना है कि वाल्मीकि ने रामायण की रचना तीसरी शताब्दी में की थी| माना जाता है कि महर्षि बाल्मीकि के रामायण लिखने से पहले इक्ष्वाकु वंश के सुतो ने राम से जुड़ी कहानियों का प्रचलन शुरू कर दिया था, जो चौथी शताब्दी तक कुछ-कुछ प्रचलित हो गई थी| महर्षि वाल्मीकि ने उन कहानियों को ही आधार बनाकर रामायण की रचना की|
वाल्मीकि रचित आदि रामायण में अयोध्या कांड से युद्ध कांड जिसे लंका कांड भी कहा जाता है तक कि चर्चा थी| जबकि बालकांड और उत्तरकांड बाद में जोड़ा गया| शुरुआत में आदि रामायण का कोई प्रमाणित लिखित रूप नहीं मिलता है| वह कई शताब्दियों तक मौखिक रूप से ही प्रचलित रही, जिसे बाद में लिखा गया|
विकास के पहले चरण में राम आदर्श क्षत्रिय के रूप में भारतीय जनमानस के सामने पेश किए गए लेकिन समय के साथ-साथ रामायण की लोकप्रियता बढ़ती गई और इसके साथ ही राम का महत्व भी बढ़ने लगा| कृष्ण की भांति राम भी पहली शताब्दी में विष्णु के अवतार के रूप में स्वीकार किए जाने लगे| इसी तरह विकास के रूप में दूसरे चरण में राम कथा का आदर्श क्षत्रिय राम का चरित्र ना रहकर विष्णु की अवतार लीला के रूप में बदल गया| राम को विष्णु का अवतार माना जाने लगा और राम भक्ति का प्रचलन शुरू हुआ|
राम भक्ति का प्राचीन उल्लेख तमिल अलवरओं की रचनाओं में मिलता है|12वीं शताब्दी में रामानुज संप्रदाय में राम भक्ति की रचना शुरू हुई और आगे चलकर रामानंद और रामावत संप्रदाय में राम भक्ति जनमानस की धार्मिक चेतना का केंद्र बन गई है| इससे प्रभावित होकर उनकी रामायणओं की रचना हुई|
14वीं शताब्दी से पूरा भारतीय राम कथा साहित्य भक्ति भाव से भर गया, हालांकि रामायण का मुख्य उद्देश्य शताब्दियों तक साहित्य की रहा| 14वीं शताब्दी से यह पूर्ण रूप से धार्मिक हो गया और राम भक्ति की संपूर्ण कथा वस्तु है एक नए नजरिए से प्रस्तुत की गई| यह राम कथा और रामायण के विकास का तीसरा चरण था| यहां राम विष्णु के अवतार लीला मात्र ना रहकर भगवान राम के गुण कीर्तन में बदल गए| इसी तरह रामायण और राम कथा के अनेक रूप धारण करते हुए धीरे-धीरे संपूर्ण भारतीय संस्कृति में रच-बस गए|
जब संस्कृति बोलचाल की भाषा नहीं रही तो कवियों और संतों ने इसे अपनी-अपनी बोलचाल और प्रदेश की भाषाओं में लिखा, दक्षिण की भाषाओं में रंगनाथ रामायण तेलुगू में लिखी गई|
रामायण को महर्षि कमर में तमिल में,रामानुजन ने मलयालम में और नाकचंद्र ने कन्नड़ में से लिखा| पूर्व में महाकवि क्रितिवाश इसे बांग्ला भाषा में लिखा, महाराष्ट्र में संत एकनाथ ने इसे मराठी में लिखा और उत्तर में गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी में लिखा|
लोकहित का भाव रामायण का सबसे मूल तत्व है| सीता का पतिव्रता, राम का आज्ञा पालन भारत और लक्ष्मण का भाई प्रेम, दशरथ की सत्य साधना, कौशल्या के आदर्शों ने रामायण का चरित्रवान और कल्याणकारी रूप पेश किया और सबसे बढ़कर असत्य पर सत्य की विजय ने रामायण को देश और दुनिया का सबसे महान काव्य बना दिया| भारतीय संस्कृति में अवतारवाद की उत्पत्ति और रामायण की लोकप्रियता का काफी गहरा संबंध है| रामायण का इतिहास यह दर्शाता है कि वैदिक काल से ही मर्यादा पुरुषोत्तम राम हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के अभिन्न अंग रहे हैं और बुराई पर अच्छाई के प्रतीक है|
“कहते हैं हरि अनंत हरि कथा” अनंत सबसे पहले श्री राम की कथा हनुमान जी ने लिखी थी फिर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के बाद लाभ से जुड़े हजारों कथाएं प्रचलन में आई है सभी कथाएं भगवान राम से ही जुड़ी हुई है और सभी कथाओं में थोड़े बहुत बदलाव के साथ मूल में राम ही है|
आइए जानते हैं कि हर कोने में पूजे जाने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की कथा “रामायण” को भारत में किन किन भाषाओं में लिखा गया और उनकी विशेषता क्या है?
