Drone Laws India 2018 in Hindi – इस पोस्ट में हम पढेंगे कि ड्रोन को भारत सरकार ने कितनी कैटेगरी में विभाजित किया है आप किस तरह ड्रोन उड़ाने का लाइसेंस लाइसेंस पा सकते है लाइसेंस पाने के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या है साथ ही ड्रोन क इस्तेमाल सैन्य कार्यो में किस तरह किया जा रहा है और अंत में ड्रोन के इतिहास पर भी एक नज़र डालेंगे|
भारत में ड्रोन उड़ाने को लेकर कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती है लेकिन जल्द ही देश में ड्रोन उड़ाने को पूरी तरह कानूनी मंजूरी मिल जाएगी| ड्रोन उड़ाने के लिए आपको कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा|
हाल ही में नागर विमानन मंत्रालय ने भारत में ड्रोन को लेकर एक गाइडलाइन तैयार किया है जिसके तहत 1 दिसंबर से आम नागरिक ड्रोन उड़ा सकेंगे| हालांकि इसके लिए ड्रोन र मालिको अपने साथ-साथ अपने ड्रोन का एक बार रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा|
ड्रोन के सुरक्षित इस्तेमाल के मकसद से सरकार ने यह गाइडलाइन तैयार की हैं| नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु के मुताबिक ड्रोन ने एविएशन सेक्टर में नई क्रांति लेकर आया है और उन्होंने कहा की ड्रोन बेहतर इस्तेमाल से कई समस्याओं से मुकाबला करने में आसानी होगी|
ड्रोन कैटेगरी
- नैनो ड्रोन -250 ग्राम से कम वजन का
- माइक्रो ड्रोन -250 ग्राम से ज्यादा और 2 किलो से कम
- मिनी ड्रोन -2 किलो से 25 किलो तक
- स्माल ड्रोन- 25 से 150 किलो तक
- लार्ज ड्रोन-150 किलो से ज्यादा
नैनों के अलावा एनटीआरओ, एआरसी और सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसियों के ड्रोन छोड़कर सभी को रजिस्टर करवाना होगा और ड्रोन को यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर मिलेगा| ड्रोन उड़ाने के लिए ईयर स्पेस को तीन भागों में विभक्त किया गया है|
रेड जोन, इसमें उड़ान की परमिशन नहीं होगी| नियंत्रित वायु क्षेत्र वाले येलो जोन और ऑटो परमिशन के लिए ग्रीन जोन में बांटा गया है| ड्रोन इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल ऐप के जरिए अनुमति लेनी होगी और तुरंत ही स्वचालित तरीके से जानकारी मिल जाएगी|
डिजिटल स्काई को जिला पुलिस मुख्यालय से जोड़ा जाएगा और खास बात यह है कि किसी भी अनुमति के लिए डिजिटल प्रावधान होंगे|
नये नियम के तहत लोगों को हवाई अड्डा, अंतरराष्ट्रीय सीमा, तटरेखा, सचिवालय परिसर के पास ड्रोन उड़ने की इजाजत नहीं है| इसके अलावा सामरिक ठिकानों, सैन्य प्रतिष्ठानों और राजधानी में विजय चौक के आसपास भी ड्रोन उड़ाने के मनाही है| जानकारों के मुताबिक अभी तक ड्रोन के इस्तेमाल को लेकरी अभी तक कोई नियम नहीं थी जिससे लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है| नये नियमावली लागू होने से तस्वीर साफ होगी गई है और अब लोग ड्रोन का इस्तेमाल आराम से कर सकते है|
ड्रोन लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन
ड्रोन का लाइसेंस लेने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं इसके लिए आप की उम्र 18 साल होनी चाहिए, दसवीं क्लास तक पढ़ाई होनी चाहिए और ड्रोन के लिए बुनियादी जानकारी भी जरूरी है| केंद्र सरकार ने हाल में ही कहा कि नए नियम के तहत कृषि, स्वास्थ्य, आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में ड्रोन का वाणिज्य के इस्तेमाल आगामी 1 दिसंबर 2018 से प्रभावी होगा| लेकिन खाद्य सामग्री समेत अन्य वस्तुओं की आपूर्ति की अनुमति फिलहाल नहीं दी जाएगी| ड्रोन उड़ाने के नियम के मुताबिक सभी असेन्य परिचालन को सिर्फ दिन के समय के लिए सीमित रखा जाएगा और उड़ान सिर्फ उन्हीं जगहों तक सीमित रहेगी जहां दृश्यता अच्छी रहेगी|
ड्रोन लाइसेंस ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 1 दिसम्बर 2018 से शुरू होगी| किस तरह ड्रोन लाइसेंस पाने के लिए रजिस्ट्रेशन करना है यह भी 1 दिसम्बर 2018 को ही बतलाया जायेगा|
ड्रोन का इस्तेमाल कहाँ-कहाँ हो रहा है?
