Hindi GK Question (Part-25) | काई एवं लाइकेन,काँटेदार झाड़ियाँ
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Question No. 1
1 pointsकाई एवं लाइकेन पाए जाते हैं-
CorrectANSWER- टुंड्रा वनस्पति में
यदि आप ध्रुवीय प्रदेश में जाएँगे, तो वह स्थान आपको अत्यधिक ठंडा मिलेगा। यहाँ बहुत ही सीमित प्राकृतिक वनस्पति मिलती है। यहाँ केवल काई, लाइकेन एवं छोटी झाडियाँ पाई जाती हैं। ये अल्पकालिक ग्रीष्म ऋतु के दौरान विकसित होती हैं। इसे टुंड्रा प्रकार की वनस्पति कहा जाता है। ये वनस्पतियाँ यूरोप, एशिया एवं उत्तरी अमेरिका के ध्रुवीय प्रदेशों में पाई जाती हैं। यहाँ के जानवरों के शरीर पर मोटा फ़र एवं मोटी चमड़ी होती है, जो उन्हें ठंडी जलवायु में सुरक्षित रखते हैं। यहाँ पाए जाने वाले कुछ जानवर हैं – सील, वालरस, कस्तूरी-बैल, ध्रुवीय उल्लू, ध्रुवीय भालू और बर्फीली लोमड़ी
IncorrectANSWER- टुंड्रा वनस्पति में
यदि आप ध्रुवीय प्रदेश में जाएँगे, तो वह स्थान आपको अत्यधिक ठंडा मिलेगा। यहाँ बहुत ही सीमित प्राकृतिक वनस्पति मिलती है। यहाँ केवल काई, लाइकेन एवं छोटी झाडियाँ पाई जाती हैं। ये अल्पकालिक ग्रीष्म ऋतु के दौरान विकसित होती हैं। इसे टुंड्रा प्रकार की वनस्पति कहा जाता है। ये वनस्पतियाँ यूरोप, एशिया एवं उत्तरी अमेरिका के ध्रुवीय प्रदेशों में पाई जाती हैं। यहाँ के जानवरों के शरीर पर मोटा फ़र एवं मोटी चमड़ी होती है, जो उन्हें ठंडी जलवायु में सुरक्षित रखते हैं। यहाँ पाए जाने वाले कुछ जानवर हैं – सील, वालरस, कस्तूरी-बैल, ध्रुवीय उल्लू, ध्रुवीय भालू और बर्फीली लोमड़ी
- Question 2 of 5
Question No. 2
1 pointsकाँटेदार झाड़ियाँ मिलती हैं-
CorrectANSWER- गर्म एवं शुष्क, रेगिस्तानी जलवायु में
काँटेदार झाड़ियाँ : काँटेदार झाड़ एवं झाड़ियाँ केवल शुष्क क्षेत्रों में पैदा होते हैं। सलीमा हिमालय की यात्रा का अपना यह अनुभव अपने पिता को बता रही थी। उसके पिता विश्व के विभिन्न स्थानों पर जा चुके थे। उन्होंने सलीमा को विभिन्न महाद्वीपों के विभिन्न भागों में पाई जाने वाली विविध प्रकार की वनस्पतियों के बारे में बताया। उन्होंने उपध्रुवीय प्रदेशों में शंकुधारी वन, रेगिस्तानों में काँटेदार झाड़ियों, आर्द्र प्रदेशों में घने उष्णकटिबंधीय दृढ़ काष्ठ वनों के बारे में कई अन्य जानकारियाँ दी। सलीमा समझ गई कि हिमालय के क्षेत्रों में लगभग सभी प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जो भूमध्य रेखा से ध्रुव की ओर जाने पर मिलती हैं।
IncorrectANSWER- गर्म एवं शुष्क, रेगिस्तानी जलवायु में
काँटेदार झाड़ियाँ : काँटेदार झाड़ एवं झाड़ियाँ केवल शुष्क क्षेत्रों में पैदा होते हैं। सलीमा हिमालय की यात्रा का अपना यह अनुभव अपने पिता को बता रही थी। उसके पिता विश्व के विभिन्न स्थानों पर जा चुके थे। उन्होंने सलीमा को विभिन्न महाद्वीपों के विभिन्न भागों में पाई जाने वाली विविध प्रकार की वनस्पतियों के बारे में बताया। उन्होंने उपध्रुवीय प्रदेशों में शंकुधारी वन, रेगिस्तानों में काँटेदार झाड़ियों, आर्द्र प्रदेशों में घने उष्णकटिबंधीय दृढ़ काष्ठ वनों के बारे में कई अन्य जानकारियाँ दी। सलीमा समझ गई कि हिमालय के क्षेत्रों में लगभग सभी प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जो भूमध्य रेखा से ध्रुव की ओर जाने पर मिलती हैं।
- Question 3 of 5
Question No. 3
1 pointsउष्णकटिबंधीय सदाबहार वन का एक सामान्य जानवर-
CorrectANSWER- जिराफ़
