Hindi GK Question (Part-11) – TOPICS लिगनाइट, कोलकाता रिशरा, सौर
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Question No. 1
1 pointsनिम्नलिखित में से किस राज्य में प्रमुख तेल क्षेत्र स्थित हैं?
CorrectCorrect Answer – असम
अपरिष्कृत पेट्रोलियम टरश्यरी युग की अवसादी शैलों में पाया जाता है। व्यवस्थित ढंग से तेल अन्वेषण और उत्पादन 1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना के बाद प्रारंभ हुआ। तब तक असम में डिगबोई एकमात्र तेल उत्पादक क्षेत्र था, लेकिन 1956 के बाद परिदृश्य बदल गया। हाल ही के वर्षों में देश के दूरतम पश्चिमी एवं पूर्वी तटों पर नए तेल निक्षेप पाए गए हैं। असम में डिगबोई, नहारकटिया तथा मोरान महत्वपूर्ण तेल क्षेत्रों में तेल के साथ प्राप्त किया जाता है। किंतु इसके प्रकनिष्ठ भंडार (Exclusive reserve) साथ तमिलनाडु के पूर्वी तट, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान तथा गुजरात एवं महाराष्ट्र के अपतटीय कुओं में पाए गए हैं।
IncorrectCorrect Answer – असम
अपरिष्कृत पेट्रोलियम टरश्यरी युग की अवसादी शैलों में पाया जाता है। व्यवस्थित ढंग से तेल अन्वेषण और उत्पादन 1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना के बाद प्रारंभ हुआ। तब तक असम में डिगबोई एकमात्र तेल उत्पादक क्षेत्र था, लेकिन 1956 के बाद परिदृश्य बदल गया। हाल ही के वर्षों में देश के दूरतम पश्चिमी एवं पूर्वी तटों पर नए तेल निक्षेप पाए गए हैं। असम में डिगबोई, नहारकटिया तथा मोरान महत्वपूर्ण तेल क्षेत्रों में तेल के साथ प्राप्त किया जाता है। किंतु इसके प्रकनिष्ठ भंडार (Exclusive reserve) साथ तमिलनाडु के पूर्वी तट, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान तथा गुजरात एवं महाराष्ट्र के अपतटीय कुओं में पाए गए हैं।
- Question 2 of 8
Question No. 2
1 pointsनिम्नलिखित में से किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था?
CorrectCorrect Answer – तारापुर
परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना 1948 में की गई थी। और इस दिशा में प्रगति 1954 में ट्रांबे परमाणु ऊर्जा संस्थान की स्थापना के बाद हुई जिसे बाद में, 1967 में, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के रूप में पुनः नामित किया गया। महत्वपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा परियोजनाएँ- तारापुर (महाराष्ट्र), कोटा के पास रावतभाटा (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु), नरोरा (उत्तर प्रदेश), कैगा (कर्नाटक) तथा काकरापाड़ा (गुजरात) हैं।
नाभिकीय ऊर्जा हाल के वर्षों में नाभिकीय ऊर्जा एक व्यवहार्य स्रोत के रूप में उभरा है। नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले महत्वपूर्ण खनिज यूरेनियम और थोरियम हैं। यूरेनियम निक्षेप धारवाड़ शैलों में पाए जाते हैं। भौगोलिक रूप से यूरेनियम अयस्क सिंहभूम ताँबा पट्टी के साथ अनेक स्थानों पर मिलते हैं। यह राजस्थान के उदयपुर, अलवर, झुंझुनू ज़िलों, मध्य प्रदेश के दुर्ग जिले, महाराष्ट्र के भंडारा जिले तथा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में भी पाया जाता है। थोरियम मुख्यतः केरल के तटीय क्षेत्र की पुलिन बीच (beach) की बालू में मोनाजाइट एवं इल्मेनाइट से प्राप्त किया जाता है। विश्व के सबसे समृद्ध मोनाजाइट निक्षेप केरल के पालाक्काड तथा कोलाम ज़िलों, आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम तथा ओडिशा में महानदी के नदी डेल्टा में पाए जाते हैं।
IncorrectCorrect Answer – तारापुर
परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना 1948 में की गई थी। और इस दिशा में प्रगति 1954 में ट्रांबे परमाणु ऊर्जा संस्थान की स्थापना के बाद हुई जिसे बाद में, 1967 में, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के रूप में पुनः नामित किया गया। महत्वपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा परियोजनाएँ- तारापुर (महाराष्ट्र), कोटा के पास रावतभाटा (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु), नरोरा (उत्तर प्रदेश), कैगा (कर्नाटक) तथा काकरापाड़ा (गुजरात) हैं।
नाभिकीय ऊर्जा हाल के वर्षों में नाभिकीय ऊर्जा एक व्यवहार्य स्रोत के रूप में उभरा है। नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले महत्वपूर्ण खनिज यूरेनियम और थोरियम हैं। यूरेनियम निक्षेप धारवाड़ शैलों में पाए जाते हैं। भौगोलिक रूप से यूरेनियम अयस्क सिंहभूम ताँबा पट्टी के साथ अनेक स्थानों पर मिलते हैं। यह राजस्थान के उदयपुर, अलवर, झुंझुनू ज़िलों, मध्य प्रदेश के दुर्ग जिले, महाराष्ट्र के भंडारा जिले तथा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में भी पाया जाता है। थोरियम मुख्यतः केरल के तटीय क्षेत्र की पुलिन बीच (beach) की बालू में मोनाजाइट एवं इल्मेनाइट से प्राप्त किया जाता है। विश्व के सबसे समृद्ध मोनाजाइट निक्षेप केरल के पालाक्काड तथा कोलाम ज़िलों, आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम तथा ओडिशा में महानदी के नदी डेल्टा में पाए जाते हैं।
- Question 3 of 8
Question No. 3
1 pointsनिम्नलिखित में कौन-सा खनिज ‘भूरा हीरा’ के नाम से जाना जाता है?
CorrectCorrect Answer – लिगनाइट
भूरा कोयला या लिगनाइट तमिलनाडु के तटीय भागों पांडिचेरी, गुजरात और जम्मू एवं कश्मीर में भी पाया जाता है।
IncorrectCorrect Answer – लिगनाइट
भूरा कोयला या लिगनाइट तमिलनाडु के तटीय भागों पांडिचेरी, गुजरात और जम्मू एवं कश्मीर में भी पाया जाता है।
- Question 4 of 8
Question No. 4
1 pointsनिम्नलिखित में कौन-सा ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है?
CorrectCorrect Answer – सौर
फोटोवोल्टाइक सेलों में विपाशित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है जिसे सौर ऊर्जा के नाम से जाना जाता है। सौर ऊर्जा को काम में लाने के लिए जिन दो प्रक्रमों को बहुत ही प्रभावी माना जाता है वे हैं फोटोवोल्टाइक और सौर-तापीय प्रौद्योगिकी। अन्य सभी अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अपेक्षा सौर-तापीय प्रौद्योगिकी अधिक लाभप्रद है। यह लागत प्रतिस्पर्धी, पर्यावरण अनुकूल तथा निर्माण में आसान है। सौर ऊर्जा कोयला अथवा तेल आधारित संयंत्रों की अपेक्षा 7 प्रतिशत अधिक और नाभिकीय ऊर्जा से 10 प्रतिशत अधिक प्रभावी है।
IncorrectCorrect Answer – सौर
फोटोवोल्टाइक सेलों में विपाशित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है जिसे सौर ऊर्जा के नाम से जाना जाता है। सौर ऊर्जा को काम में लाने के लिए जिन दो प्रक्रमों को बहुत ही प्रभावी माना जाता है वे हैं फोटोवोल्टाइक और सौर-तापीय प्रौद्योगिकी। अन्य सभी अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अपेक्षा सौर-तापीय प्रौद्योगिकी अधिक लाभप्रद है। यह लागत प्रतिस्पर्धी, पर्यावरण अनुकूल तथा निर्माण में आसान है। सौर ऊर्जा कोयला अथवा तेल आधारित संयंत्रों की अपेक्षा 7 प्रतिशत अधिक और नाभिकीय ऊर्जा से 10 प्रतिशत अधिक प्रभावी है।
- Question 5 of 8
Question No. 5
1 pointsभारत में सबसे पहले स्थापित की गई लौह-इस्पात कंपनी निम्नलिखित में से कौन-सी है?