आपने देखा होगा कि शादी ब्याह हो या फिल्में में ड्रोन का इस्तेमाल बीते कुछ सालों में बहुत तेजी से बढ़ा है लेकिन उसका इस्तेमाल यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि यह टोही विमान नागरिक सुरक्षा से लेकर इ कॉमर्स के बाजार तक अपनी उपयोगिता साबित कर रहे हैं
भारत में प्राकृतिक आपदाएं हर साल लाखों लोगों की जान लेती है, भूकंप के नजरिए से संवेदनशील पहाड़ी इलाके, मैदानी इलाकों में कहर बरसाती बाढ़ हो या तूफानों के साए में रह रहे तटीय इलाके, आपदा की स्थिति राहत और बचाव के लिए ड्रोन बेहतर साबित हो सकते हैं| कई मौकों पर ड्रोन के इस्तेमाल से राहत एजेंसियों को काफी मदद भी मिली है|
केरल में आई हाल ही में विनाशकारी बाढ़ का हाल जानने के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल किया गया और तब जाकर इसकी असल भयावहता का अंदाजा लग पाया| इन सबके अलावा ड्रोन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल खेती में हो रहा है| दुनिया के कई देशों में किसानों के फसलों की निगरानी से लेकर दवा का छिड़काव कर रहे हैं| भारत के कई इलाकों में खेती फायदेमंद साबित हो रही है|
ड्रोन का एक बड़ा इस्तेमाल कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए भी हो रहा है| सहारनपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान भी उत्तर प्रदेश पुलिस ने ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया था| जिसे पुलिस को हालात पर नजर रखने में काफी मदद मिली थी|
इसके अलावा हैदराबाद पुलिस भी शहर में महिला सुरक्षा के लिए ड्रोन का इस्तेमाल की तैयारी कर रही है| हैदराबाद पुलिस ने ड्रोन सर्विलांस के जरिए असामाजिक तत्वों पर नजर रखने की कवायद शुरू कर दी है|
तेलंगाना करीमनगर में ही नदियों और तालाबों के आसपास खुले में शौच करने वालों पर नजर रखने के लिए ड्रोन प्रयोग शुरु हुआ है| यानी स्वच्छ भारत अभियान तक में ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है|
हाल ही में भारतीय रेल की सुरक्षा और क्षमता बढ़ाने के लिए रेलवे ने बड़ा फैसला लिया है| इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग और ट्रैक मेंटेनेंस की निगरानी और चेकिंग के लिए अब रेलवे ने बड़े पैमाने पर ड्रोन कैमरों के इस्तेमाल का फैसला किया है|
इसके साथ ही राहत और बचाव अभियान की गतिविधियों की निगरानी और महत्वपूर्ण कार्यों की प्रगति के लिए रेलवे द्वारा ड्रोन तैनात किए जाएंगे| रेलवे जल्द ही अपने सभी डिवीजन और में जोन में ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल शुरू करने वाला है| जबलपुर हेड क्वार्टर में सबसे पहले ड्रोन कैमरा का इस्तेमाल शुरू किया गया है जबकि जबलपुर के दूसरे इलाकों, भोपाल और कोटा डिवीजन में भी ड्रोन कैमरों का ट्रायल किया गया है|
सर्वेक्षण करने के लिए प्रोफेशनल फोटोग्राफी और हवाई मैपिंग में ड्रोन का इस्तेमाल फिलहाल हो रहा है| डीजीसीए की ओर से जारी नई ड्रोन पालिसी से ड्रोन के प्रोफेसर इस्तेमाल में भी तेजी आएगी|