वाल्मीकि रामायण
अलग-अलग रूपों में देखने पर रामायण करीब 300 से लेकर 1000 तक की संख्या में अनेक रूपों में मिलती है| संस्कृत में रचित वाल्मीकि रामायण जिसे आस रामायण भी कहा जाता है सबसे प्राचीन मानी जाती है| वाल्मीकि रामायण संस्कृत भाषा में छन्दो में लिखा गया है| इसमें श्री राम के चरित्र का उत्तम और विराट रूप का काव्य रूप में वर्णन है| महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित होने के कारण इसे वाल्मीकि रामायण भी कहा जाता है| वाल्मीकि रामायण को पढ़ कर ऐसा नहीं लगता मानो उन्होंने श्री राम के बारे में जो कुछ भी देखा और सुना उसे वेदों की भाषा में अंकित किया है| मौजूदा वक्त में राम के चरित्र पर आधारित जितने भी ग्रंथ उपलब्ध हैं उन सभी का मूल महर्षि वाल्मीकि की लिखी गई रामायण से लिया गया है|
तुलसी रामायण
स्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस उत्तर भारत में सबसे ज्यादा प्रचलित है| श्रीरामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास ने 16वीं सदी में लिखी थी जो एक महाकाव्य है| इसे तुलसी रामायण कहा जाता है| रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है| शारदीय नवरात्रि में इसके सुंदरकांड का पाठ पूरे 9 दिन किया जाता है| राम की कथा को वाल्मीकि के लिखने के बाद दक्षिण भारतीय लोगों ने अलग तरीके से लिखा|
रामायण कई भारतीय भाषाओं में लिखी गई है| हिंदी में ही कम से कम 11, मराठी में 8, बंगला में 25, तमिल में 12, तेलगु में 12 और उड़िया 6 अलग-अलग राम कथा मिलती है| इसके अलावा संस्कृत, गुजराती, मलयालम, उर्दू, अरबी और फारसी भाषाओं में भी राम कथा लिखी गई है|
मौजूदा समय में प्रचलित बहुत ही राम कथाओं में आर्स रामायण, अद्भुत रामायण, कृतिबास रामायण, बीलंका रामायण, मैथिल रामायण, सर्वार्थ रामायण, तत्वार्थ रामायण, प्रेम रामायण, संजीवनी रामायण, उत्तररामचरितम्, रघुवंशम, अध्यात्म रामायण, राधेश्याम रामायण, श्री राघवेंद्र चरितम, मंत्र रामायण, योग वशिष्ठ रामायण और जानकीहरणम् प्रमुख है|
रामायण दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में
भारतीय संस्कृति के भगवान राम दक्षिण पूर्व एशिया के मुस्लिम देशों की संस्कृति में भी रचे बसे हैं| आसियान देशों में रामायण और राम कथा अनेक रूपों में प्रचलित है, और लोकजीवन से इतनी गहराई तक जुड़ी हुई है कि राम कथा इन देशों की संस्कृति का अभिन्न अंग बन गई है|
रामायण आज सिर्फ भारत की ही धरोहर नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में ख़ासकरआसियान देशों के सामाजिक, संस्कृतिक ताने-बाने का अहम हिस्सा है अलग-अलग देशों में रामायण के अलग-अलग रूप है|
फिलीपींस में रामायण
