76 साल पहले भारत उबल रहा था और सदियों पुरानी दास्तां की जंजीरों को तोड़ डालने का इंतजार कर रहा था| तभी “करो या मरो” के नारो के साथ महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन आगाज किया| महात्मा गांधी की ललकार पर लाखों भारतीय अपने जीवन को देश की आजादी के लिए कुर्बान करने अपने घरों से निकल पड़े| भारत छोड़ो आंदोलन या अगस्त क्रांति एक ऐसा व्यापक आंदोलन था| जिसने अंग्रेजी शासन को हिलाकर रख दिया|
भारत छोड़ो आंदोलन या अगस्त क्रांति
भारत छोड़ो आंदोलन या अगस्त क्रांति भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की आखिरी महान लड़ाई थी| जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया| 14 जुलाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति ने अंग्रेजों भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया| आंदोलन की सार्वजनिक घोषणा से पहले 01 अगस्त 1942 को इलाहबाद में तिलक दिवस मनाया गया|
8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस की बैठक मुंबई के ग्वालियर टैंक में हुई| बैठक में ऐतिहासिक भारत छोड़ो प्रस्ताव को कांग्रेस कार्यसमिति ने कुछ संशोधनों के साथ स्वीकार कर लिया| देशभर के स्वतंत्रता सेनानियों की एक ही मांग थी “पूर्ण स्वराज”|
इस मौके पर महात्मा गांधी ने ऐतिहासिक भाषण देते हुए कहा-” मैं आपको एक मंत्र देना चाहता हूं जैसे आप अपने दिल में उतार लें और आपकी हर सांस के साथ इस मंत्र की आवाज आनी चाहिए| यह मंत्र है” करो या मरो ” या तो हम भारत को आजाद कराएंगे या इस कोशिश में अपनी जान दे देंगे|
गांधी जी के शब्दों ने जनता पर जादू सा कर डाला और जनता नए जोश,साहस और संकल्प नई आस्था, दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े| आंदोलन की घोषणा के 24 घंटे के भीतर ही सभी बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए| गांधी जी को पुणे के आगा खान पैलेस और कांग्रेस कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों को अहमदनगर के दुर्ग में रखा गया|
कांग्रेस को गैर संवैधानिक संस्था घोषित कर दिया गया| अंग्रेजों की तमाम कोशिशों के बावजूद कई राष्ट्रीय नेता गिरफ्तार नहीं हो पाए| इन में क्रांतिकारी अरुणा आसफ अली भी थी| जिन्होंने 9 अगस्त 1942 को मुंबई के ग्वालियर टैंक मैदान में तिरंगा फहराकर भारत छोड़ो आंदोलन का डंका बजा दिया|
तभी से मुंबई के मैदान को अगस्त क्रांति मैदान भी कहा जाता है| इसके अलावा आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए जनता के बीच से ही नेता उभर कर सामने आए| जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया ,पटवर्धन और सुचेता कृपलानी जैसे नेताओं ने भूमिगत रहकर आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया| मुंबई में उषा मेहता और उनके कुछ साथियों ने कई महीने तक कांग्रेस रेडियो का प्रसारण किया| लोग ब्रिटिश शासन के प्रतीकों के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़कों पर निकल पड़े और सरकारी इमारतों पर तिरंगा फहराना शुरू कर दिया|
पटना के नौजवान विद्यार्थियों ने तो बलिदान का स्वर्णिम इतिहास ही रच डाला|11 अगस्त 1942 को सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान फिरंगी हुकूमत की गोलियों से 7 छात्र शहीद हो गए| सरकार ने जब आंदोलन को दबाने के लिए लाठी और बंदूक का सहारा लिया तो आंदोलन का रुख बदल कर हिंसात्मक हो गया|
अनेक जगहों पर रेल की पटरियां उखाड़ी गई और स्टेशनों में आग लगा दी गई| मुंबई-अहमदाबाद और जमशेदपुर में मजदूरों ने संयुक्त रूप से विशाल हरताले की| संयुक्त प्रांत में बलिया और बस्ती मुंबई में सतारा बंगाल में मिदनापुर और बिहार के कुछ भागों में अस्थाई सरकारों की स्थापना की गई| पहली समानांतर सरकार बलिया में चिंटू पांडे के नेतृत्व में बनी|
भारत छोड़ो आंदोलन और ब्रिटिश सरकार