कई ई-कॉमर्स कंपनियों ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है हाल ही में Google और Amazon ने ड्रोन के माध्यम से सामान की होम डिलीवरी करने की तैयारी की है| Amazon ने पिछले साल ही भारत में ड्रोन विमानों की तैनाती के लिए पेटेंट भी फाइल किया है| कंपनी की योजना ड्रोन के जरिए घर-घर सामान पहुंचाने की है| हालांकि नई ड्रोन नियम के मुताबिक अभी इन कंपनियों को ड्रोन के जरिए होम डिलीवरी में थोड़ा और इंतजार करना होगा|
ड्रोन का सैन्य इस्तेमाल
दुनिया में जैसे-जैसे साइबर वॉर और स्पेस वार की आशंका बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे हाई टेक्स्ट ड्रोन जरूरत भी बढ़ती जा रही है| सीमा पार से आने वाली चुनौतियों को देखते हुए भारतीय सेना में भी ड्रोन की जरूरत महसूस की जा रही है|
अफगानिस्तान में तालिबान को उखाड़ फेंकने में ड्रोन बेहद कारगर साबित हुए है| दुर्गम पहाड़ी और कबायली इलाकों में जहां किसी अनजान आदमी का पहुंचना लगभग नामुमकिन होता है| वहाँ बंकरो में छिपे आतंकियों का पता लगाने और उन्हें खत्म करने में ड्रोन ने नाटो सैनिकों की काफी मदद की है| तभी से सैन्य अभियानों में ड्रोन की अहमियत का पता पूरी दुनिया को लगा है| ड्रोन के सामरिक रणनीति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन को अपनी संप्रभुता पर खतरा तक बता दिया था|
सीमा के आर पार कुछ इसी तरह की चुनौतियों का सामना भारत भी कर रहा है यही वजह है कि सेना में ड्रोंस और उनसे जुडी तकनीक की जरूरत बढ़ती जा रही है| रक्षा मंत्रालय की टेक्नोलॉजी प्रॉस्पेक्ट एंड कैपेबिलिटी रोड मैप 2018 नाम की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले एक दशक में देश की सेना को 400 रन की जरूरत होगी|
रक्षा मंत्रालय की इस रिपोर्ट में जो रोड मैप जारी किया गया है उसके मुताबिक ड्रोन के अलावा सेना और नेवी को 30 से ज्यादा ऐसे लड़ाकू एयरक्राफ्ट की जरूरत है जिन्हें बिना पायलट के उड़ाया जा सके| रोड मैप में कहा गया है, कि सैन्य बलों को कम और लंबी दूरी के लड़ाकू आरपिए है यानी रिमोट पायलट एयरक्राफ्ट सिस्टम की जरूरत है, जिसमें 30000 फीट ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता हो साथ ऐसे विमानों से 24 घंटे संपर्क साधना भी मुमकिन हो| इसके ड्रोन के पास ऐसी काबिलियत होनी चाहिए जो जमीन और समुद्र से 20 किलोमीटर की दूरी पर निशाना लगा सके|
सीमा के दोनों तरफ होने वाली आतंकी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने रक्षा अनुसंधान संस्थान यानी डीआरडीओ को रुस्तम सीरीज के युएभी यानी मानव रहित विमान बनाने की मंजूरी दी है|
अमेरिकी ड्रोन की तर्ज पर बने रुस्तम-2 का सफल परीक्षण भी किया जा चुका है| इससे पहले इसी श्रेणी का रुस्तम-1 का सफल परीक्षण नवंबर 2009 में ही हो चुका है| भारत को साइबर वॉर और स्पेस वॉर के इस दौर में हाईटेक ड्रोन विमानों की सख्त जरूरत है, जो बाहरी और आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ हर तरह के दुश्मनों की हरकत पर पैनी नजर रख सके|
