भू वैज्ञानिकों ने धरती के इतिहास में एक नए युग की खोज की है| सबसे खास बात यह है कि नए युग का संबंध भारत के मेघालय से है| वैज्ञानिकों ने आज से 4200 साल पहले शुरु हुए धरती के इतिहास को मेघालय काल या मेघालय युग का नाम दिया है|
दरअसल मेघालय युग की शुरुआत का समय 4200 साल पहले के काल को माना जा रहा है| कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक होलोसिन युग के इस सबसे नवीनतम भाग में पूरी दुनिया में भयानक सूखा पड़ा और तापमान में भी काफी गिरावट दर्ज की गई| इसके चलते पूरे विश्व में कई सभ्यताएं नष्ट हो गई| वैज्ञानिकों द्वारा कई वर्षों के शोध के आधार पर इस मेघालय युग के काल को निर्धारित किया गया है|
इस युग का नाम “मेघालय युग” कैसे पड़ा?
दरअसल इंटरनेशनल कमीशन ऑन स्टैटिक ग्राफ़िक के वैज्ञानिकों ने कई वर्षों के शोध के आधार पर इस मेघालय युग के काल को निर्धारित किया है| इसके लिए शोधकर्ताओं ने मेघालय की एक गुफा से छत से टपक कर जमीन पर जमा हुए चूने के ढेर को जमा किया| उसके बाद उस पर शोध किया गया,तो जिससे धरती के इतिहास में घटित इस सबसे छोटी काल को परिभाषित करने में मदद की|
मेघालय की गुफा की छत से लाखों वर्षों में टपके पानी में घुली खनिजों से बनी नीचे से ऊपर को जाती है एक चटान ने वैज्ञानिकों को ऐसे सुराग मुहैया कराए जिनके आधार पर यह नया काल विभाजन सामने आया| क्योंकि ये गुफा भारत के मेघालय राज्य में पाई गई| इसलिए पूरी दुनिया में इस काल को मेघालय युग का नाम दिया गया|
शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि “हिम युग” के खत्म होने के बाद करीब 200 साल तक जलवायु परिवर्तन ने दुनिया के कई क्षेत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया| वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते ही दुनिया की कई सभ्यताएं जैसे मित्र, सीरिया, फिलिस्तीन आदि का अंत होगया|
- मेघालय युग पर जलवायु परिवर्तन का असर
- हिम युग के बाद जलवायु परिवर्तन से दुनिया की कई सभ्यताएं प्रभावितमिस्र, ग्रीस, सीरिया, फिलिस्तीन, मेसोपोटामिया, सिंधु घाटी सभ्यता और यांग्तजी नदी घाटी सभ्यताओं का अंत
- मेघालय युग का काल 4200 से 1950 तक
मेघालय युग कई मायनों में अनूठा है अपने शुरुआत से ही मेघालय युग वैश्विक जलवायु द्वारा दुनिया के सांस्कृतिक और अन्य परिवर्तनों से काफी मेल खाता है| वैज्ञानिकों के मुताबिक मेघालय युग और मानव संस्कृति के विकास में असाधारण रूप से एकरूपता है|
दरअसल 4.6 अरब साल के धरती के इतिहास को कई काल खंडों में बांटा गया है| हर कालखंड में कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी| इनमे महाद्वीपों का टूटना,पर्यावरण में नाटकीय बदलाव या धरती पर जानवरों पौधों की उत्पत्ति शामिल है|
मेघालय युग
आज हम जिस काल में रह रहे हैं उसे होलोसिन युग के नाम से जाना जाता है| इसमें पिछले 11700 सालों का इतिहास शामिल है| हालाँकि इंटरनेशनल कमीशन ऑन स्टैटिकग्राफ़ि के मुताबिक होलोसिन युग को भी बांटा जा सकता है|