भारत छोड़ो आंदोलन इस मायने में भी अनोखा था कि इन में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था| उन्होंने आंदोलन में ना सिर्फ हिस्सा लिया बल्की पुरुषों की बराबरी करते हुए इसका नेतृत्व भी किया| भारत छोड़ो आंदोलन इस महीने में भी एक क्रांतिकारी आंदोलन था| क्योंकि इसने भारत की भाभी राजनीति की आधारशिला रखी| ग्वालियर टैंक मैदान से अपने ऐतिहासिक भाषण में गांधी जी ने कहा “जब भी सत्ता मिलेगी भारत के लोगों को मिलेगी और वही इस बात का फैसला करेंगे सत्ता किसे सौंपा जाना है”|
1942 के आंदोलन को अंग्रेजों ने दबा तो दिया था| डेढ़ 2 महीने के बाद में लगभग आंदोलन खत्म हो गया था| लेकिन सेना पर उनका कंट्रोल कम हो गया था पुलिस के ऊपर कंट्रोल कम हो गया था| हर तबके के भारतीय लोगों पर कंट्रोल कब हो गया था अंततः जो 1947 में अंग्रेज अंग्रेजों ने देश छोड़ा या देश छोड़ने पर विवश हुएउसमें भारत छोड़ो आंदोलन भूमिका थी|
भारत छोड़ो आंदोलन का इतिहास गुमनाम योद्धाओं के बलिदानों से भरा पड़ा है| उस दौर के किसानों,मजदूरों पत्रकारों, कलाकारों ,छात्रों शिक्षा, शास्त्रियों और धार्मिक संतों की गई गुमनाम गाथाएं हैं| अगस्त क्रांति एक ऐतिहासिक क्षण था यह केवल विदेशी दस्ता के खिलाफ मैसेज आंदोलन भर नहीं था| बल्कि भारतीय जनता में एक नई चेतना का संचार था| इस नई चेतना ने भारत की आजादी की एक मजबूत जमीन तैयार की| जिसने 1947 में अंग्रेजों को भारत को आजाद करने पर मजबूर कर दिया|
भारत छोड़ो आंदोलन ऐसे समय में शुरू किया गया जब दुनिया जबरदस्त बदलाव के दौर से गुजर रही थी| पश्चिमी द्वितीय विश्व युद्ध लगातार जारी था और पूर्व में साम्राज्यवाद के खिलाफ आंदोलन तेज हो रहा था| भारत एक तरफ महात्मा गांधी के नेतृत्व में आजादी की आशा कर रहा था| जो अहिंसा और सत्याग्रह से समाज को बदलना चाहते थे| वहीं दूसरी तरफ नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने “दिल्ली चलो” का नारा दिया था और भारत को आजाद कराने के लिए आजाद हिंद फौज की कमान संभाल ली थी|
भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि
भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि ऐसे तो 1942 से पहले से चली आ रही आजादी की लड़ाई से जुड़ी है| लेकिन इसके तात्कालिक कारणों की शुरुआत होती है दुसरे विश्वयुद्ध से बने माहौल से| दुसरे विश्व युद्ध 1939 में शुरू हुआ| द्वितीय विश्व युद्ध छेड़ने के बाद विश्व दो भागो में बंट गया| मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र|
सितंबर 1939 में युद्ध की शुरुआत में फ़्रांस पोलैंड और ब्रिटेन मित्र राष्ट्र में शामिल थे| जल्दी ही ब्रिटेन के अधीन कुछ देश ऑस्ट्रेलिया, कनाडा न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका भी इस ग्रुप में शामिल हो गए| 1941 के बाद मित्र राष्ट्र में अमेरिका और सोवियत संघ में शामिल हो गए|
धुरी देश दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी और जापान का साथ दिया और मित्र राष्ट्र के खिलाफ लड़े| धुरी राष्ट्र में जर्मनी, इटली और जापान प्रमुख शक्तियां थी| ब्रिटिश फौजियों की दक्षिण पूर्व एशिया में हार होने लगी थी| वही यह आशंका भी प्रबल होती जा रही थी| कि कहीं जापान भारत पर हमला न कर दे| एक समय यह भी तय माना जाने लगा था कि जापान भारत पर हमला कर ही देगा|
भारत में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आजादी की लड़ाई जारी थी| ऐसे हालात में ब्रिटेन को भारत से समर्थन की कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी| मित्र देश अमेरिका, रूस और चीन ब्रिटेन पर लगातार दबाब बना रहे थे| कि इस संकट की घड़ी में भारतीयों का समर्थन हासिल करने के लिए पहल करे|
इधर राष्ट्रवादी नेताओं ने भारत को पूरी तरह आजाद कराने के लिए ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री पर दबाब डाला| भारतीय गवर्नर जनरल ने 3 सितंबर 1939 को भारत को जर्मनी खिलाफ युद्ध में शामिल होने की घोषणा कर दी| हालाँकि कांग्रेस का ब्रिटेन का साथ देने के मुद्दे पर मतभेद था| ब्रिटेन हर हालत में भारत का साथ चाहता था| दूसरे विश्व युद्ध के बाद से लगातार ब्रिटेन की हालत खराब होती जा रही थी| जर्मनी ब्रिटेन पर लगातार आक्रामक होता जा रहा था|
अगस्त क्रांति और क्रिप्स मिशन
