नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन ड्राफ्ट असम में बसे बंगलादेशी लोगी को बहार निकालने की प्रिक्रिया का हिस्सा हैं| इस पोस्ट में हम जानेगे की की क्या हैं ? नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) और असम समझौता और साथ ही असम से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों को भी देखेंगे जो हाल के वर्षो में पूछे गये हैं और सभी प्रश्न प्रीवियस इयर पर आधारित हैं| 40 लाख लोगो का नाम नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन से हटा दिया हैं और ऐसा अनुमान हैं की ये सभी बांगलादेसी हो सकते हैं| यह काफी संवेदनसील मामला हैं इसलिए इस पर आप अपनी नज़र बनाये रखे| यह आगामी एग्जाम के लिए काफी महत्वपूर्ण विषय बन गया हैं|
असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) का इतिहास
बाहरी बनाम असमिया के मसले पर आंदोलनों का दौर काफी पुराना है 50 के दशक से ही गैर कानूनी रूप से बाहरी लोगों का असम में आना एक राजनीतिक मुद्दा बनने लगा था| औपनिवेशिक काल में बिहार और बंगाल से चाय बागानों में काम करने के लिए बड़ी तादाद में मजदूर असम पहुंचे| अंग्रेजों ने उन्हें यह खाली पड़ी जमीन पर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया इसके अलावा विभाजन के बाद नए से पूर्वी पाकिस्तान पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा से बहुत से लोग असम में जाके बस गये|
1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश में मुसलमान बंगालियों पर जब पाकिस्तानी सेना की हिंसक कार्रवाई शुरू की तो वहां के तकरीबन 1000000 लोगों ने असम में शरण ली| बांग्लादेश बनने के बाद इनमें से ज्यादातर लोग लौट गए लेकिन तकरीबन 100000 लोग वहीं रह गए| 1971 के बाद भी कई बांग्लादेशी असम आते रहे और जल्द ही स्थानीय लोगों को यह लगने लगा कि बाहर से आए लोग उनके संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे|
1978 में ऑल असम स्टूडेंट यूनियन यानि आंसू ने मांग की कि विधानसभा चुनाव कराने से पहले विदेशी घुसपैठियों की समस्या का हल निकाला जाए| बांग्लादेशियों को वापस भेजने के अलावा आंदोलनकारियों ने मांग रखी की 1961 के बाद राज्य में आने वाले लोगों को वापस अपने राज्य भेजा जाए या कहीं और बसाया जाए| आंदोलन उग्र होता गया और राजनीतिक अस्थिरता का माहौल पैदा हो गया|
1983 के विधानसभा चुनाव का राज्य की बड़ी आबादी ने बहिष्कार किया| इस बीच राज्य में आदिवासी भाषाएं और सांप्रदायिक पहचानो के नाम पर बड़े पैमाने पर हिंसा हुई 1984 के आम चुनावों में राज्य के 14 संसदीय क्षेत्रों में चुनाव भी नहीं हो पाए| हिंसा में एक विशेष समुदाय के लोगों को बहुत बर्बरतापूर्ण मारा गया जब वह सोए हुए थे और 1500 से 2000 लोग की हत्या की गई थी इस नरसंहार का नाम नेली नरसंहार रखा गया|
1983 की हिंसा के बाद समझौते के लिए बातचीत की प्रक्रिया शुरू हुई| आखिरकार अगस्त 1984 को केंद्र की तत्कालीन राजीव गांधी सरकार और आंदोलन के नेताओं के बीच समझौता हुआ जिसे असम समझौते के नाम से जाना जाता है|
समझौते के आधार पर मतदाता सूची में संशोधन किया गया और विधानसभा को भंग करके 1985 में ही चुनाव कराए गए| जिसमें नवगठित असम परिषद को बहुमत मिला और पार्टी के युवा नेता और आशु के अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत मुख्यमंत्री बने| समझौते के बाद राज्य में शांति बहाली तो हुई लेकिन उस पर असल मायने में अमल नहीं हो पाया| उल्फा की भूमिगत सक्रियता से कई हिंसक आंदोलन चलते रहे |
