अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन उपलब्धियों से भरा पड़ा है फिर भी हमारी कोशिश रहेगी की उनके जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण घटना और पहलू को आपके सामने रखे| यहाँ अटल बिहारी वाजपेयी जी की बायोग्राफी(Atal Bihari Vajpayee Biography In Hindi) आप हिंदी में पढ़ पाएंगे और और साथ अटल बिहारी वाजपेयी से संबंधित सभी जानकारी, प्रश्न भी निचे दिए गये है जो हाल के वर्षो में किसी न किसी एग्जाम पे पूछे गये है|
25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी जी का छात्र जीवन से ही राजनीतिक गतिविधियों में गहरा रुझान रहा| पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी कवि होने के साथ-साथ अध्यापक थे, माँ कृष्णा देवी घरेलू महिला थी| अटलजी शुरू से ही पढ़ाई में काफी तेज थे|
अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन परिचय
नाम | अटल बिहारी वाजपेयी जी |
पिता | कृष्णा बिहारी वाजपेयी |
माता | कृष्णा देवी |
जन्म | 25 दिसंबर 1924 (ग्वालियर राज्य, ब्रिटिश भारत (अब मध्य प्रदेश, भारत में) |
निधन | 16 अगस्त 2018 (93 वर्ष की आयु) नई दिल्ली भारत |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी (1980-2018) |
पैसा | लेखक, राजनेता, कवि |
पुरस्कार | भारत रत्न 2015, पद्म विभूषण 1992 |
पत्नी | अविवाहित थे |
श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय से राजनीति का पाठ पढ़ने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी भारतीय जनसंघ के सक्रिय सदस्य रहे| भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे| 1968 से 1973 तक इसके अध्यक्ष का पदभार संभाला, वह पहली बार 1957 में जनसंघ के टिकट पर बलरामपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए|
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार संसद में बोलते हुए वाजपेयी को सुना और कहा कि इस लड़की की जीभा पर सरस्वती विराजमान है| वाजपेयी में देश का भविष्य देखते हुए उन्हें देश के प्रधानमंत्री बनने की क्षमता होने का ऐलान किया और ऐसा हुआ भी वाजपेयी जी ने एक बार नहीं 3 बार प्रधानमंत्री के रूप में भारत की सेवा की|
राजनीति को नया मोड़ देने वाले वाजपेयी 10 बार लोकसभा सदस्य और दो बार राज्यसभा सदस्य चुने गए| पहली बार 1957 में बलरामपुर से लोकसभा सदस्य चुने गए| मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहने का मौका मिला|
अटल बिहारी वाजपेयी जी का राजनीतिक सफ़र
- स्कूल और कॉलेज की शिक्षा ग्वालियर से हुआ|
- राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किये|
- वकालत की पढ़ाई कानपुर विश्वविद्यालय से हुआ|
- भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी रही|
- राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य, स्वदेश और वीर-अर्जुन पत्रिका के संपादक रहे|
- बचपन में ही राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े रहे|
- भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य में से थे|
- 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष बने|
- 1957 में बलरामपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए|
- 1957 में पहली बार सांसद बने|
- 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे|
- विदेश मंत्री के तौर पर संयुक्त राष्ट्र में संबोधन दिए और पहली बार यूएन में हिंदी में भाषण दिया।
इस पद पर रहते हुए उन्होंने पूरी दुनिया में भारत की बातों को मजबूती से रखा| कुशल वक्ता के रूप में वाजपेयी जी का जादू संयुक्त राष्ट्र के सर चढ़कर बोला| विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया और भारत का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया|
1980 में जनता पार्टी के टूटने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी जी ने लालकृष्ण आडवाणी और कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर BJP की नींव रखी है और निर्विरोध पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने|