भारत का समर्थन हासिल करने के मकसद से ब्रिटेन के क्रिप्स मिशन का दाव खेला| क्रिप्स मिशन को मार्च 1942 में भारत भेजा गया| क्रिप्स मिशन ने बाकायदा एक योजना तैयार की| इसके जरिए ब्रिटेन सरकार भारत को पूर्ण स्वतंत्रता देना नहीं चाहती थी| ब्रिटेन भारत को सिर्फ डोमिनियन स्टेट का स्टेटस देना चाहती थी|और इसके लिए भी कोई समय सीमा नहीं तय थी|
वह भारत की सुरक्षा अपने हाथों में ही रखना चाहती थी और साथी गवर्नर जनरल के वीटो अधिकारों को भी पहले जैसा ही रखने के पक्ष में थी| कांग्रेस समेत भारतीय दलों ने क्रिप्स मिशन के सारे प्रस्तावों को खारिज कर दिया| महात्मा गांधी ने क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “आगे की तारीख का चेक था जिसका बैंक नष्ट होने वाला था”|
क्रिप्स मिशन से भारतीयों को निराशा मिली, भारतीय नेताओं को ठगे जाने का एहसास हुआ| वहीं विश्व युद्ध के कारण परिस्थितियां गंभीर होती जा रही थी| जापान सफलतापूर्वक सिंगापुर, मलाया और बर्मा पर कब्जा कर भारत की ओर बढ़ने लगा था| जापान की बढ़ती प्रवृत्ति को देखकर 5 जुलाई 1942 को गांधी जी ने हरिजन में लिखा “अंग्रेजों भारत को जापान के लिए मत छोड़ो बल्कि भारत को भारतीयों के लिए व्यवस्थित रुप से छोड़ कर जाओ”|अंग्रेज सरकार के रवैए से निराश भारतीयों ने यह माना शुरू कर दिया कि साम्राज्यवाद पर अंतिम प्रहार करना आवश्यक हो गया है|
जैसे-जैसे दूसरा विश्व युद्ध आगे बढ़ रहा था वैसे-वैसे भारत की आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही थी| युद्ध के कारण तमाम वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ रहे थे| जिसके लिए अंग्रेज सरकार को जिम्मेदार माना गया| पूर्वी बंगाल में बहुत से लोगों को बिना मुआवजा दिए उनकी जमीनों से वंचित कर दिया गया| सेना के लिए किसानों के घर जबरदस्ती खाली करवाए गए| इन सब वजह से अंग्रेज सत्ता के खिलाफ भारतीय जनमानस में असंतोष चरम पर पहुंच गया था| पूरा माहौल अंग्रेजो के खिलाफ हो गया था और असंतोषजनक आर्थिक स्थिति में भी महात्मा गांधी को भारत छोड़ो आंदोलन चलाने के लिए बाध्य किया|
प्रधानमंत्री मोदी और अगस्त क्रांति
देश को आजादी यूं ही नहीं मिली, आने वाली पीढ़ियां आजाद हवा में सांस ले सके इसके लिए लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी| अगस्त क्रांति या भारत छोड़ो आंदोलन ने जिस आजादी की बुनियाद रखी| उनमे सेकड़ो लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी| जिनकी जानकारी आज भी हमें ब्रिटिश काल के लिखे गए दस्तावेजों से मालूम होती है| प्रधानमंत्री मोदी ने अगस्त क्रांति से जुड़े ऐसे ही एक दस्तावेज को ट्विटर पर साझा किया है
हमारे देश को स्वतंत्रता बहुत ही मुश्किलों से मिली ना जाने कितनी क्रांतियां हुई और कितने क्रांतिकारी शहीद हुए तब जाकर हम अब आजाद भारत में सांस ले रहे हैं| प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हो या अगस्त क्रांति| यह दिन हमें याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता पाने के लिए देश के महान भारतीयों ने कितनी कुर्बानियां दी|
अंग्रेजी सत्ता की नींव हिला देने वाली अगस्त क्रांति के दौरान भी कई देश भक्तों ने अपनी जान गवा दी| इसकी मिसाल है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अगस्त क्रांति को लेकर साझा की गई आधिकारिक रिपोर्ट की कॉपी| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक दिन को याद करते हुए औपनिवेशिक शासकों की ओर से फाइल की गई रिपोर्ट ट्विटर पर साझा की है|
यह दस्तावेज इस बात का सबूत है कि भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए महात्मा गांधी ने किस तरह अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी| इस आंदोलन में देश की आजादी के आंदोलन को काफी तेज कर दिया था| इस दस्ताबेज में बताया गया है कि अगस्त क्रांति के दौरान कौन सी घटना हुई और किन किन महत्वपूर्ण लोगों को गिरफ्तार किया गया और ब्रिटिश हुकूमत ने जनता पर कितनी जुल्म ढाए|