केंद्र सरकार ने सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इजरायल से भी ड्रोन खरीदे हैं, एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा समय में भारतीय सेना के पास करीब 200 ड्रोन है|
ड्रोन का इतिहास
ड्रोन हमारे बीच में काफी अरसे से हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इनका इस्तेमाल इस कदर बढ़ा है कि यह जीवन के कई क्षेत्रों में नजर आने लगे हैं| दुनिया यूएवी के विकास की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है|
ड्रोन यानी हवा में उड़ान भर्ती मशीन, जिसे हम रिमोट या मोबाइल के जरिए कंट्रोल कर सकते हैं| इसे मानवरहित विमान कहा जाता है, कुछ लोग इसे यांत्रिक पक्षी भी कह देते हैं| हमारे आसमान में कितने ड्रोन उड़ान भर रहे हैं इसे लेकर कोई निश्चित आकड़ा नहीं है, लेकिन सामान डिलीवर करने से लेकर शहरी परिवहन में और निगरानी से लेकर कृषि कार्यों में ड्रोन जबरदस्त योगदान दे रहे हैं|
यह कुछ-कुछ उन खिलौना विमान और हेलीकॉप्टरों जैसा ही है जिन्हें रेडियो रिमोट की सहायता से उड़ाया जाता है हालांकि यह उन रिमोट संचालित खिलौनों से इसलिए बेहतर है क्योंकि यह Android मोबाइल से भी संचालित हो सकता है और उनसे इसलिए बेहतर है कि यह सिर्फ लम्बे वक्त हवा में रह सकता है बल्कि लंबी दूरी तय कर सकता है|
ड्रोन कब बना इसे लेकर कोई निश्चित दावा नहीं किया जा सकता है, लेकिन पहला मानवरहित विमान बनाने की कोशिश है पहले विश्व युद्ध के दौरान शुरू हुई| 1918 में अमेरिकी सेना ने हवाई तारपीडो का निर्माण शुरू किया, कैटरिंग बग नाम के इस यंत्र के कुछ सफल परीक्षण हुए, लेकिन इसका पूर्ण विकास होने से पहले ही विश्व युद्ध खत्म हो गया| हालांकि इसके बाद फिर से मानव रहित यंत्र उड़ाने पर परीक्षण जारी रहे| 1935 में यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एयर फाॅर्स ने रेडियो तरंगों से संचालित और निर्देशित पायलट रहित विमान तैयार किया| इसके लिए पहली बार ड्रोन शब्द का इस्तेमाल हुआ|
फरवरी 2002 को सीआईए ने अफगानिस्तान में ओसामा बिन लादेन को निशाना बनाने के लिए ड्रोन से हमला किया हालांकि जिस जगह को निशाना बनाया गया ओसामा वहां नहीं था|इसके बाद से दुनिया भर में अमेरिकी ड्रोन के जरिए निगरानी के कार्यक्रम चलाए गए, इसी दौरान इजरायल और ईरान जैसे देशों में भी सैन्य और जासूसी ड्रोन का विकास किया गया| भारत में डीआरडीओ और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड कंपनी के ड्रोन का विकास कर रहे हैं|
- जर्मनी में 1942 में वी-1 फ्लाईंग बॉम्ब का परीक्षण
- अमेरिकी में भी प्रशिक्षण के लिए ड्रोन का इस्तेमाल
- अमेरिका का बी-17 फ्लाईंग फोर्टेस नाम का ड्रोन
- 6 अगस्त 1946 को मुरोक आर्मी एयर फील्ड से उड़ान
- वियतनाम युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में यूएवी तैनात
- ड्रोन का इस्तेमाल पर्चे गिराने और टोही गतिविधियों में
- पहली बार किसी को निशाना बनाने के लिए 2002 में
- 14 फरवरी, 2002 को अफगानिस्तान में ड्रोन हमला
- पकटिया प्रांत के ख़ोस्त क़स्बे में ड्रोन से हमला
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