भारत को आजादी मिलने के करीब 14 साल बाद गोवा भारतीय गणतंत्र का हिस्सा बना| 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के जरिए गोवा को पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त कराया| इसमें भारत के तीनों सेना थल, वायु और नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी|15 अगस्त 1947 भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली लेकिन एक ऐसा भी क्षेत्र था जिसे आजादी के बाद भारत का हिस्सा बनने में 14 साल लग गए| हम बात कर रहे हैं गोवा की, 1510 से गोवा पर पुर्तगालियों का कब्जा था|
जब 1947 में भारत को आजादी मिली तब भी गोवा दमन और दीव पर पुर्तगालियों का ही शासन था| 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय अभियान शुरू कर गोवा, दमन और दीव को पुर्तगालियों के शासन से मुक्त कराया था| इस दिन यानी 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है| गोवा के पुर्तगालियों से मुक्ति और भारत में विलय के 2018 में 57 साल पूरे हो गए हैं|
गोवा के भारत में विलय की कहानी बेहद दिलचस्प है| 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज भारत से चले गए मगर भारत का गोवा गुलामी में था| 1947 के बाद कई बार भारत सरकार ने पुर्तगालियों से बातचीत की मांग की जिसे पुर्तगाली ठुकरा दे रहे थे| इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय के तहत सेना की टुकड़ी भेजी| इस पूरे अभियान में भारतीय सेना ने इस बात का ख्याल रखा कि गोवा और वहां के लोगों को नुकसान नहीं पहुंचे| 8 से 18 दिसंबर 1961 के बीच पुर्तगाली वायु सेना को गोवा से बाहर निकालने के मकसद से कुछ बम गिराने वालें विमानों ने जांच उड़ानें भरी लेकिन इसका पुर्तगाली नौसेना पर कोई असर नहीं हुआ|
गोवा का भारत में विलय के लिए ऑपरेशन विजय
- गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन विजय की शुरुवात की गई|
- भारतीय सेना के दक्षिणी कमान को जिम्मेदारी मिली|
- थल सेना की कमान मेजर जनरल के.पी. कैंथ को मिला|
- ऑपरेशन विजय 11 दिसम्बर 1961 पणजी पर हमला किया गया|
- मर्मागोवा पर 63 ब्रिगेड ने पूर्व से हमला किया किया गया|
- एयर वाइस मार्शल एलरिक पिंटो को वायु सेना की कमान मिली|
- नौसेना, थल सेना और वायु सेना का चौतरफा हमला कर दिया|
- दिसम्बर 17-18 की रात में ऑपरेशन विजय के तहत सैनिक कार्रवाई हुई|
- ऑपरेशन विजय में 30 पुर्तगाली मारे गए थे जबकि 22 भारतीय जवानों ने अपना बलिदान दिया| ऑपरेशन विजय दौरान भारत ने 4668 पुर्तगालियों को बंदी बनाया था|
पुर्तगालियों की सेना की गोवा में 4000 प्रशिक्षित और दो हजार अर्द्ध प्रशिक्षित या सामान्य सैनिकों की क्षमता थी| पुर्तगाल से कुछ गोला बारूद 17 दिसंबर को गोवा भेजने की योजना बाकी देशों के असहयोग के कारण पुर्तगाल को स्थगित करनी पड़ी|
- पुर्तगाली विमान को किसी भी देश में उतरने और ईंधन भरने की अनुमति नहीं मिली।
- खाने की आपूर्ति करने वाले विमान से गोला बारूद और ग्रेनेड गोवा भेज दिया|
- गोवा में पुर्तगाल के 2-3 असैनिक विमान और 2-3 एंटी एयर क्राफ्ट गन थे|
