Hindi GK Question (Part-24) – महासागर, वायुमंडल एवं स्थल
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- Question 1 of 3
Question No. 1
1 pointsवह प्रक्रम जिस में जल लगातार अपने स्वरूप को बदलता रहता है और महासागर, वायुमंडल एवं स्थल के बीच चक्कर लगाता रहता है-
CorrectANSWER-जल चक्र
सूर्य के ताप के कारण जल वाष्पित हो जाता है। ठंडा होने पर जलवाष्प संघनित होकर बादलों का रूप ले लेता है। यहाँ से यह वर्षा, हिम अथवा सहिम वृष्टि के रूप में धरती या समुद्र पर नीचे गिरता है। । जिस प्रक्रम में जल लगातार अपने स्वरूप को बदलता रहता है और महासागरों, वायुमंडल एवं धरती के बीच चक्कर लगाता रहता है, उस को जल चक्र कहते हैं
‘लवणता’ 1000 ग्राम जल में मौजूद नमक की मात्रा होती है। महासागर की औसत लवणता, 35 भाग प्रति हज़ार ग्राम है। क्या आप जानते हैं? इजराइल के मृत सागर में 340 ग्राम प्रति लीटर लवणता होती है। तैराक इसमें प्लव सकते हैं, क्योंकि नमक की अधिकता इसे सघन बना देती है।
IncorrectANSWER-जल चक्र
सूर्य के ताप के कारण जल वाष्पित हो जाता है। ठंडा होने पर जलवाष्प संघनित होकर बादलों का रूप ले लेता है। यहाँ से यह वर्षा, हिम अथवा सहिम वृष्टि के रूप में धरती या समुद्र पर नीचे गिरता है। । जिस प्रक्रम में जल लगातार अपने स्वरूप को बदलता रहता है और महासागरों, वायुमंडल एवं धरती के बीच चक्कर लगाता रहता है, उस को जल चक्र कहते हैं
‘लवणता’ 1000 ग्राम जल में मौजूद नमक की मात्रा होती है। महासागर की औसत लवणता, 35 भाग प्रति हज़ार ग्राम है। क्या आप जानते हैं? इजराइल के मृत सागर में 340 ग्राम प्रति लीटर लवणता होती है। तैराक इसमें प्लव सकते हैं, क्योंकि नमक की अधिकता इसे सघन बना देती है।
- Question 2 of 3
Question No. 2
1 pointsसामान्यतः गर्म महासागरीय धाराएँ उत्पन्न होती हैं –
CorrectANSWER-भूमध्य रेखा के निकट
महासागरीय धाराएँ, निश्चित दिशा में महासागरीय सतह पर नियमित रूप से बहने वाली जल की धाराएँ होती हैं। महासागरीय धाराएँ गर्म या ठंडी हो सकती हैं। सामान्यतः गर्म महासागरीय धाराएँ, भूमध्य रेखा के निकट उत्पन्न होती हैं एवं ध्रुवों की ओर प्रवाहित होती हैं। ठंडी धाराएँ, ध्रुवों या उच्च अक्षांशों से उष्णकटिबंधीय या निम्न अक्षांशों की ओर प्रवाहित होती हैं। लेब्राडोर महासागरीय धाराएँ, शीत जलधाराएँ होती हैं; जबकि गल्फस्ट्रीम गर्म जलधाराएँ होती हैं।
22 मार्च ‘विश्व जल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जब जल संरक्षण की विभिन्न विधियों को प्रबलित किया जाता है।
जब समुद्री सतह पर पवन बहती है, तब तरंगें उत्पन्न होती हैं। जितनी ही तेज़ पवन बहती है, तरंगें भी उतनी ही बड़ी होती जाती हैं। “क्या आप जानते हैं। सुनामी जापानी भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ है“पोताश्रय तरंगें” क्योंकि सुनामी । आने पर पोताश्रय नष्ट हो। जाते हैं।
IncorrectANSWER-भूमध्य रेखा के निकट