यह वाजपेयी के व्यक्तित्व और करिश्माई नेतृत्व का नतीजा ही था कि 1984 के लोकसभा चुनाव में 2 सीट पर जीत दर्ज करने वाली पार्टी ने 1989 के चुनाव में पचासी सीट जीतकर भारतीय लोकतंत्र में बीजेपी की दमदार उपस्थिति दर्ज कराई|
वाजपेयी और देश दोनों के लिए 1996 का समय इतिहास में दर्ज हो गया, जब पहली बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी| इसके बाद वाजपेयी पहली बार देश के प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए, यह अलग बात है कि सरकार को सत्ता में 13 दिन ही रहने का मौका मिला|
1998 में देश की जनता ने एक बार फिर बीजेपी और वाजपेयी पर भरोसा जताया और अटल बिहारी वाजपेयी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बने| उनके नेतृत्व में और बीजेपी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए ने केंद्र में सरकार बनाई, यह सरकार 13 महीने तक चली|
अटल बिहारी वाजपेयी जी को प्रधानमंत्री के तौर पर 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका तेरहवी लोकसभा चुनाव के बाद मिला| वाजपेयी 1999 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे और केंद्र में पहली बार किसी गैर कांग्रेसी सरकार ने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया|
करीब 7 दशक तक देश की राजनीति में दमदार भूमिका निभाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी ने लगातार अस्वस्थ रहने के कारण साल 2009 में सक्रिय राजनीति से संयास ले लिया| अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया| अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण राजनीतिक जीवन बेदाग और साफ सुथरा रहा|
वाजपेयी ने हर जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाया, कोमल हृदय के धनी वाजपेयी जी ने हर मौके पर राजनीतिक मजबूती का परिचय दिया| चाहे देश का मुद्दा हो या विदेशी सरकार से संबंधित मामला| हर बार बड़ी ही बेबाकी अपनी राय रखी| अपनी इन्हीं विशेषताओं की वजह से सभी दलों और समुदाय से उन्हें भरपूर सम्मान मिला|
तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| इससे पहले विदेश मंत्री संसद की तमाम महत्वपूर्ण स्थाई समितियों के अध्यक्ष और यहां तक कि विपक्ष के नेता के रूप में उनका अनुभव उनके प्रधानमंत्री काल में काम आया और उन्होंने देश को आगे बढ़ाने में अभूतपूर्व भूमिका निभाई| उनके कार्यकाल में देश ने कई चुनौतियों का न सिर्फ मुकाबला किया बल्कि उन पर विजय पाने में भी कामयाबी हासिल की|
अटल बिहारी वाजपेयी जी की उपलब्धियां
- कावेरी जल विवाद को सुलझाने का अभूतपूर्ण प्रयास|
- बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे के लिए कार्यदल|
- सॉफ्टवेयर विकास के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल|
- केन्द्रीय बिजली नियंत्रण आयोग की स्थापना|
- राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार की स्थापना|
- स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की स्थापना|
- हवाई अड्डों का विकास
- नई टेलीकॉम नीति
- कोंकण रेलवे की शुरुआत
- राष्ट्रीय सुरक्षा समिति
- आर्थिक सलाहकार समिति
- व्यापार एवं उद्योग समिति
- ग्रामीण रोजगार सृजन
- भारतीय मूल के लोगों के लिए बीमा योजना।
- उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान को भारत के हर बच्चे को बुनियादी शिक्षा प्रदान करने के लिए सबसे बड़े शिक्षा कार्यक्रमों में से एक शुरू किया।
- उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिश की, ऐतिहासिक बस यात्रा से फरवरी 1999 में लाहौर से शुरू किया।
- प्रधान मंत्री कार्यालय में अटल बिहारी वाजपेयी के छह साल के कारण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का एक बड़ा परिवर्तन और विस्तार हुआ।
- 1999 के कारगिल युद्ध में, उनके नेतृत्व ने देश की अखंडता और सुरक्षा का बचाव किया|
- एलओसी को पार किए बिना और मुस्कहो घाटी, बटालिक सेक्टर, टोलोलिंग हिलटॉप, टाइगर हिल, ड्रस इत्यादि के अतिक्रमण वाले क्षेत्रों को वापस पाया|
- उन्होंने चार महानगरों (‘गोल्डन चतुर्भुज’) और देश के चार कोनों को जोड़ने, भारत में विश्व स्तरीय राजमार्गों का निर्माण करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) का अनावरण किया।