भूवैज्ञानिक इतिहास और समय का आधिकारिक जानकारी रखने की जिम्मेदारी इंटरनेशनल कमीशन ऑन स्टैटिकग्राफ़ि के पास हैं| इंटरनेशनल कमीशन ऑन स्टैटिकग्राफ़ि ने इस युग को चार चरणों में बांटने की बात कही है| इन सब में इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं इनमे सबसे नवीन मेघालय युग को माना जा रहा है|
मेघालय युग का काल 4200 साल पहले से लेकर 1950 तक माना जाता है| मेघालय युग को इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक माना जा रहा है| होलोसिन युग में भी मेघालय युग की विशेषता यह है कि इसे मानव इतिहास की बहुत बड़ी उथल-पुथल से जोड़कर देखा जा सकता है| दो सदी के जिस सूखे ने इसे पिछले युग से अलग किया ,वह पूरी दुनिया में बड़ी सांस्कृतिक बदलाव का वाहक बना| मेघालय युग के कारण न केवल बड़ी-बड़ी सभ्यताएं नष्ट हुई बल्कि मनुष्य की जीवनशैली में जबर्दस्त बदलाव आए |
साल पहले मेसोपोटामिया और हड़प्पा सभ्यता में लिखित साक्ष्य पाए गए| लेकिन हड़प्पा के लिखित साक्ष्य आज तक नहीं पढ़ा जा सके| लेकिन दूसरी तरफ भू वैज्ञानिकों ने इंसान और पृथ्वी के सह-अस्तित्व को समझने की कोशिश की शुरुआत की और इसके लिए पृथ्वी को कई युगों में बांटा गया| पृथ्वी की इसी समय सारणी को प्रागैतिहासिक पंचांग कहा जाता है| इस समय सारणी को अनेक महाकल्पो बांटा गया है| महाकल्प को कल्प में बांटा गया है और कल्पो का विभाजन युग में किया गया हैं|
प्रागैतिहासिक पंचाग
- नूतनजीव महाकल्प यानी सीनोजोनिक एरा नूतनजीव महाकल्प में आखिरी कल्प चौथा यानी क्वार्टरनरी
- आखिरी कल्प में दो युग
- अत्यंतनूतन यानी प्लीस्टोसीन और नूतनतम यानी होलोसीन
- वर्तमान युग होलोसीन ईपॉक
- मौजूदा भूवैज्ञानिक युग 11700 साल पुराना
- होलोसीन ईपॉक के तीन काल ।
- अपर, मिडल और लोअर
अत्यंत नूतन युग में आकर ही दरअसल इंसान ने वातावरण को अपने अनुकूल ढाल लेने के संकेत दिए| इसी युग में 3 बड़े स्तनधारी परिवारों की जड़े जुड़ी है| यह आधुनिक घोड़े, हाथी और मवेशियों के पूर्वज थे| इस दौरान पूरा वातावरण अंतर-हिम युग से गुजरा|
यह युग करीब 20 लाख वर्ष से ईशा पूर्व 12000 तक चला| जब यह जो खत्म हुआ तो जलवायु गर्म और बरसाती हो गई| जलवायु परिवर्तन जीवों और वनस्पतियों के लिए भी कई तब्दीलिया लाये|पर्याप्त वर्षा होने लगी ,जंगल बढ़ने लगे, वनस्पतियां फलने-फूलने लगी और उसी हिसाब से वन्यजीवों का भी विकास हुआ| इस तरह इंसानों के रहने लायक एक युग का निर्माण हुआ जिसमें हम आज भी जी रहे हैं और यही है न्यूनतम यानी होलोसिन युग जिसका एक भाग हैं मेघालय युग|
आखिर किस तरह से होलोसिन युग में से मेघालय युग का निर्धारण किया गया| तो यह जानने की कोशिश करते हैं कि मेघालय युग के काल का निर्धारण दरअसल किन-किन आधार पर किया गया और कैसे किया गया|
किसी चट्टान को देखकर उसकी उम्र का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है| ऐसे में अक्सर यह सवाल हमारे मन में उठता है कि आखिर इसका पता कैसे लगाया जाता है कि कौन सी चट्टान कितनी पुरानी है और वैज्ञानिक इनकी उम्र की पहचान कैसे करते हैं|