CorrectCorrect Answer – टाटा लौह एवं इस्पात कंपनी (टी.आई.एस.सी.ओ.) 1907
टाटा लौह-इस्पात कंपनी (TISCO) । टाटा लौह-इस्पात मुंबई-कोलकाता रेलवे मार्ग के बहुत निकट स्थित है। यहाँ के इस्पात के निर्यात के लिए सबसे नजदीक (लगभग 240 किलोमीटर दूर) पत्तन कोलकाता है। | संयंत्र को पानी सुवर्ण रेखा एवं खारकोई नदियों से, लोहा नोआमंडी और बादाम पहाड़ से, और कोयला जोड़ा खानों (उड़ीसा) से और कोककारी कोयला झरिया और पश्चिमी बोकारो कोयला क्षेत्रों से प्राप्त होता है।
IncorrectCorrect Answer – टाटा लौह एवं इस्पात कंपनी (टी.आई.एस.सी.ओ.) 1907
टाटा लौह-इस्पात कंपनी (TISCO) । टाटा लौह-इस्पात मुंबई-कोलकाता रेलवे मार्ग के बहुत निकट स्थित है। यहाँ के इस्पात के निर्यात के लिए सबसे नजदीक (लगभग 240 किलोमीटर दूर) पत्तन कोलकाता है। | संयंत्र को पानी सुवर्ण रेखा एवं खारकोई नदियों से, लोहा नोआमंडी और बादाम पहाड़ से, और कोयला जोड़ा खानों (उड़ीसा) से और कोककारी कोयला झरिया और पश्चिमी बोकारो कोयला क्षेत्रों से प्राप्त होता है।
- Question 6 of 8
Question No. 6
1 pointsमुंबई में सबसे पहला सूती वस्त्र कारखाना स्थापित किया गया, क्योंकि:-
CorrectCorrect Answer – उपर्युक्त सभी
इस प्रदेश का विकास मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के साथ प्रारंभ हुआ। मुंबई में कपास के पृष्ठ प्रदेश में स्थिति होने और नम जलवायु के कारण मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग का विकास हुआ। 1869 में स्वेज नहर के खुलने के कारण मुंबई पत्तन के विकास को प्रोत्साहन मिला। इस पत्तन के द्वारा मशीनों का आयात किया जाता था। इस उद्योग की आवश्यकता पूर्ति के लिए पश्चिमी घाट प्रदेश में जलविद्युत शक्ति का विकास किया गया। । सूती वस्त्र उद्योग के विकास के साथ रासायनिक उद्योग भी विकसित हुए। मुंबई हाई पेट्रोलियम क्षेत्र और नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र की स्थापना ने इस प्रदेश को अतिरिक्त बल प्रदान किया।
IncorrectCorrect Answer – उपर्युक्त सभी
इस प्रदेश का विकास मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के साथ प्रारंभ हुआ। मुंबई में कपास के पृष्ठ प्रदेश में स्थिति होने और नम जलवायु के कारण मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग का विकास हुआ। 1869 में स्वेज नहर के खुलने के कारण मुंबई पत्तन के विकास को प्रोत्साहन मिला। इस पत्तन के द्वारा मशीनों का आयात किया जाता था। इस उद्योग की आवश्यकता पूर्ति के लिए पश्चिमी घाट प्रदेश में जलविद्युत शक्ति का विकास किया गया। । सूती वस्त्र उद्योग के विकास के साथ रासायनिक उद्योग भी विकसित हुए। मुंबई हाई पेट्रोलियम क्षेत्र और नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र की स्थापना ने इस प्रदेश को अतिरिक्त बल प्रदान किया।
- Question 7 of 8
Question No. 7
1 pointsहुगली औद्योगिक प्रदेश का केंद्र है
CorrectCorrect Answer – कोलकाता रिशरा
हुगली नदी के किनारे बसा हुआ, यह प्रदेश उत्तर में बाँसबेरिया से दक्षिण में बिडलानगर तक लगभग 100 किलोमीटर में फैला है। उद्योगों का विकास पश्चिम में मेदनीपुर में भी हुआ है। कोलकाता-हावड़ा इस औद्योगिक प्रदेश के केंद्र हैं। इसके विकास में ऐतिहासिक, भौगोलिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों ने अत्यधिक योगदान दिया है । इसका विकास हुगली नदी पर पत्तन के बनने के बाद प्रारंभ से हुआ। देश में कोलकाता एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा। इसके बाद, कोलकाता भीतरी भागों से रेलमार्गों और सड़क मार्गों द्वारा जोड़ दिया गया। असम और पश्चिम बंगाल की उत्तरी पहाड़ियों में चाय बगानों के विकास उससे पहले नील का परिष्करण और बाद में जूट संसाधनों ने दामोदर घाटी के कोयला क्षेत्रों और छोटानागपुर पठार के लौह अयस्क के निक्षेपों के साथ मिलकर इस प्रदेश के औद्योगिक विकास में सहयोग प्रदान किया। बिहार के घने बसे भागों, पूर्वी उत्तर प्रदेश और ओडिशा से उपलब्ध सस्ते श्रम ने भी इस प्रदेश के विकास में योगदान दिया। कोलकाता ने अंग्रेज़ी ब्रिटिश भारत की राजधानी (1773-1911) होने के कारण ब्रिटिश पूँजी को भी आकर्षित किया। 