- प्रधान मंत्री के रूप में, उन्होंने हमेशा केंद्र और राज्यों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों की कोशिश की।
- इन सभी के अलावा, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को जनजातीय मामलों के मंत्रालय, उत्तर-पूर्व क्षेत्र विभाग और सामाजिक कल्याण मंत्रालय को सामाजिक न्याय मंत्रालय में परिवर्तित करने के लिए नए विभागों के निर्माण के लिए याद किया जाता है|
- 25 दिसंबर 2014 को उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें भारत रत्न पुरस्कार की घोषणा की। उनके जन्मदिन, 25 दिसंबर को राष्ट्र को उनकी सेवाओं की मान्यता के रूप में “सुशासन दिवस” घोषित किया गया था।
अटल बिहारी वाजपेयी एक जन नेता थे, सड़क से लेकर संसद तक उनकी बातें और उनके विचार सुनने को आम आदमी से लेकर बड़े से बड़ा नेता उत्सुक रहता| कहा जाता है कि उनकी भाषण कला से प्रभावित होकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कह दिया था कि अटल एक दिन देश के प्रधानमंत्री भी बनेंगे| पंडित नेहरु की भविष्यवाणी सच साबित हुई|
लेकिन यह सफ़र इतना आसान नहीं था, अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने में कड़ी मेहनत की, जनता पार्टी के बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है| बीजेपी ने 1984 के चुनाव में जहां में 2 सीटें जीती थी, वहीं बीजेपी ने 1996 में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया|
1998 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 182 सीटें जीती या अटल बिहारी वाजपेयी जी की व्यक्तिगत छवि और करिश्मा ही था जो 1996 में उनका साथ नहीं देने वाले दल भी इस बार उनके समर्थन में आ गए और इस बार अटल जी के नेतृत्व में 13 महीने के लिए एक बार फिर बीजेपी केंद्र में सत्ता पर काबिज हुई|
लेकिन यह सरकार भी गिर गई 1999 में ही लोकसभा के चुनाव में बीजेपी ने 182 सीटें जीत गए अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक बार फिर सरकार बनाई इस सरकार में न सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी बल्कि पूरी बीजेपी को पहले से कहीं मजबूत पार्टी बना दिया और इस सरकार ने देश को एक नई दिशा देने में कामयाबी हासिल की|
प्रधानमंत्री ने देश के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं लेकिन हर बार अटल जी ने देश को मुश्किलों से उबारने में कामयाबी हासिल की ,वाजपेयी जी ने हमेशा एक मजबूत भारत का सपना देखा था वह चाहते थे कि भारत के शांतिप्रिय होने का कोई विरोध नाजायज फायदा ना उठाएं|
इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए 18 मई 1974 राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण के साथ ही भारत परमाणु शक्ति संपन्न देशों की कतार में शामिल करवा दिया| अटल जी के नेतृत्व में 11 और 13 मई 1998 को दो भूमिगत परमाणु विस्फोट हुए यह विश्व पटल पर एक नए और मजबूत भारत का उदय था|
परमाणु शक्ति संपन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना वाजपेयी जी ने अग्नि सीरीज के और परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिए दृढ़ कदम आगे बढ़ाएं, उन्होंने साफ कर दिया कि वह अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते नीतियां नहीं बनाते, उन्होंने कहा कि खतरा आने से पहले ही उसकी तैयारी होनी चाहिए|
अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर कहते थे कि दोस्त बदले जा सकते हैं लेकिन पडोसी नहीं, वह हमेशा भारत के पड़ोसी देशों से अच्छे संबंधों की वकालत करते थे लेकिन सुरक्षा की कीमत पर नहीं, कुछ इसी सोच के साथ उन्होंने पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया|
वाजपेयी ने पहली बार सीधी बस सेवा 20 फरवरी 1999 शुरू कि और खुद भाईचारे का संदेश लेकर लाहौर गये लेकिन पाकिस्तान को हमेशा की तरह भारत के भाईचारे का संदेश समझ नहीं आया| इधर अटल बिहारी वाजपेयी दोस्ती की इबारत लिख रहे थे|