दरअसल वैज्ञानिक इसके लिए भूगर्भीय युक्त डेटिंग विधि का प्रयोग करते हैं| इसके द्वारा किसी चट्टान के उम्र का पता लगाया जा सकता है| इसके बाद समय के साथ उसके इतिहास की गणना की जाती है| इसके साथ ही धरती के अतीत की भी गणना होती है जिसमें महाद्वीप का टूटना और जलवायु में बदलाव का होना शामिल है|
इस अध्ययन को भू-गर्व विज्ञानं कहा जाता है| इस में वैज्ञानिकों द्वारा कई शोध किये जाते हैं| हाल ही में हुई घटना और शोध के आधार पर वर्तमान युग को मेघालय युग कहा जा रहा है और इसकी समय की गणना 4200 पहले से लेकर अब तक की गई है|
भूगर्भीय समय का पता किसी भी चट्टान यह धरती के तलछट में छिपी चट्टानों का परीक्षण करके लगाया जाता है| इन चट्टान में जीवाश्म और रासायनिक आइसोटोप होते हैं| जो समय के साथ-साथ शारीरिक और जैविक घटनाओं को उत्पन्न करते हैं|
होलोसिन युग के इन तीनो नए युगों का निर्धारण तलछट में पाए जाने वाले चट्टानों में जमा जीवाश्म और अन्य पदार्थों का अध्ययन करके आ गया है| इसमें समुद्र के तल में पाई जाने वाली चट्टान, बर्फ़ और केलसाइट परते शामिल है|
तलछट परतो के उन अंतराल जिन पर उनकी उम्र निर्धारित होती है उन्हें चरण के रूप में बांटा जाता है| होलोसिन युग के इन तीनों चरणों को एक साथ होलोसिन सीरीज कहा जाता है| मेघालय चरण की निचली सीमा को अंतरराष्ट्रीय भू-ग्रविक स्तर पर मेघालय युग के रुप में पहचाना जाता है|
मानव विकास कालक्रम
- 4600 मिलियन वर्ष – पृथ्वी की उत्पत्ति
- 3500 मिलियन वर्ष – जीवन की शुरूआत
- 30 करोड़ साल – मानव का अस्तित्व
- 6 करोड़ साल – होमिनिड्स की उपस्थिति
- 5.5 से 1.5 करोड़ साल – ऑस्ट्रेलोपेथिकस की
- मौजूदगी 2.2 करोड़ साल – रामपिथिकस और शिवपिथिकस के सबूत
- 2 से 1.5 सहस्त्राब्दि साल – होमो हाबिलिस की उपस्थिति
- 1.8 से 1.6 सहस्त्राब्दि साल – होमो इरेक्टस के सबूत
- 2.3 लाख से 30 हजार सहस्त्राब्दि साल – होमो सेपियन्स की उपस्थिति
- 1.15 लाख साल – होमो सेपियन्स सेपियन्स (आधुनिक इंसान)
मेघालय से संबंधित प्रीवियस इयर प्रश्न
हाल के वर्षो में मेघालय से संबंधित पूछे गये प्रश्न | उत्तर |
भारी वर्षा के कारण मेघालय में मकानों की छतें कैसी बनाई जाती हैं ? | शंकु-आकार की |
किस राज्य में ‘गारो’ और ‘खासी जनजातियाँ पाई जाती हैं ? | मेघालय |
भारत के किस राज्य की क्षेत्रफल एवं जनसंख्या की दृष्टि से समान रैंकिंग स्थिति है ? | मेघालय |
किस अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के चार पूर्वोत्तर राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन का विशेष प्रधान है ? | छठवीं अनुसूची |
भारत के किस राज्य में सर्वाधिक वर्षा होती है ? | मेघालय |
खासी जनजातियाँ कहाँ रहती हैं ? | मेघालय |
अंग्रेजी कहाँ की शासकीय भाषा है ? | मेघालय |
भारत के किस राज्य में बांस की सहायता से टपकाव (ड्रिप) सिंचाई पद्धति प्रचलित है ? | मेघालय |
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