2005 में एक बार फिर आंदोलन ने तुल पकड़ा और राज्य में कांग्रेस की सरकार ने दबाव में काम तो शुरू किया| लेकिन कार्यवाही बेहद सुस्त रही| इस बीच पूर्वी बंगाल के मूल लोगों को संदिग्ध वोटर होने के आरोप में प्रताड़ित किए जाने की खबरें आने लगी जिनमें बंगाली हिंदू और मुसलमान दोनों ही शामिल है| आखिरकार 2013 में मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा और अक्टूबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एनआरसी ड्राफ्ट का काम 31 जनवरी 2016 तक पूरा हो जाना चाहिए|
असम समझौता
असम समझौते की पृष्ठभूमि में असम का आंदोलन बिज छिपा हुआ है| असम आंदोलन यहां के स्थानीय लोगों की आर्थिक ,सांस्कृतिक और जातीय पहचान को बचाने और बड़ी संख्या में बाहरी लोगों का असम में प्रवेश को रोकने को लेकर किया गया आंदोलन था| इसके लिए असम के लोगों ने लंबी लड़ाई लड़ी और आंदोलन में कई लोगों की जान गई| आखिरकार 15 अगस्त 1985 को केंद्र सरकार और असम सरकार और स्टूडेंट यूनियन और और असम गण परिषद के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में असम समझौता हुआ|
इस समझौते के तहत संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों, अंतरराष्ट्रीय समझौतों,राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और मानवीय विचारों सहित समस्याओं के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया गया| समझौते के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी की अवैध तरीके से घुस आये विदेशी नागरिकों से असम के लोगों की सुरक्षा और उसे रोकने का उपाय करना| इसके तहत सबसे पहले असम में घुस आए विदेशी नागरिकों की खोज करना था|
असम समझौता प्रावधान क्या था ?
- असम में घुस आए विदेशी नागरिकों की खोज करना और उन्हें वापस भेजना|
- 11 जनवरी 1966 को आधार वर्ष माना गया|
- 1 जनवरी 1966 से पहले असम में आने वाले और 1967 के चुनाव रजिस्टर में शामिल लोगों को नियमित करना|
- 1 जनवरी 1966 के बाद से 24 मार्च 1971 के बीच असम में आए विदेशियों की पहचान करना|
- फॉरेन एक्ट 1946 और फॉरनर्स (ट्रिब्यूनल्स) ऑर्डर 1964 के अनुसार व्यवहार करना|
- असम में रहने वाले विदेशियों का नाम चुनाव रजिस्टर से हटाना|
- संबंधित जिलों के पंजीकरण अधिकारी के पास खुद को पंजीकृत कराना|
- भारत सरकार की ओर से असम सरकार को हर तरह की सहयता देना|
- पहचान की तारीख से दस साल बाद नाम को चुनावी रजिस्टर में शामिल करना|
- दोबारा असम में घुस आए व्यक्तियों को निष्कासित करना।
- 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले विदेशियों का पता लगाना और बाहर करना
- अवैध प्रवासी (ट्रिब्यूनल्स द्वारा निर्धारित) अधिनियम 1983 को लागू करने पर विचार करना|
- धारा 7 में असम की आर्थिक विकास की बात शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर खास ज़ोर देना|
- 1951 से 1961 के बीच असम आए सभी लोगों को नागरिकता और वोट देने का अधिकार दिया जाना|
- 1971 के बाद असम में आए लोगों को वापस भेजने पर सहमति|
- 1961 से 1971 के बीच आने वाले लोगों को नागरिकता लेकिन वोट का अधिकार नहीं था|
- असम के आर्थिक विकास के लिए पैकेज की घोषणा की गई|
- ऑयल रिफ़ाइनरी, पेपर मिल और तकनीकी संस्थान स्थापित करने का फैसला लिया गया|
