मेघालय की जयंतिया पहाडियों का जिले के एक कोयला खदान में बीते 17 दिनों से 15 मजदूर फसे हैं| यह मजदूर यहां जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम इन मजदूरों का पता लगाने के लिए जी जान से जुटे हैं| घटना 13 दिसंबर की सुबह की है जब अचानक पानी बढ़ जाने से एक सक्रिय सुरंग के जरिए खदान में पानी घुस आया और मजदूर अंदर से बाहर नहीं आ पाए| खदान में 70 फीट पानी भर गया है, खदान में जिस वक्त मजदूर गुस्से थे उसी के में नजदीकी नदी का पानी खदान घुस आया था| बचाव कर्मी अब तक खदान में घुसे पानी को पूरी तरह से नहीं निकाल पाए हैं एनडीआरएफ टीम लगातार मजदूरों के बचाव कार्य में लगी है लेकिन उनके हाथ कामयाबी नहीं लगी है| एनडीआरएफ की जो टीम खदान के अंदर जाकर पड़ताल कर के वापस लौटे है उनका कहना है कि पानी स्तर में बदलाव नहीं आया है हालाँकि पानी की सतह पर हल्की सी बदबू आ रही है जिससे चिंता और बढ़ गई है|
बचाव कार्य के लिए हालत बेहद मुश्किल है, खदान में पानी भर जाने से न मजदूर निकल पा रहे हैं और ना ही बचाव दल इन तक पहुंच पा रहे हैं| खदान के पास मौजूद नदी का पानी भी उसमें भर गया है| पिछले दो हफ्तों से चल रहे बचाव कार्य में अब तक खदान में से 1200000 लीटर पानी बाहर निकाला गया है लेकिन ऐसा मालूम होता है कि पूरी नदी ही खदान के भीतर घुस गई है| पानी निकालने के लिए 25 हॉर्स पावर के दो पंप लगाए गए हैं लेकिन पानी ज्यादा होने की वजह से यह नाकाफी साबित हो रहे हैं| इस वक्त खदान में जितना पानी है उसे निकालने के लिए 100 हॉर्स पावर के 10 पंप की जरूरत है| एनडीआरएफ समिति सदस्य बचाव दल खदान के पास है लेकिन आधुनिक उपकरणों के नहीं होने की वजह से बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है|
मेघालय में सत्तारूढ़ एमपी बीजेपी सरकार ने कहा है कि राज्य सरकार उन्हें बचाने का हर संभव प्रयास कर रही है| मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा है कि मजदूरों के बचाव अभियान में कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही है| खदान में नदी का पानी ज्यादा जाने से चुनौती और बढ़ गई है| पानी निकालने के लिए उच्च क्षमता वाले पम्पों की जरूरत है| मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का कहना है कि उच्च क्षमता वाले पंपों को मंगवाना और उन्हें घटनास्थल तक लेकर जाना आसान काम नहीं है| राज्य सरकार ने खदान में फंसे मजदूरों के परिवार वालों को ₹100000 अंतरिम राहत राशि देने का ऐलान किया है| बताया जा रहा है कोयले की यह खदान काफी पुरानी और अवैध है| इस तरह की खदान मेघालय में सामान्य बात है, कोयले की ये खदाने बहुत सकड़ी होने के कारण खतरनाक होती है इसमें से कोयला निकालने के लिए मजदूर बांस की सीढ़ी से खदान के अंदर जाते हैं जिनसे अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है| मेघालय में जयंतिया पहाड़ी में पहाड़ियों इलाकों में बहुत से खदान है|
मेघालय के कोयला खदान में फंसे मजदूर 15 मजदूर
- 15 मजदूर में से सात मजदूर वेस्टव गारो हिल्स जिले के है वही पांच मजदूर असम से हैं।तीन लुमथारी गांव के रहने वाले हैं।
- यह घटना शिलांग से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित लुमथारी गांव में हुआ है|
- जबकि 2014 में एनजीटी ने इन खदानों को प्रतिबंधित कर दिया था| प्रतिबंध के बावजूद कोयला खनन का काम जारी था|
- मजदूरों की खबर संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने जांच के लिए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 30 दिन के अंदर एक रिपोर्ट जारी करने को कहा है|
- मेघालय की जिन खदानों से कोयला निकालने की कवायद में मजदूर फसे हैं दरअसल उन खदानों से रैट होल माइनिंग के जरिए कोयला निकालने की कोशिश की जा रही थी| मेघालय में रैट होल माइनिंग के जरिये कोयला निकालने पर प्रतिबंध है|
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी एनजीटी ने 4 साल पहले ही मेघालय में ऐसे खदानों से कोयला खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि ऐसे खदानों से कोयला निकालने का काम रेट माइनिंग के जरिए किया जा रहा था| इसे रेट होल खनन भी कहा जाता है|
रैट होल माइनिंग है?
