दलाई लामा तिब्बत के आध्यात्मिक धर्मगुरु और उनका मूल नाम तेनजिन ग्यात्सो हैं वह आज से क़रीब 60 साल पहले तिबत से भाग कर भारत आये थे| इन 60 सालों में दुनिया काफी हद तक बदल चुकी है दलाई लामा की उम्र आज 80 साल है और वह 29 मई 2011 को तिब्बत के राष्ट्र अध्यक्ष का पद छोड़ चुके हैं|
तेनजिन ग्यात्सो तिब्बती बौद्ध धर्म के चौदहवे दलाई लामा है यानी तिब्बती बौद्ध धर्म में अब तक 14 धर्म गुरुओं को भी दलाई लामा की उपाधि दी गई है|
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* फ्रीडम इन एग्जाईल’ नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं? –दलाई लामा
सभी दलाई लामा की जीवनी एक नज़र में
दलाई लामा | मूल नाम | जन्म | पदासीन | निधन |
पहले दलाई लामा | लामा गेन्दुन द्रुप | 1391 | * | 1474 |
दूसरे दलाई लामा | लामागेंदुन ग्यात्सो | 1475 | 1492 | 1542 |
तीसरे दलाई लामा | सोनम ग्यात्सो | 1543 | 1578 | 1588 |
चौथे दलाई लामा | योंतेन ग्यात्सो | 1589 | 1601 | 1617 |
पांचवें दलाई लामा | ग्वांग लॉबसांग ग्वात्सोजन्म | 1617 | 1642 | 1682 |
छठवें दलाई लामा | त्यांगयांग ग्यात्सोजन्म | 1683 | 1697 | 1706 |
सातवें दलाई लामा | केलजांग ग्यात्सोजन्म | 1708 | 1720 | 1757 |
आठवें दलाई लामा | जामफेल ग्यात्सोजन्म | 1758 | 1762 | 1804 |
नवें दलाई लामा | लुंगतोक ग्यात्सोजन्म | 1805 | 1810 | 1815 |
दसवें दलाई लामा | सत्रिम ग्यात्सोजन्म | 1816 | 1826 | 1837 |
ग्यारहवें दलाई लामा | खेद्रुप ग्यात्सो जन्म | 1838 | 1842 | 1856 |
बारहवें दलाई लामा | त्रिनले ग्यात्सोजन्म | 1857 | 1860 | 1875 |
तेरहवें दलाई लामा | थुबटेन ग्यात्सो जन्म | 1876 | 1879 | 1932 |
चौदहवें दलाई लामा | तेनजिन ग्यात्सो | 1935 | 1937 | * |
दलाई लामा का जीवन परिचय
- जन्म 6 जुलाई 1935 को तिबत के ताकस्तेर में|
- परिवार में नाम ल्हामो दोंडुब रखा गया|
- दो वर्ष की उम्र में दलाई लामा के रूप में पहचान|
- 13वें दलाई लामा थुबटेन ग्यात्सो के|
- अवतार 16 वर्ष की आयु में उनकी मठीय शिक्षाशुरू
- 1959 में ल्हासा में उन्होंने अंतिम परीक्षा दी
- 1949 में तिब्बत पर चीन का हमला में लड़ाई में तिब्बत की बुरी तरह हार
- 1950 में दलाई लामा को राजनीतिक नेतृत्व|
- 1954 में चीन के साथ बीजिंग में शांति वार्ता|
- 1959 में दलाई लामा ने तिब्बत छोड़ा|
लामा तिब्बती बौद्ध हो की परंपरा है दलाई लामा पद पर आसीन व्यक्ति के प्रति लोगों का आध्यात्मिक और राजनीतिक आस्था का सर्वोच्च प्रतीक है इस परंपरा में वर्तमान दलाई लामा अब तक के सबसे ज्यादा समय तक पद पर रहने वाले लामा हैं वह तिब्बतियों की वर्तमान दशा और पीड़ा को दुनिया भर में शांति और सद्भाव पूर्ण तरीके से प्रचारित करने के लिए और आधुनिक विज्ञान के प्रशंसक होने के नाते पूरे विश्व में प्रसिद्ध है |
चीन के तिब्बत पर आक्रमण और उसके द्वारा किए गए अत्याचार के कारण 1959 में दलाई लामा ने तिब्बत छोड़कर भारत में राजनीतिक शरण ली और अब तक वह भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं| दलाई लामा पूरे विश्व में तिब्बतियों के कल्याण तिब्बती बौद्ध धर्म का प्रचार कर रहें हैं|