- सांस्कृतिक, सामाजिक और भाषाई पहचान की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाये गये|
हाल के वर्षो में असम से संबंधित पूछे गये प्रश्न प्रीवियस इयर | उत्तर |
असम और नागालैंड के पहाड़ी वनों में पाया जाने वाला भारत का एकमात्र कपि कौन है ? | गिबन |
असम स्थित काजीरंगा नेशनल पार्क प्रसिद्ध है | गैंडे (Rhinoceros) के लिए |
असम में मानस सेंक्चुअरी किस लिए प्रसिद्ध है ? | हाथियों के लिए |
‘मानस पशु विहार’ किस राज्य में स्थित है ? | असम |
असम राज्य में काम कर रही तेल परिष्करणशालाओं (रिफाइनरियों) की र संख्या कितनी है ? | चार |
माजुली, संसार का सबसे बड़ा नदी द्वीप, किस राज्य में स्थित है ? | असम में |
राज्यों के किस समूह के साथ नागालैण्ड की साझी सीमाएँ हैं ? | अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर |
कामख्या मंदिर किस राज्य का महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है ? | असम |
भक्ति प्रचारक शंकरदेव ने प्रादेशिक भाषाओं में किसका उपयोग करके, उसे लोकप्रिय बनाया था ? | असमिया |
संगीत नाटक अकादमी द्वारा भारतीय शास्त्रीय नृत्य के रूप में केवल सन् 2000 में मान्यता प्राप्त ‘सत्रीया नृत्य’ मूलतः कहाँ का है ? | असम |
धूम्ररहित तम्बाकू के उत्पादन, विपणन, भंडारण, विज्ञापन और उपभोग पर किस राज्य में रोक लगी है ? | असम |
दिग्बोई तेल परिष्करणशाला किस राज्य में स्थित है ? | असम |
गर्म पानी अभयारण्य कहाँ स्थित है ? | दीफू, असम |
कौन-सा लोक-नृत्य असम में फसल कटाई के बाद किया जाने वाला लोक-नृत्य है ? | बिहू |
सत्तरिया किस राज्य का शास्त्रीय नृत्य है ? | असम |
किस अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के चार पूर्वोत्तर राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन का विशेष प्रधान है ? | छठवीं अनुसूची |
भारत के किस क्षेत्र में ‘कामरूप’ एक प्राचीन नाम है ? | असम |
कंचनजंघा राष्ट्रीय उद्यान जिसे कंचनजंघा बायोस्फीयर अभयारण्य भी कहा जाता है, वह कहाँ स्थित है ? | असम |
गैंडे और दरियाई घोड़े किसके जंगलों में पाए जाते हैं? | असम |
अहोम जनजाति भारत के किस राज्य से सम्बन्धित है ? | असम |
डिगबोई तेल क्षेत्र किस राज्य में स्थित है ? | असम |
असम राज्य का नाम उस जनजाति पर रखा गया था जिसने उस क्षेत्र को जीता था यह कबीला कहाँ से आया था ? | बर्मा (म्यांमार) से |
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नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) फाइनल ड्राफ्ट 2018
1947 में मुल्क जब आजाद हुआ तो सरकार को नागरिकों की पहचान की जरूरत महसूस हुई| ले उन्हें आना आजाद भारत में 1951 में पहली जनगणना हुई तो इसमें गांव-गांव जाकर हर एक व्यक्ति के बारे में बुनियादी जानकारी जुटाई गई जिसके आधार पर उनकी नागरिकता की पहचान हुई इसके लिए ही एनआरसी बनाया गया गया था|
- 1951 में तैयार हुई नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी)
- डिप्टी कमिश्नर और एसडीओ ऑफ़िस में संग्रहण किया गया|
- 1960 के दशक में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन ड्राफ्ट पुलिस को सौंप दिया गया|
- नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन में कौन लोग होंगे शामिल
- 24 मार्च 1971 से पहले जो भारत आए।
- पूर्वज या खुद के भारत आने को साबित करना होगा
नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के लिए दस्तावेज़ की सूचि
- 24 मार्च 1971 से पहले भारत आने का साक्ष्य|
- अगर पूर्वज भारत आए तो उनके साथ संबंध का साक्ष्य|
- 24 मार्च 1971 से पहले की मतदाता सूची।
- ज़मीन के काग़ज़ात|
- नागरिकता प्रमाणपत्र|
- शरणार्थी पंजीकरण प्रमाणपत्र|
- पासपोर्ट|
- एलआईसी पॉलिसी।
- सरकार की तरफ़ से जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र|
- सरकारी नौकरी के दस्तावेज़|
- बैंक/डाकघर में खाता|
- जन्म प्रमाणपत्र|
- बोर्ड/विश्वविद्यालय के प्रमाणपत्र|
- अदालत के दस्तावेज़|
आईएमडीटी कानून कुल 310759 मामलों की जांच
- 10015 लोग अवैध प्रवासी घोषित
- साल 2000 तक 1481 लोग ही निष्कासित
असम में एनआरसी इसी दौरान आवेदन पत्र भरवाए गए।
- 2500 एनआरसी सेवा केंद्र हैं|
- एक सेवा केंद्र में औसतन 10 गांव हैं|
- 27 फ़रवरी 2015 से 31 अगस्त 2015 तक लीगेसी डेटा का प्रकाशन|
- इसी दौरान आवेदन पत्र भरवाए गए।
- 31 अगस्त 2015 तक आवेदन पत्र|
- जमा 1 सितंबर 2015 से आवेदन पत्रों की जांच|
- 31 अगस्त 2015 तक आवेदन पत्र जमा|
- 1 सितंबर 2015 से आवेदन पत्रों की जांच|
- असम देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसका नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन यानी एनआरसी है|
- एनआरसी की अंतिम सूची 31 दिसंबर 2018 तक जारी होगी|
- 30 जुलाई 2018 को जारी एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट में दो करोड़ 89 लाख लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है |
- 40 लाख लोग इसमें शामिल नहीं हो सके|
- एनआरसी का पहला ड्राफ्ट 31 दिसंबर 2017 को जारी हुआ था
- एनआरसी का पहला ड्राफ्ट 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे।
घबराएं नहीं अब भी मौका
- दावा और आपत्ति जताने की प्रक्रिया 30 अगस्त से 28 सितंबर तक चलेगी।
कैसे किया गया सत्यापन?
- अब तक 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए।
- सभी जिलों के उपायुक्त, 40 हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारी, 8200 कॉन्ट्रैक्ट आधारित और बाहरी कर्मचारी जुटे रहे।
अवैध नागरिक और वैश्विक व्यवहार
- 1930 में 20 लाख से ज्यादा मैक्सिकन नागरिकों को अमेरिका से वापस भेजा गया|
- 11 लाख अवैध मैक्सिकन नागरिकों को 1954 में अमेरिका से बाहर किया गया|
- 5 लाख अवैध आप्रवासियों को बाहर करने की तैयारी में इटली|
क्यों पड़ी ज़रूरत?
- 1985 का समझौता बांग्लादेश से अवैध आव्रजन के खिलाफ 6 साल तक हिंसक विरोध प्रदर्शनों का नतीजा था|
- 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय 1951 के एनआरसी को अपडेट करने का फैसला हुआ। लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप जुलाई
- 2009 में एपीडब्ल्यू नामक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
- बांग्लादेश के साथ असम की 4,096 किमी की सीमा लगती है।
- जनगणना के आंकड़े 1961 में असम में मुसलमानों की आबादी 23.3 फीसद थी।
- जनगणना के आंकड़े 2011 में मुसलमानों की आबादी बढ़कर 34 फीसद हो गई।
- भाषा के आधार पर आबादी 1991 में 57.8 फीसद असमिया लोग थे, जो 2011 में घटकर 48.3 फीसद हो गए|
- भाषा के आधार पर आबादी 1991 में 21.6 फीसद बांग्ला भाषा भाषी लोग थे, जो 2011 में बढ़कर 28.9 फीसद हो गए|
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