उधर पाकिस्तान कारगिल युद्ध की तैयारी पूरी कर चुका था| लाइन ऑफ कंट्रोल के पास में आतंकियों के भेष में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय चौकियों पर कब्जा कर चुकी थी लेकिन जैसे ही भारत को इसकी भनक हुई, हमारे जांबाज सैनिकों के शौर्य और साहस ने पाकिस्तान को एक बार फिर मुंह तोड़ जवाब दिया और कारगिल में विजय पताका लहरा दिया|
जिस संयम और दृढ़ता से उन्होंने कारगिल संकट का सामना किया, उसने उन्हें दुनिया के शीर्ष राजनेताओं में शुमार कर दिया| उन्होंने देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए कंधार अपहरण मामले को भी जिम्मेदारी से निभाया|
वाजपेयी जी ने इसके बाद भी अपने नेतृत्व कुशलता से न सिर्फ विदेश नीति में बल्कि घरेलू नीतियों में भी कई सुधार किए| उनके कार्यकाल में ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत हुई इन सब कामों की बदौलत भारतीय राजनीति के सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्तियों में से एक हो गए विपक्ष में रहे तो देश को एक जिम्मेदार विपक्ष का आभास होता रहा और जब देश की कमान उनके हाथ में भारत की अधिकांश जनता महसूस करती रही कि वह वाजपेयी जी के जिम्मेदार हाथों में पूरी तरह से सुरक्षित है|
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एक राजनेता के तौर पर जितने प्यार किये गए उतना ही प्यार उनकी कविताओं को भी मिला| उनकी कविताएं उनके व्यक्तित्व की पहचान ही नहीं बल्कि उनके जीवन को देखने का एक नजरिया भी प्रस्तुत करती है| अपनी कविताओं के जरिए उन्होंने देश के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक में जोश, प्यार देशभक्ति और संवेदना का संचार किया उनकी कविता संग्रह “मेरी इक्यावन कविताएं” के नाम से प्रकाशित हुई जिससे साहित्य प्रेमियों और युवाओं ने काफी लोकप्रिय बना दिया|
अटल जी के महत्वपूर्ण कार्य को “मन की बात” में मोदी जी ने याद किया
63 भारत हमेशा 91वें संशोधन अधिनियम 2003 के लिए अटल जी को हमेशा याद किया जायेगा|
इस बदलाव ने भारत की राजनीति में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन किये।पहला ये कि राज्यों में मंत्रिमंडल का आकार कुल विधानसभा सीटों के 15% तक सीमित किया गया।
दूसरा ये कि दल-बदल विरोधी क़ानून के तहत तय सीमा एक-तिहाई से बढ़ाकर दो-तिहाई कर दी गयी। इसके साथ ही दल-बदल करने वालों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी निर्धारित किये गए।
पहले अंग्रेजों की परम्परा के अनुसार शाम को 5 बजे बजट प्रस्तुत किया जाता था क्योंकि उस समय लन्दन में पार्लियामेंट शुरू होने का समय होता था। वर्ष 2001 में अटल जी ने बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया।
अटल जी ने Indian Flag Code बनाया गया और 2002 में इसे अधिकारित कर दिया गया। जिसके कारन सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगा फहराना संभव हो पाया है| अटल जी के प्रयासों के चलते ही अधिक से अधिक भारतीयों को अपना राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर मिल पाया।
अटल बिहारी वाजपेयी जी से संबंधित प्रश्न
Previous Year Questions Related To Atal Bihari Vajpayee Quiz Coming Soon.
हाल के वर्षो में अटल बिहारी वाजपेयी जी से संबंधित पूछे गये प्रश्न | उत्तर |
भारत सरकार ने भारत के किस पूर्व प्रधानमंत्री के जन्म-दिन पर ‘अच्छा ( शासन दिवस’ मनाने का निर्णय लिया ? | अटल बिहारी वाजपेयी |
यू० एन० जनरल असेम्बली के समक्ष हिन्दी में भाषण देने वाला प्रथम भारतीय कौन थे ? | अटल बिहारी वाजपेयी |
राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना किसके द्वारा शुरू की गई थी ? | अटल बिहारी वाजपेयी |
‘संसद में तीन दशक’ पुस्तक के लेखक कौन हैं ? | अटल बिहारी वाजपेयी |
अटल पेंशन योजना से जुड़ने के लिए न्यूनतम आयु क्या है ? | 18 साल |
अटल पेंशन योजना का शुभारम्भ कब हुआ था ? | 2015 ई० |
अटल पेंशन योजना के अन्तर्गत निश्चित मासिक पेंशन की सीमा क्या है ? | 1000 से 5000 रू० |
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N.k.kushwaha
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And brith history of late atal bihari bajpai.