1855 में रिशरा में पहली जूट मिल की स्थापना ने इस प्रदेश के आधुनिक औद्योगिक समूहन के युग का प्रारंभ किया। जूट उद्योग का मुख्य केंद्रीकरण हावड़ा और भटपारा में है। 1947 में देश के विभाजन ने इस औद्योगिक प्रदेश को बुरी तरह प्रभावित किया। जूट उद्योग के साथ ही सूती वस्त्र उद्योग भी पनपा। कागज, इंजीनियरिंग , टेक्सटाइल मशीनों, विद्युत, रासायनिक, औषधीय, उर्वरक और पेट्रो-रासायनिक उद्योगों का भी विस्तार हुआ। कोननगर में हिंदुस्तान मोटर्स लिमिटेड का कारखाना और चितरंजन में डीज़ल इंजन का कारखाना इस प्रदेश के औद्योगिक स्तंभ हैं। इस प्रदेश के महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र कोलकाता, हावड़ा, हल्दिया, सीरमपुर, रिशरा, शिबपुर, नैहाटी गुरियह, काकीनारा, श्यामनगर, टीटागढ़, सौदेपुर, बजबज, बिडलानगर, बाँसबेरिया, बेलगुरियह, त्रिवेणी, हुगली, बेलूर आदि हैं। फिर भी इस प्रदेश के औद्योगिक विकास में दूसरे प्रदेशों की तुलना में कमी आई है। जूट उद्योग की अवनति इसका एक कारण है।
IncorrectCorrect Answer – कोलकाता रिशरा
हुगली नदी के किनारे बसा हुआ, यह प्रदेश उत्तर में बाँसबेरिया से दक्षिण में बिडलानगर तक लगभग 100 किलोमीटर में फैला है। उद्योगों का विकास पश्चिम में मेदनीपुर में भी हुआ है। कोलकाता-हावड़ा इस औद्योगिक प्रदेश के केंद्र हैं। इसके विकास में ऐतिहासिक, भौगोलिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों ने अत्यधिक योगदान दिया है । इसका विकास हुगली नदी पर पत्तन के बनने के बाद प्रारंभ से हुआ। देश में कोलकाता एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा। इसके बाद, कोलकाता भीतरी भागों से रेलमार्गों और सड़क मार्गों द्वारा जोड़ दिया गया। असम और पश्चिम बंगाल की उत्तरी पहाड़ियों में चाय बगानों के विकास उससे पहले नील का परिष्करण और बाद में जूट संसाधनों ने दामोदर घाटी के कोयला क्षेत्रों और छोटानागपुर पठार के लौह अयस्क के निक्षेपों के साथ मिलकर इस प्रदेश के औद्योगिक विकास में सहयोग प्रदान किया। बिहार के घने बसे भागों, पूर्वी उत्तर प्रदेश और ओडिशा से उपलब्ध सस्ते श्रम ने भी इस प्रदेश के विकास में योगदान दिया। कोलकाता ने अंग्रेज़ी ब्रिटिश भारत की राजधानी (1773-1911) होने के कारण ब्रिटिश पूँजी को भी आकर्षित किया। 1855 में रिशरा में पहली जूट मिल की स्थापना ने इस प्रदेश के आधुनिक औद्योगिक समूहन के युग का प्रारंभ किया। जूट उद्योग का मुख्य केंद्रीकरण हावड़ा और भटपारा में है। 1947 में देश के विभाजन ने इस औद्योगिक प्रदेश को बुरी तरह प्रभावित किया। जूट उद्योग के साथ ही सूती वस्त्र उद्योग भी पनपा। कागज, इंजीनियरिंग , टेक्सटाइल मशीनों, विद्युत, रासायनिक, औषधीय, उर्वरक और पेट्रो-रासायनिक उद्योगों का भी विस्तार हुआ। कोननगर में हिंदुस्तान मोटर्स लिमिटेड का कारखाना और चितरंजन में डीज़ल इंजन का कारखाना इस प्रदेश के औद्योगिक स्तंभ हैं। इस प्रदेश के महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र कोलकाता, हावड़ा, हल्दिया, सीरमपुर, रिशरा, शिबपुर, नैहाटी गुरियह, काकीनारा, श्यामनगर, टीटागढ़, सौदेपुर, बजबज, बिडलानगर, बाँसबेरिया, बेलगुरियह, त्रिवेणी, हुगली, बेलूर आदि हैं। फिर भी इस प्रदेश के औद्योगिक विकास में दूसरे प्रदेशों की तुलना में कमी आई है। जूट उद्योग की अवनति इसका एक कारण है।
- Question 8 of 8
Question No. 8
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है?