फिलीपींस में राम कथा का इतिहास बेहद दिलचस्प है यहां 13वीं सदी में राम कथा समाज के बीच पहुंची और भली-भांति राजबस गई| यहां की राम कथा और उसके पात्रों का स्वरूप वाल्मिकी के रामायण से थोड़ा अलग है|फिलीपींस की रामायण में भी असत्य पर सत्य की विजय दिखाई गई है|
थाईलैंड में रामायण
थाईलैंड में राम कथा राम कीर्ति के नाम से मशहूर है| थाईलैंड में यह मान्यता है कि रामायण की घटना स्थल और उत्पत्ति उनकी ही देश में हुई थी| प्राचीन काल से ही वहाँ नाटकों में रामकथा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है| थाईलैंड में आज संवैधानिक रूप में रामराज्य है वहां के सभी राजा अपने को रामवंशी मानते हैं|
म्यानमार में रामायण
म्यानमार में ईसा पूर्व के ही रामायण पहुंच चुकी थी लेकिन 17वीं शताब्दी से पहले कि कोई भी साहित्य पुस्तक उपलब्ध नहीं है| 18वीं सदी में यूं तो थाईलैंड की राम कथा के आधार पर ही राम यागन की रचना की जो बर्मा का सबसे लोकप्रिय महाकाव्य माना जाता है| म्यानमार की रामायण में सीता हरण काफी लोकप्रिय है|
कंबोडिया में रामायण
इतिहासकारों का मानना है कि पहली शताब्दी से भारतीय व्यापारी कंबोडिया आने लगे थे और उन्होंने ही रामायण और भारतीय संस्कृति का कंबोडिया प्रचार प्रसार किया| 9वीं और 13वीं शताब्दी के बीच कंबोडिया की प्राचीन राजधानी अंकोरवाट के मंदिरों पर रामायण और महाभारत के बहुत से शीला चित्र अंकित है| कंबोडिया के रामायण को राम कीर्ति कहते हैं इसमें सीता जनक की दत्तक पुत्री मानी गई है और राम के त्याग दिए जाने पर वाल्मीकि के आश्रम में निवास करती है| यहां की रामायण में भी असत्य पर सत्य की जीत दिखाई गई है|
मलेशिया में रामायण
मुस्लिम देश होने पर भी मलेशिया में भारतीय संस्कृति का गहरा प्रभाव रहा है|मलेशिया में रामायण का प्रचार अभी तक है मलई यानी पुराने मलेशिया में रामायण के साहित्य पाठ हिकायत श्री राम के नाम से प्राप्त होते हैं| हिकायत श्री राम ग्रंथ में रावण के चरित्र से लेकर राम जन्म, सीता जन्म, राम-सीता विवाह, राम वनवास, सीता हरण, युद्ध और राम-सीता मिलन तक की कथा है|
इंडोनेशिया में रामायण
इंडोनेशिया में रामायण का प्रचार प्राचीन काल से ही हो चुका था| इसका प्रमाण 9वीं शताब्दी में वहां की शिव मंदिर के दीवारों के चित्रों से मिलता है| यहां की रामायण पर बौद्ध धर्म की शैलियों का प्रभाव है| 9वीं शताब्दी तक जावा में रावण, लंका,भारत ,राम, सीता नाम प्रचलित हो चुके थे|
रामायण का व्यापक प्रचार-प्रसार और स्वीकार्यता यह दर्शाता है कि रामायण ना केवल भारतीय समाज के लिए प्रासंगिक है बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है और यही इस महाकाव्य की महानता का सबसे बड़ा उदाहरण है|
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