इस पोस्ट में चीन के चांद मिशन चांग ई-4 के बारे में जानकारी दी गई है साथ ही चीन के नकली चांद बनाने और अंतरिक्ष में उसके बढ़ते दखल पर की भी जानकारी दी गई है और हमने चाँद के बारें में NCERT बुक में जो भी जानकारी दी गई है उसको भी इस पोस्ट में जोड़ा गया है ताकि आपको कर्रेंट अफेयर्स के साथ ncert बुक से भी मदद मिल सके|
चीन का चाँद मिशन चांग ई-4
चीन अंतरिक्ष में लगातार नई उपलब्धियां हासिल करने में जुटा है इस कड़ी में उसने अपनी चाँद मिशन के जरिए ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है| चीन ने पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा के अनदेखे हिस्से पर दुनिया का पहला स्पेस प्रोब उतारने में कामयाबी हासिल की है| चीन के चांग ई-4 लूनर रोवर ने सॉफ्ट लैंडिंग के जरिये चाँद के उस पार यानि की धरती से नहीं दिखने वाले हिस्से पर लैंड किया और वहां से तस्वीर भेजी है|
चीन ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई है| इस बार चीन ने गुरुवार यदि 3 जनवरी 2019 को पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा की दूसरी ओर पहला रोवर उतार कर इतिहास रच दिया है| चीन ने पहली बार चांद के डार्क साइड यानी अंधेरे हिस्से पर अंतरिक्ष यान उतारने में कामयाबी हासिल की है| चीन के इस लूनर रोवर का नाम चांग ई-4 है| चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन ने घोषणा की है कि अंतरिक्ष यान में चंद्रमा की दूसरी और सतह पर पहुच चूका है और तस्वीरें भेज रहा है| एक लैंडर और रोवर वाला अंतरिक्ष यान सुबह 10:26 पर 177.6 डिग्री पूर्वी देशांतर और 45.5 डिग्री अक्षांश में चांद के अनदेखे हिस्से में उतरा जो पृथ्वी से कभी नजर नहीं आता है| भारत के चन्द्र मिशन के बारें में यहाँ पढ़े- CLICK HERE
चांग ई-4 का प्रक्षेपण 8 दिसंबर को लॉन्च किया गया था| यह यान चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव एक एक हिस्से में उतरा और वहाँ से उसने एक तस्वीर भेजा है| चंद्रमा का आगे वाला हिस्सा हमेशा धरती के सामने होता है आगे वाले हिस्से में कई समतल स्थान है यहाँ उतरना आसान होता है लेकिन इसकी दूसरी ओर की सतह का क्षेत्र पहाड़ी और काफी उबर-खाबर है|1959 में पहली बार सोवियत संघ ने चंद्रमा की दूसरी तरफ की तस्वीर ली थी लेकिन अभी तक कोई भी चन्द्र लैंडर या रोवर नहीं चंद्रमा की विमुख सतह पर नहीं उतर सका था|
चाँद के जिस हिस्से पर चीन का लूनर रोवर उतरा है वह धरती से काफी दूर है और इसके बारे में कोई बड़ी जानकारी नहीं है| जो हिस्सा हमें दिखता है वह नियर साइड ऑफ द मून कहलाता है| चांद का दूसरा हिस्सा जो हमें नहीं दिखता उसे डार्क साइड ऑफ मून या फार साइड ऑफ मून कहा जाता है| जिस गति से चांद धरती का चक्कर लगाता है उसी गति से वह अपनी धुरी पर भी घूमता है इसलिए धरती से यह हिस्सा नहीं दिखाई देता है|
चांग ई-4 मिशन को सॉफ्ट लैंडिंग के जरिये अंजाम दिया गया है सॉफ्ट लैंडिंग में विमान बहुत ही धीमी गति से चांद की सतह पर उतर जाता है और उसके अंदर उपकरणों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है| दुनिया में यह तकनीक चीन के पास है चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद उम्मीद की जा रही है यह उसकी 27 दिनों तक भ्रमण करेगा|
चीन का चंद्र मिशन चांग ई-4 का मकसद
- चांद के इतिहास और उसके भूविज्ञान के बारे में जानकारी जुटाना|
- चंद्रमा के रहस्यमयी पक्ष का पता लगाना
- डार्क साइड़ पर मौजूद खनिजों के बारे में जानकारी प्राप्त करना|
- एक्सप्लोरर क्विकिओ जानकारी और डेटा भेजेगा|
चांग ई-4 रोवर अपने साथ क्या-क्या लेकर गया है ?