महासागरीय धाराएँ, निश्चित दिशा में महासागरीय सतह पर नियमित रूप से बहने वाली जल की धाराएँ होती हैं। महासागरीय धाराएँ गर्म या ठंडी हो सकती हैं। सामान्यतः गर्म महासागरीय धाराएँ, भूमध्य रेखा के निकट उत्पन्न होती हैं एवं ध्रुवों की ओर प्रवाहित होती हैं। ठंडी धाराएँ, ध्रुवों या उच्च अक्षांशों से उष्णकटिबंधीय या निम्न अक्षांशों की ओर प्रवाहित होती हैं। लेब्राडोर महासागरीय धाराएँ, शीत जलधाराएँ होती हैं; जबकि गल्फस्ट्रीम गर्म जलधाराएँ होती हैं।
22 मार्च ‘विश्व जल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जब जल संरक्षण की विभिन्न विधियों को प्रबलित किया जाता है।
जब समुद्री सतह पर पवन बहती है, तब तरंगें उत्पन्न होती हैं। जितनी ही तेज़ पवन बहती है, तरंगें भी उतनी ही बड़ी होती जाती हैं। “क्या आप जानते हैं। सुनामी जापानी भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ है“पोताश्रय तरंगें” क्योंकि सुनामी । आने पर पोताश्रय नष्ट हो। जाते हैं।
- Question 3 of 3
Question No. 3
1 pointsदिन में दो बार नियम से महासागरीय जल का उठना एवं गिरना कहलाता है-
CorrectANSWER-ज्वार-भाटा
सूर्य एवं चंद्रमा के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी की सतह पर ज्वार-भाटे आते हैं। जब पृथ्वी का जल चंद्रमा के निकट होता है उस समय चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से जल अभिकर्षित होता हैं, जिसके कारण उच्च ज्वार आते हैं। पूर्णिमा एवं अमावस्या के दिनों में सूर्य, चंद्रमा एवं पृथ्वी तीनों एक सीध में होते हैं और इस समय सबसे ऊँचे ज्वार उठते हैं। इस ज्वार को बृहत् ज्वार कहते हैं। लेकिन जब चाँद अपने प्रथम एवं अंतिम चतुर्थांश में होता है, तो पृथ्वी एवं सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल विपरीत दिशाओं से महासागरीय जल पर पड़ता है, परिणामस्वरूप, निम्न ज्वार-भाटा आता है। ऐसे ज्वार को लघु ज्वार-भाटा कहते हैं। उच्च ज्वार नौसंचालन में सहायक होता है। ये जल-स्तर को तट की ऊँचाई तक पहुँचाते हैं। ये जहाज़ को बंदरगाह तक पहुँचाने में सहायक होते हैं। उच्च ज्वार मछली पकड़ने | में भी मदद करते हैं। उच्च ज्वार के दौरान । अनेक मछलियाँ तट के निकट आ जाती हैं।
IncorrectANSWER-ज्वार-भाटा
सूर्य एवं चंद्रमा के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी की सतह पर ज्वार-भाटे आते हैं। जब पृथ्वी का जल चंद्रमा के निकट होता है उस समय चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से जल अभिकर्षित होता हैं, जिसके कारण उच्च ज्वार आते हैं। पूर्णिमा एवं अमावस्या के दिनों में सूर्य, चंद्रमा एवं पृथ्वी तीनों एक सीध में होते हैं और इस समय सबसे ऊँचे ज्वार उठते हैं। इस ज्वार को बृहत् ज्वार कहते हैं। लेकिन जब चाँद अपने प्रथम एवं अंतिम चतुर्थांश में होता है, तो पृथ्वी एवं सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल विपरीत दिशाओं से महासागरीय जल पर पड़ता है, परिणामस्वरूप, निम्न ज्वार-भाटा आता है। ऐसे ज्वार को लघु ज्वार-भाटा कहते हैं। उच्च ज्वार नौसंचालन में सहायक होता है। ये जल-स्तर को तट की ऊँचाई तक पहुँचाते हैं। ये जहाज़ को बंदरगाह तक पहुँचाने में सहायक होते हैं। उच्च ज्वार मछली पकड़ने | में भी मदद करते हैं। उच्च ज्वार के दौरान । अनेक मछलियाँ तट के निकट आ जाती हैं।
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