18 दिसंबर को दीव में हमला किया और दीव में पुर्तगाली सेना के मुख्यालयों को तबाह कर दिया गया| वहाँ का रनवे भी नष्ट कर दिया गया| कुछ नौकाये पुर्तगाली गोला बारूद दीव से भागने का प्रयास कर रही थी उसे भारतीय वायुसेना ने नष्ट कर दिया| बाद पूरे दिन भारतीय वायुसेना के विमान आकाश में मड्राते रहे और थल सैनिकों को ज़रूरी सहयोग देते रहें|
- 18 दिसम्बर को भारतीय वायु सेना ने गोवा में हमला किया|
- गोवा के डाबोलिम हवाई अड्डे पर भीषण की गई|
- बाम्बोलिन हवाई अड्डे का वायरलेस केंद्र को ध्वस्त कर दिया गया|
- पुर्तगाल के दो विमान काफी नीची उड़न भरते हुए रात को पाकिस्तान भाग गए।
- भारतीय वायु सेना का गोवा के पूरे आकाश पर कब्ज़ा कर लिया|
- चौतरफा हमलों से पुर्तगाली सेना की कमर टूट गयी|
- 19 दिसम्बर 1961 की सुबह पणजी के सचिवालय भवन पर तिरंगा फहराया गया|
- पुर्तगाली सेना ने वास्को के एक सेना के शिविर में आत्मसमर्पण कर दिया।
- 30 मई 1987 को गोवा को राज्य का दर्जा दिया गया जबकि दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया|
गोवा को पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए एक लंबा संघर्ष चला| वहाँ के जनता ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| राम मनोहर लोहिया ने वहां की जनता में मुक्ति के लिए प्रेरणा का संचार किया|
टी बी कुन्हा की अध्यक्षता में 1928 में मुंबई में गोवा कांग्रेस समिति का गठन किया| टी बी कुन्हा को गोवा के राष्ट्रवाद का जनक माना जाता है| हालाँकि बाद की करीब दो दशकों में गोवा की आजादी के लिए कुछ खास नहीं हुआ| इसके बाद स्वतंत्रता सेनानी और प्रखर समाजवादी राम मनोहर लोहिया ने गोवा में मुक्ति संग्राम की अलख जगाने का काम किया| 1946 में राम मनोहर लोहिया गोवा पहुंचे| 1946 में 18 जून को राम मनोहर लोहिया ने गोवा के लोगों से पुर्तगाली उपनिवेश शासन के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया| राम मनोहर लोहिया नागरिक अधिकारों के हनन के विरोध में गोवा में सभा करने की चेतावनी दी, मगर इस विरोध का दमन करते हुए उनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया|
गोवा की मुक्ति संग्राम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निर्णायक भूमिका थी| आजादी के समय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यह मांग रखी कि गोवा को भारत के अधिकार में दे दिया जाए| गोवा मुक्ति के लिए 1950 तक प्रदर्शन जोड़ पकड़ चुका था| 1954 में भारत समर्थक गोवा के स्वतंत्रता सेनानियों ने दादर और नागर हवेली को मुक्त करा लिया और भारत समर्थक प्रशासन बनाकर क्रांति को और आगे बढ़ाया|
गोवा मुक्ति संग्राम का घटनाक्रम |
- आरएसएस के कार्यकर्ता गोवा मुक्ति संग्राम में बड़े पैमाने पर शामिल हुए।
- जगन्नाथ राव जोशी के नेतृत्व में संघ कार्यकर्ताओं ने आंदोलन शुरू किया|
- जगन्नाथ राव जोशी समेत कई कार्यकर्ताओं को दस साल की सज़ा सुनाई गई|
- 15 अगस्त 1955 में 3 हजार सत्याग्रहियों ने आन्दोलन शुरू किया।
- पुर्तगाली सेनाओं ने निहत्थे सत्याग्रहियों पर गोली चला दी और 30 अहिंसक प्रदर्शनकारी मारे गए|
- भारत पहले कूटनीति तौर पर कोशिश किन्तु पुर्तगाली किसी भी कीमत पर गोवा छोडने