उष्णकटिबंधीय घासस्थल : ये वन भूमध्य रेखा के किसी भी तरफ उग जाते हैं और भूमध्य रेखा के दोनों ओर से उष्णकटिबंध क्षेत्रों तक फैले हैं । यहाँ वनस्पति निम्न से मध्य वर्षा वाले क्षेत्रों में पैदा होती है। यह घास काफ़ी ऊँची लगभग 3 से 4 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ सकती है। अफ्रीका का सवाना घासस्थल इसी प्रकार का है। सामान्य रूप से उष्णकटिबंधीय घासस्थल में हाथी, जेबरा, जिराफ़, हिरण, तेंदुआ आदि जानवर पाए जाते हैं
IncorrectANSWER- जिराफ़
उष्णकटिबंधीय घासस्थल : ये वन भूमध्य रेखा के किसी भी तरफ उग जाते हैं और भूमध्य रेखा के दोनों ओर से उष्णकटिबंध क्षेत्रों तक फैले हैं । यहाँ वनस्पति निम्न से मध्य वर्षा वाले क्षेत्रों में पैदा होती है। यह घास काफ़ी ऊँची लगभग 3 से 4 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ सकती है। अफ्रीका का सवाना घासस्थल इसी प्रकार का है। सामान्य रूप से उष्णकटिबंधीय घासस्थल में हाथी, जेबरा, जिराफ़, हिरण, तेंदुआ आदि जानवर पाए जाते हैं
- Question 4 of 5
Question No. 4
1 pointsशंकुधारी वन की एक महत्त्वपूर्ण वृक्ष प्रजाति-
CorrectANSWER- चीड़
उत्तरी गोलार्द्ध के उच्च अक्षांशों (50°-70°) में भव्य शंकुधारी वन पाए जाते हैं।इन्हें ‘टैगा’ भी कहते हैं। ये वन अधिक ऊँचाइयों पर भी पाए जाते हैं। इन्हीं वृक्षों को सलीमा ने हिमालय में प्रचुर मात्रा में देखा था। ये लंबे, नरम काष्ठ वाले सदाबहार वृक्ष होते हैं। इन वृक्षों के काष्ठ का उपयोग लुगदी बनाने के लिए किया जाता है, जो सामान्य तथा अखबारी कागज़ बनाने के काम आती है। नरम काष्ठ का उपयोग माचिस एवं पैकिंग के लिए बक्से बनाने के लिए भी किया जाता है। चीड़, देवदार आदि इन वनों के मुख्य पेड़ हैं। यहाँ सामान्यतः रजत लोमड़ी, मिंक, ध्रुवीय भालू जैसे जानवर पाए जाते हैं।
IncorrectANSWER- चीड़
उत्तरी गोलार्द्ध के उच्च अक्षांशों (50°-70°) में भव्य शंकुधारी वन पाए जाते हैं।इन्हें ‘टैगा’ भी कहते हैं। ये वन अधिक ऊँचाइयों पर भी पाए जाते हैं। इन्हीं वृक्षों को सलीमा ने हिमालय में प्रचुर मात्रा में देखा था। ये लंबे, नरम काष्ठ वाले सदाबहार वृक्ष होते हैं। इन वृक्षों के काष्ठ का उपयोग लुगदी बनाने के लिए किया जाता है, जो सामान्य तथा अखबारी कागज़ बनाने के काम आती है। नरम काष्ठ का उपयोग माचिस एवं पैकिंग के लिए बक्से बनाने के लिए भी किया जाता है। चीड़, देवदार आदि इन वनों के मुख्य पेड़ हैं। यहाँ सामान्यतः रजत लोमड़ी, मिंक, ध्रुवीय भालू जैसे जानवर पाए जाते हैं।
- Question 5 of 5
Question No. 5
1 pointsस्टेपी घासस्थल पाए जाते हैं-
CorrectANSWER-मध्य एशिया
शीतोष्ण कटिबंधीय घासस्थल अर्जेन्टीना – पैंपास
उत्तरी अमेरिका – प्रेअरी दक्षिण
अफ्रीका – वेल्ड
मध्य एशिया – स्टेपी
आस्ट्रेलिया – डान
दक्षिण अफ्रीका
आस्ट्रेलिया
मध्य एशिया
भूमध्यसागरीय वृक्ष, शुष्क ग्रीष्म ऋतु में स्वयं को ढाल लेते हैं। उनकी मोटी छाल । एवं पत्तियाँ वाष्पोत्सर्जन को रोकती हैं। भूमध्यसागरीय प्रदेश को फलों की कृषि के कारण ‘विश्व का फलोद्यान’ भी। कहा जाता है।IncorrectANSWER-मध्य एशिया
शीतोष्ण कटिबंधीय घासस्थल अर्जेन्टीना – पैंपास
उत्तरी अमेरिका – प्रेअरी दक्षिण
अफ्रीका – वेल्ड
मध्य एशिया – स्टेपी
आस्ट्रेलिया – डान
दक्षिण अफ्रीका
आस्ट्रेलिया
मध्य एशिया
भूमध्यसागरीय वृक्ष, शुष्क ग्रीष्म ऋतु में स्वयं को ढाल लेते हैं। उनकी मोटी छाल । एवं पत्तियाँ वाष्पोत्सर्जन को रोकती हैं। भूमध्यसागरीय प्रदेश को फलों की कृषि के कारण ‘विश्व का फलोद्यान’ भी। कहा जाता है।
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