हम आज जानेगे की भारतीय संसदीय प्रक्रिया में अविश्वास प्रस्ताव क्या है? इसका इतिहास क्या हैं और ये टॉपिक किस तरह हमारे एग्जाम पॉइंट ऑफ़ व्यू से क्यों महत्वपूर्ण हैं? इस पोस्ट में आपकोअविश्वास प्रस्ताव से संबंधित हाल के वर्षो में पूछे गये प्रश्नों के साथ एक क्विज भी दिया गया हैं और की प्रीवियस इयर के प्रश्नों पर आधारित हैं|
- Previous Year Question Related To “No Confidence Motion”(अविश्वास प्रस्ताव )
- Quiz On “No Confidence Motion”(अविश्वास प्रस्ताव )
- संसद में अविश्वास प्रस्ताव इतिहास
- अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या
- लोकसभा में विपक्षी पार्टियों की संख्या
- अविश्वास प्रस्ताव लोक सभा नियमावली
- सरकार के ख़िलाफ़ प्रस्ताव स्थगन प्रस्ताव
- सरकार के खिलाफ़ प्रस्ताव ध्यानाकर्षण प्रस्ताव
- सरकार के खिलाफ़ प्रस्ताव अल्पकालीन चर्चा
- सरकार के खिलाफ़ प्रस्ताव विशेषाधिकार प्रस्ताव
- सरकार के ख़िलाफ़ प्रस्ताव कटौती प्रस्ताव।
हाल के वर्षो में अविश्वास प्रस्ताव से संबंधित पूछे गए प्रश्न | उत्तर |
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव कहाँ प्रस्तुत किया जाता हैं | केवल लोकसभा में |
पहले अविश्वास प्रस्ताव और दूसरे अविश्वास प्रस्ताव के बीच कितना अन्तर होना चाहिए? | 6 महीने |
लोकसभा अध्यक्ष को उसके पद से हटाया जा सकता है, यदि | लोकसभा सदन के कुल सदस्यों के बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है । |
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सत्र के पहले दिन ही सरकार के खिलाफ तेलुगू देशम पार्टी की ओर से लाए गया| अविश्वास प्रस्ताव को लेकर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उसे स्वीकार कर लिया|
अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद राजनीतिक सरगर्मियां काफी तेज हो गई है| सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को इसके जरिए 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले अपनी एकजुटता दिखाने का मौका मिल जाएगा|
Quiz On “No Confidence Motion”(अविश्वास प्रस्ताव )
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संसद में अविश्वास प्रस्ताव इतिहास
- इंदिरा गांधी के ख़िलाफ सबसे ज़्यादा बार
- इंदिरा ने 15 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया
- सबसे ज़्यादा अविश्वास प्रस्ताव ज्योतिर्मय बसु ने पेश किए
- ज्योतिर्मय बसु ने 4 बार पेश किए।
- अटल बिहारी वाजपेयी ने दो बार प्रस्ताव पेश किया
- पहली बार आचार्य जेबी कृपलानी ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया
- जवाहरलाल नेहरू सरकार के ख़िलाफ अविश्वास प्रस्ताव 1963 में लाया गया था
- 347 के मुक़ाबले 62 वोट से गिरा प्रस्ताव
- संसद में अविश्वास प्रस्ताव के कारण पहली बार मोरारजी देसाई की सरकार गिरी|
- मोरारजी देसाई के ख़िलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था पहली बार वो सरकार बचाने में कामयाब रहे थे|
- 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार गिरी|
- 1979 में चौधरी चरण सिंह की सरकार के ख़िलाफ
- चौधरी चरण सिंह ने राष्ट्रपति को त्यागपत्र सौंपा
- 1989 में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के ख़िलाफ प्रस्ताव प्रस्ताव पारित होने पर वीपी सिंह ने इस्तीफा दिया
- 1993 में नरसिंह राव सरकार के ख़िलाफ प्रस्ताव म नरसिंह राव ने सदन में बहुमत साबितकिया
- 1997 में संयुक्त मोर्चा सरकार ने बहुमत खोया
- एचडी देवगौड़ा सरकार को देना पड़ा इस्तीफा
- मार्च 1998 में इन्द्र कुमार गुजराल ने बहुमत खोया
- संयुक्त मोर्चा सरकार को इस्तीफा देना पड़ा
- 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ख़िलाफ प्रस्ताव
- अटल बिहारी वाजपेयी वाजपेयी एक वोट से चूके
- 1996 में वाजपेई बहुमत नहीं जुटा पाए और अविश्वास प्रस्ताव के कारण सरकार गिर गई ।
मानसून सत्र शुरू होने के पहले ही दिन कांग्रेस ने भी मोदी सरकार की विफलताओं के मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की जिससे लोकसभा अध्यक्ष ने मंजूर नहीं किया था|