CorrectCorrect Answer – उत्तर प्रदेश
गन्ना एक भार-ह्रास वाली फ़सल है। चीनी और गन्ने का अनुपात 9 प्रतिशत से 12 प्रतिशत के बीच होता है जो इसकी गुणवत्ता पर निर्भर करता है। खेतों में काटकर एकत्रित करने से लेकर ढुलाई की अवधि तक इसमें सुक्रोज की मात्रा सूखती रहती है। गन्ने को खेत से काटने के 24 घंटे के अंदर ही पेरा जाय तो अधिक चीनी की मात्रा प्राप्त होती है। अतः इस प्रदेश के अधिकांश कारखाने गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के निकट ही स्थित हैं। महाराष्ट्र देश में अग्रणी चीनी उत्पादक राज्य के रूप में विकसित हुआ और देश में कुल चीनी उत्पादन के एक-तिहाई से अधिक भाग का उत्पादन करता है। राज्य में 119 चीनी मिलें हैं जो एक सँकरी पट्टी के रूप में उत्तर में मनमाड से लेकर दक्षिण में कोल्हापुर तक विस्तृत हैं। इनमें से 87 मिलें सहकारी सेक्टर में हैं। चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश का द्वितीय स्थान है। चीनी उद्योग दो पेटियों- गंगा-यमुना दोआब और तराई प्रदेश में केंद्रित है। गंगा-यमुना दोआब में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बागपत और बुलंदशहर मुख्य चीनी उत्पादक जिले हैं, जबकि तराई प्रदेश के मुख्य चीनी उत्पादक जिले लखीमपुर खीरी, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, बहराइच हैं।
IncorrectCorrect Answer – उत्तर प्रदेश
गन्ना एक भार-ह्रास वाली फ़सल है। चीनी और गन्ने का अनुपात 9 प्रतिशत से 12 प्रतिशत के बीच होता है जो इसकी गुणवत्ता पर निर्भर करता है। खेतों में काटकर एकत्रित करने से लेकर ढुलाई की अवधि तक इसमें सुक्रोज की मात्रा सूखती रहती है। गन्ने को खेत से काटने के 24 घंटे के अंदर ही पेरा जाय तो अधिक चीनी की मात्रा प्राप्त होती है। अतः इस प्रदेश के अधिकांश कारखाने गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के निकट ही स्थित हैं। महाराष्ट्र देश में अग्रणी चीनी उत्पादक राज्य के रूप में विकसित हुआ और देश में कुल चीनी उत्पादन के एक-तिहाई से अधिक भाग का उत्पादन करता है। राज्य में 119 चीनी मिलें हैं जो एक सँकरी पट्टी के रूप में उत्तर में मनमाड से लेकर दक्षिण में कोल्हापुर तक विस्तृत हैं। इनमें से 87 मिलें सहकारी सेक्टर में हैं। चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश का द्वितीय स्थान है। चीनी उद्योग दो पेटियों- गंगा-यमुना दोआब और तराई प्रदेश में केंद्रित है। गंगा-यमुना दोआब में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बागपत और बुलंदशहर मुख्य चीनी उत्पादक जिले हैं, जबकि तराई प्रदेश के मुख्य चीनी उत्पादक जिले लखीमपुर खीरी, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, बहराइच हैं।
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