इस दस्तावेज में कहा गया है कि 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन शुरू होने के बाद मुंबई सिटी में गांधी और वर्किंग कमेटी के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है| मुंबई में लोगों पर आंसू गैस के गोले भी दागे गए| रिपोर्ट में 15 जगहों पर पुलिस फायरिंग में 8 लोगों के मारे जाने पर 44 लोगों के घायल होने की जानकारी भी दी गई है|
अगस्त क्रांति में हिंसा
इसके अलावा अहमदाबाद में हड़ताल पर होने वाले पुलिस फायरिंग में एक की मौत की जानकारी है| इसमें कहा गया है कि पुणे में छात्रों की भीड़ पर पुलिस फायरिंग हुई जहां एक की मौत हो गई| इसमें सूरत शहर में आंदोलन को दबाने के लिए सैनिकों को रवाना किए जाने की बात भी कही गई है|
दस्तावेज के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया गया| लखनऊ, इलाहाबाद और कानपुर में हड़ताल की कोशिश हुई| पंजाब के लाहौर और अमृतसर में लोगों ने बड़ी सभाएं की| रिपोर्ट में इस बात की चर्चा की गई है कि बिहार में राजेंद्र प्रसाद और दूसरे नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है|
गांधीजी ने देश के मिजाज को समझने की कोशिश की| उन्होंने पूरे देश का दौरा किया और किसानों की कुछ स्थानीय मुदे में शामिल होना शुरू कर दिया| अंग्रेजों के जुल्मों से उनका पहला टकराव हुआ 1917 में चंपारण में| यहां अंग्रेजों की तीन कठिया व्यवस्था से नील के किसान दम तोड़ रहे थे|अंग्रेजों को गांधी के आगे झुकना पड़ा और इस तरह चंपारण ही दरअसल गांधी के सत्याग्रह की पहली प्रयोगशाला बनी|
इसके बाद 1918 का खेड़ा मजदूर आंदोलन और उसी साल अहमदाबाद के मिल मजदूर आंदोलन में महात्मा गांधी को आम लोगों के बीच मसीहा बना दिया| महात्मा गांधी लोगों के बीच इतने प्रिय हो गए कि उनकी झलक पाने लोग मीलों पैदल चलकर आते थे|
1921 तक महात्मा गांधी ने एक तरह से कांग्रेस की कमान हाथ में ले ली| उन्होंने तुरंत कांग्रेस सदस्यता को समावेशी बनाया ताकि ज्यादा से ज्यादा आम लोग कांग्रेस में जोड़ सकें| इस तरह उन्होंने एक देशव्यापी असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया| हालांकि 1922 में चौरीचौरा हादसे के बाद असहयोग आंदोलन बंद कर दिया गया और गांधीजी जेल चले गए| बाहर आने पर उन्होंने फिर से आंदोलन को जड़ से तैयार करने की कोशिश की| इस दौरान उन्होंने खादी आंदोलन शुरू करने और अस्पृश्यता से छुटकारा पाने और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने पर जोर दिया| 1928 में बारडोली सत्याग्रह में सरदार पटेल की मदद करने के साथ ही 1930 में गांधी ने दांडी मार्च सहित सविनय अवज्ञा शुरू की|
तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरु के नेतृत्व में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की इससे पूरे देश में एक विशाल जन आंदोलन शुरू हो गया|1930 से 1932 के बीच गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने गांधी लंदन गए और वह आजादी के पक्ष में अपने मजबूत तर्कों से पूरी दुनिया का दिल जीत लिया| इसके बाद गांधी ने गांव गांव जाकर लोगों को जागरुक करना जारी रखा| 1942 में गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरु किया जिसने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला कर रख दी है|
भारत छोड़ो आंदोलन संबंधित प्रीवियस इयर प्रश्नों का संग्रह
हाल के वर्षो में भारत छोड़ो आन्दोलन या अगस्त क्रांति से संबंधित पूछे गये प्रश्नों का संग्रह | उत्तर |
भारत छोड़ो’ के दौरान महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया गया था | 9 अगस्त 1 9 42 |
करो या मरो गांधीजी ने इस मंत्र को राष्ट्र को किस समय दिया? | भारत छोड़ो आन्दोलन के समय |
भारत छोड़ो आंदोलन 1 9 42 के किस महीने में लॉन्च किया गया था? | अगस्त |
कांग्रेस ने किस वर्ष में ‘भारत छोड़ो संकल्प’ को अपनाया? | 1942 |
During Quit India Movement, ‘Parallel Government’ was constitutedat | Ballia |
Who was the Viceroy at the time of Quit India Movement ? | Lord Lin Lithgow |
The Working Committee of National Congress sanctioned the resolution named ‘Quit India’ at | Wardha |
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