लोकसभा में संख्या बल की बात करें तो 545 सदस्यों वाली लोकसभा में मौजूदा समय में लोकसभा अध्यक्ष समेत 533 सांसद हैं| यानी बीजेपी को बहुमत हासिल करने के लिए 266 सांसदों का समर्थन चाहिए|
लोकसभा अध्यक्ष को हटाकर बीजेपी के पास अभी 273 सदस्य हैं| इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी दलों में शिवसेना के 18 एलजेपी के अच्छे शिरोमणि अकाली दल के 4 आरएसपी के 3 जेडीयू के 2 हैं|
अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या
- कुल सदस्यों की संख्या – 545
- लोकसभा में मौजूदा सदस्यों की संख्या – 533
- बीजेपी को बहुमत हासिल करने के लिए 266 सांसदों का समर्थन चाहिए।
- बीजेपी-273
- शिवसेना – 18
- एलजेपी-6
- शिरोमणी अकाली दल – 4
- आरएलएसपी -3
- जेडीयू-2
- अपना दल -2
- अन्य -6
- एनडीए – 314
लोकसभा में विपक्षी पार्टियों की संख्या
- कांग्रेस – 48
- टीडीपी – 16
- टीएमसी – 34
- सीपीएम -9
- एनसीपी-7
- सपा-7
- आरजेडी -4
- जेडीएस -1
- एआइएडीएमके – 37
- बीजेडी – 19
- टीआरएस – 11
- आम आदमी पार्टी -4
- वाईएसआर कांग्रेस -4
- एयूडीएफ – 3
- विपक्षी पार्ट के लोक सभा में कुल संख्या-197
अनुछेद 75 में यह कहा गया है कि मंत्री परिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक तौर पर उत्तरदाई होगी| संसद की नियमावली के नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है| प्रस्ताव की प्रकृति इस तरह की है कि इससे विपक्ष का कोई सदस्य ही ला सकता है|
अविश्वास प्रस्ताव लोक सभा नियमावली
- 198 (1)(क) – स्पीकर के बुलाने पर प्रस्ताव रखने की अनुमति मांगनी होगी
- 198 (1) (ख) – सुबह दस बजे तक प्रस्ताव की लिखित सूचना महासचिव को देनी होगी
- 198 (2) – प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम
- 50 सदस्यों का होना जरूरी
- 198 (3) – अनुमति के बाद अध्यक्ष चर्चा के लिए एक या ज्यादा दिन तय करेंगे
- 198 (4) – चर्चा के अंतिम दिन अध्यक्ष
- मतदान के जरिए निर्णय की घोषणा करेंगे
- 198 (5) – अध्यक्ष भाषणों की समय सीमा तय कर सकते हैं।
संसद के किसी भी दल को अगर यह लगता है कि सरकार सदन का विश्वास या बहुमत हो चुकी है तो वह अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है|
शुरुआत में इसे विपक्ष के प्रतीकात्मक विरोध का एक साधन माना जाता था| जिसका मकसद सरकार की जवाबदेही तय करना होता था| लेकिन गठबंधन सरकारों के दौर शुरू होने के बाद विपक्ष के इस हथियार का महत्व काफी बढ़ गया है|
भारत की संसदीय प्रणाली ब्रिटेन के वेस्टमिनिस्टर मॉडल पर आधारित है| ब्रिटेन में ही दुनिया का सबसे पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था|
सरकार के ख़िलाफ़ प्रस्ताव स्थगन प्रस्ताव
- नियम 56 के तहत चर्चा किसी भी गंभीर और महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव लाया जा सकता हैं|
- सदन की नियमित कार्यवाही रोक दी जाती है।
- आमतौर पर शाम चार बजे शुरू होतीहै चर्चा में कम से कम 50 सदस्यों की मंजूरीज़रूरी । स्थगन प्रस्ताव से सरकार को कोई खतरा नहीं होता हैं।
सरकार के खिलाफ़ प्रस्ताव ध्यानाकर्षण प्रस्ताव
- लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति की अनुमति पर
- लोक महत्व के किसी भी मामले पर मंत्री का ध्यान दिलाना
- नियम 197 के तहत चर्चा चर्चा और मतदान नहीं होता
- ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सरकार को कोई खतरा नहीं होता हैं|
सरकार के खिलाफ़ प्रस्ताव अल्पकालीन चर्चा
- गैर सरकारी सदस्य द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
- नियम 193 के तहत चर्चा
- आमतौर पर मंगलवार और गुरुवार को चर्चा
- राज्यसभा में सदन के नेता से चर्चा से के बाद सभापति तय करते हैं तारीख
सरकार के खिलाफ़ प्रस्ताव विशेषाधिकार प्रस्ताव
- सदन के विशेषाधिकार के हनन पर
- नियम 222 के तहत
- मूल प्रस्ताव के विकल्प के तौर पर
सरकार के ख़िलाफ़ प्रस्ताव कटौती प्रस्ताव।
- नियम 209 के तहत चर्चा
- सरकार द्वारा प्रस्तावित धन में कटौती के लिए
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