को तैयार नहीं थे। - 1961 में दिल्ली में 10 हजार लोगों ने गोवा की आज़ादी के लिए प्रदर्शन किया|
- 24 नवंबर 1961 की घटना का असर के बाद सैन्य कार्रवाई के अलावा कोई विकल्प
नहीं बचा| - पुर्तगाली सेना ने भारतीय नौसैनिक जहाज़ पर हमला कर दिया जिसमे दो भारतीय जवान शहीद हो गए।
गोवा की आज़ादी पर दुनिया के अन्य देशों की प्रक्रिया
19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने गोवा को पुर्तगालियों से आजाद करा लिया|गोवा की लड़ाई कुछ ही देर चली लेकिन दुनिया भर के देशों ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी| कुछ देश भारत के साथ खड़े थे तो कुछ ने भारत को अपने आदर्शों के विरुद्ध काम करने का आरोप लगाया|
गोवा की आज़ादी पर सोवियत संघ की प्रतिक्रिया
- गोवा पर भारतीय कार्रवाई की प्रशंसा की|
- गोवा में चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन का स्वागत किया|
- भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में निंदा प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया|
गोवा की आज़ादी अफ्रीका की प्रतिक्रिया
- घाना रेडियो ने लिबरेशन ऑफ गोवा का नाम दिया और दुनिया से उपनिवेशवाद खत्म होने की आशा व्यक्त की|
गोवा की आज़ादी अरब देशों की प्रतिक्रिया
- भारत को पूरी आज़ादी है कि वो अपनी भूमि वापस ले|
गोवा की आज़ादी श्रीलंका की प्रतिक्रिया
- भारत का साथ दिया।
- गोवा को जा रही पुर्तगाली सहायता पर रोक लगा दी ।
गोवा की आज़ादी अमेरिका की प्रतिक्रिया
- भारत की निंदा की|
- गोवा से तुरंत हटने का आग्रह किया|
- भारत को दोहरी नीति अपनाने का दोषी करार दिया|
गोवा की आज़ादी पर ब्रिटेन की प्रतिक्रिया
- गोवा पर भारतीय दावे को सही माना किन्तु सैन्य कार्रवाई की निंदा की और कूटनीति का रास्ता अपनाने की बात कही|
गोवा की आज़ादी ब्राजील की प्रतिक्रिया
- 7 करोड़ ब्राज़ीलवासी समझने में असक्षम हैं कि भारत ने गोवा पर सैन्य कार्रवाई क्यों की। ब्राज़ील इसे कभी मान्यता नहीं दे सकता।
गोवा की आज़ादी चीन की प्रतिक्रिया
- चीन एशिया, अफ्रीका और लेटिन अमेरिका के देशों के उन सभी लोगों के साथ हैं जो उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे|
गोवा का इतिहास
- प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख
- महाभारत में गोवा का उल्लेख गोपराष्ट्र के रूप में|
- गोवा को गोपकपुरी और गोपकपट्टन भी कहा गया|
- स्कंद पुराण में भी गोवा का उल्लेख मिला है|
- तीसरी सदी ईसा पूर्व में गोवा मौर्य वंश के अधीन था|
- पहली सदी के शुरुआत में सातवाहन वंश का कब्जा हुआ|
- बादामी के चालुक्य शासकों का 580 से 750ई. तक शासन था|
मध्यकालीन भारत में गोवा
- गोवा पर कदम्ब वंश का शासन था|
- 1312 – गोवा दिल्ली सल्तनत के अधीन होगया|
- विजयनगर शासक के कब्जे में गोवा चला गया|
- 1469- बहमनी सुल्तान के शासन का हिस्सा बना|
- 1482 के बाद बहमनी राज्य के विभाजन के बाद गोवा यूसुफ़ आदिल खान के अधीन ।
- 1510- गोवा पर पुर्तगालियों का कब्जा
Maneesh kumar
Very good news sir
Namniyata Osh
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