- रोवर अपने साथ कुछ सामान भी ले गया है।जिसमे रेशम के कीड़ों के अंडे, कुछ पत्ते, पौधे, कई तरह के बीज, आलू के बीज है|रेशम के अंडों से कीड़े निकलने परCO2 निकलेगा और पौधे ऑक्सीजन निकालेंगे इससे ये पता करने में आसानी होगी की क्या चांद पर भी पृथ्वी की तरह जीवन हो सकता है।
चीन का अपना ‘चांद
- आसमान में कृत्रिम चांद ” नकली चांद एक शीशे की तरह काम करेगा|
- सूर्य की रोशनी को प्रतिबिंबित कर धरती को रोशनी देगा।
- 3600 वर्ग से 6400 वर्ग किमी के क्षेत्र का कवर करेगा|
- आसमान में कृत्रिम चांद कृत्रिम चांद धरती से 500 किमी की दूरी पर स्थित होगा|
- असली चांद धरती से तीन लाख 84 हज़ार किमी दूर|
- कृत्रिम चांद की रोशनी 10 से 80 किमी के बीच फैलेगी|
- असली चांद के मुक़ाबले 8 गुना रोशनी देगा|
- रोशनी की तीव्रता को एडजस्ट किया जा सकेगा|
- कृत्रिम चांद को समय के मुताबिक कंट्रोल किया जा सकता है|
चीन का अपना ‘चांद कृत्रिम चांद से फायदे
- बिजली पर खर्च बचाना|
- स्ट्रीट लाइट पर आने वाले खर्च से सस्ता है|
- 50 वर्ग किमी के इलाके में रोशनी
- हर साल बिजली खर्च में 17.3 करोड़ डॉलर की बचत
- ब्लैकआउट की स्थिति में राहत के कामों में मददगार
चीन का अपना ‘चांद कृत्रिम चांद बनाने में चुनौती
- नकली चांद को स्थापित करने में दूरी की समस्या है इसके लिए एक स्थिर कक्षा की जरुरत है|
ख़ास इलाके में रोशनी करने के लिए खास जगह पर रखना होगा यदि दिशा में एक डिग्री के 100वें हिस्से की भी चूक से रोशनी दूसरे इलाके में पहुंच जाएगी।
चीन काअंतरिक्ष इतिहास
- चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक क्विआन जुसेन को कहा जाता है|
- 1955 में बैलिस्टिक मिसाइलों और रॉकेट विकसित करने की शुरुआत हुई|
- 1958 में चीन के पहले उपग्रह और रॉकेट को लॉन्च करने की पेशकश की|
- अप्रैल 1970 में चीन ने अपना पहला उपग्रह लॉन्च किया|
- 1980 के दशक के अंत में स्पेस नीति की घोषणा|
- स्पेस शटल और स्पेस स्टेशन विकसित करने की बात|
- स्पेस शटल और स्पेस स्टेशन विकसित करने की बात|
- 1986 में चीन ने वाणिज्यिक अंतरिक्ष लॉन्च बाजार में प्रवेश किया|
- 1999 में चीन का पहला अंतरिक्ष परीक्षण यान लॉन्च किया|
- 2001 में दूसरा अंतरिक्ष परीक्षण यान लॉन्च किया|
- मानव युक्त पहला अंतरिक्ष यान 2003 में लॉन्च किया|
अंतरिक्ष में चीन का बढ़ता दखल
- 2011 में मानव रहित अंतरिक्ष यान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपित|
- शेनजू-8 रॉकेट से छोड़ा गया|
- 2016 में चीन ने अपने दो अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष प्रयोगशाला में भेजा|
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