चीनी आक्रमण के बाद सबसे पहले दलाई लामा ने तिब्बत के सवाल पर संयुक्त राष्ट्र संघ में अपील की इसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने तिब्बत पर 1959 1961 और 1965 में 3 प्रस्ताव पारित किए| 1963 में दलाई लामा ने तिब्बत के प्रजातंत्रीय संविधान का एक प्रारूप प्रस्तुत किया जिसके बाद प्रशासनिक व्यवस्था को प्रजातांत्रिक बनाने के लिए कई संशोधन किए गए |
संयुक्त राष्ट्र संघ में अपील तिब्बत पर प्रस्ताव रखा गया|
- 1959, 1961 और 1965 में संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव
- 1963 में दलाई लामा ने प्रजातंत्रीय संविधान का प्रारूप रखा शांति पहल
पाँच सूत्री शांति योजना
- पूरे तिब्बत को एक शांति क्षेत्र में परिवर्तित किया जाए।
- चीन की जनसंख्या स्थानांतरण की नीति को पूरी तरह छोड़ा जाए।
- शांति पहल पाँच सूत्री शांति योजना|
- तिब्बतियों के आधारभत मानवीय|
- अधिकार और प्रजातंत्रीय स्वतंत्रता की भावना का सम्मान|
- तिब्बत के प्राकृतिक पर्यावरण की पुनस्र्थापना और संरक्षण और चीन द्वारा परमाणु हथियारों के निर्माण और परमाणु कूड़ादान के रूप में तिब्बत का इस्तेमाल न हो|
- तिब्बत के भविष्य की स्थिति और । तिब्बतियों और चीनियों के आपसी संबंधों के विषय में गंभीर बातचीत शुरू की जाए|
इसके बाद 1988 में दलाई लामा ने यूरोपीय संसद में 5 सूत्री शांति योजना के अंतिम बिंदु का विस्तार करते हुए एक और विस्तृत प्रस्ताव रखा|
शांति पहल के लिए यूरोपीय संसद में शांति प्रस्ताव|
- तिब्बत के तीनों प्रांतों में स्वशासित प्रजातंत्रीय राजनैतिक सत्ता के लिए चीनी और तिब्बतियों के बीच बातचीत को शुरू हो|
- यह सत्ता चीनी संघ के साथ होगी और चीन सरकार तिब्बत की विदेश नीति और सुरक्षा के लिए उत्तरदायी होगी|
बौद्ध धर्म में दलाई लामा की खास अहमियत है किसी तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु की मौत के बाद उत्तराधिकारी की खोज की जाती है| यह पूरी प्रक्रिया काफी पेचीदा होती है उत्तराधिकारी का चुनाव वंश परंपरा की बजाय पुनर्जन्म के आधार पर तय होता है|
दुनिया के ज्यादातर धार्मिक संप्रदायों में धर्मगुरुओं को चुना जाता है लेकिन तिब्बत में दलाई लामा को खोजा जाता है मान्यता के मुताबिक दलाई लामा की मौत के बाद उनका पुनर्जन्म होता है और तिब्बती बौद्ध धर्म के बढ़े लामावो द्वारा इसका पता लगाया जाता है यानी दलाईलामा बनने की पूरी प्रक्रिया पुनर्जन्म के विचारों के इर्द-गिर्द घूमती है|दलाई लामा अपनी मौत से पहले कुछ ऐसे संकेत दिए जाते हैं जिनके आधार पर अगले दलाई लामा की खोज की जाती है|
दलाई लामा का अर्थ
- मंगोल और तिब्बती शब्दों का मेल
- मंगोल शब्द दलाई का अर्थ समुद्र या बड़ा
- तिब्बती भाषा में ब्ला-मा शब्द
- ब्ला-मा का अर्थ मास्टर या गुरु
- दलाई लामा का अर्थ ज्ञान का महासागर
दलाई लामा की खोज कैसे की जाती है?
- मौत से पहले दलाई लामा देते हैं संकेत|
- शब्दों और संकेतों के आधार पर खोज|
- तिब्बती अधिकारी, लामा पर खोज की ज़िम्मेदारी|
- दलाई लामा की मौत के 9 माह के अंदर जन्मे बच्चे|
- महीनों और वर्षों तक चलती है खोज|
- खोज के दौरान शासन के लिए प्रतिनिधि नियुक्त|
दलाई लामा दलाई लामा बनाने की प्रक्रिया|
- कठीन शारीरिक और मानसिक परीक्षा|
- पूर्व दलाई लामा की व्यक्तिगत वस्तुओं की पहचान|
- संदेह की स्थिति में पर्चियां निकालकर निर्णय होता हैं|
- मठ से जुड़ी गहन शिक्षा के आधार पर|
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