मेघालय में करीब 64 करोड़ टन कोयले के भंडार है लेकिन यहां बहुत अच्छी क्वालिटी का कोयला नहीं मिलता और उसमें सल्फर की मात्रा बहुत ज्यादा है ज्यादा मुनाफा नहीं होने के चलते यहां कोयला निकालने के लिए ज्यादा खर्च करने की वजह मजदूरों की मदद ली जाती है जो कि काफी खतरनाक होता है| इसके लिए जिस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है उसे रैट होल माइनिंग कहा जाता है दूसरी पारंपरिक खदानों के मुताबिक यह खदानें काफी सकरी होती है और इसमें बेहद मुश्किल हालात में घुस कर मजदूरों के प्रवेश करने और कोयला निकालने के लिए रेट होल खनन में संकुचित खदाने खो दी जाती है जो आम तौर से 3 से 4 फुट ऊंची होती है| इन सुरंगों को रेट होल सुरंग कहा जाता है क्योंकि ऐसे हर सुरंग में एक बार में सिर्फ एक व्यक्ति के गुजरने की जगह होती है| मजदुर लेट कर रेट की तरह इन खदानों में घुसते है इसलिए इनको रेट होल माइनिंग कहा जाता है|
कोयला खदान में हादसे वजह
- जहरीली गैसों का रिसाव|
- हाइड्रोजन सल्फाइड या विस्फोटक प्राकृतिक गैसों का रिसाव, खासकर मीथेन और धूल का विस्फोट|
- खानों का ढहना, खुदाई के कारण भंपक की स्थिति बनना|
- खदान में पानी का रिसाव, खराब खनन उपकरण का इस्तेमाल|
- खनन प्रक्रिया में लापरवाही|
कोयला खदान: भारत में हुए बड़े हादसे
- 1958 में चिनकुरी कोयला खदान में भीषण दुर्घटना जिसमे 182 कोयला मजदूरों की मौत हुई| 1979 में रिलीज हिंदी फिल्म काला पत्थर इसी घटना पर आधारित है|
- 1965 में धनबाद कोयला खदान में भंयकर विस्फोट जिसमे 268 खनिक मारे गए जिसे ढोरी कोलियरी आपदा के रूप में जाना जाता है।
- कोयला खदान में हादसे चासनाला कोयला खदान हादसा,1975 में धनबाद के चासनाला कोयला खदान हादसा हुआ था| पानी घुसने से 372 खनिकों की मौत हो गई थी| खदान के अंदर विस्फोट से छत में आग लग गई। कोयला खदान में हादसे चासनाला कोयला खदान हादसा में जलागार में जमा करीब पांच करोड़ गैलन पानी खदान के अंदर घुसा अंदर काम कर रहे सैकड़ों खनिक पानी में डूब गए।
- भारत में हुए बड़े हादसे 1994 में न्यू कैंडा कोयला खदान आपदा में 55 लोगों की मौत, आग लगने की वजह कार्बन मोनोऑक्साइड का जमा होना था|
- 1995 में गजलीटांड कोलियरी खदान हादसा जिसमे कटरी नदी का पानी खुसने से 64 खनिकों की मौत हो गई|
- 1999 में प्रासकोल खदान दुर्घटना में 6 खनिकों की मौत|
- 2000 में कवाड़ी खदान दुर्घटना में 10 श्रमिकों की मौत|
- 2001 में बागडीगी खदान दुर्घटना में 29 खनिकों की मौत|
- भारत में हुए बड़े हादसे 2003 में गोदावरी खानी में 17 खनिक डूब गए।
- 2005 में झारखंड के सेंट्रल सौंदा में 14 खनिक पानी में डूबे गए|
कोयला खदान: दुनिया में हुए बड़े हादसे
- 1942 में चीन के होनकेको कोयला खदान दुर्घटना जिसमे 1 हजार 549 लोगों की जान चली गई इस दुर्घटना को बेनशिहु कोलियरी आपदा के नाम से जाना जाता है।
- दुनिया के सबसे बड़े कोयला खदान दुर्घटनाओं में से एक,1906 में फ्रांस के और्रिएर खान में आग लगी जिसमे 11 हजार 99 श्रमिकों की मौत होगई|
- 1914 में जापान में मित्सुबिशी होज्यो कोल माइनस हादसा, जिसमे 687 खनिकों की मौत होगई थी|
- 1913 में यूनाइटेड किंगडम में संघहेनेड कोयला खदान दुर्घटना जिसमे 439 श्रमिकों की जान चली गई।
- अक्टूबर 2018 में चीन के शांदोंग प्रांत के कोयला खान में हादसा, 13 से ज्यादा श्रमिकों की मौत|
कोयला खदान काम करने की चुनौती
- बारिश होने से बड़ी परेशानी, बारिश की वजह से खान के उपर और
- अंदर खतरा, पानी की वजह से खान के धंसने का संभावना बन जाती है|
- कच्चा कोयला निकालने में गैस और रासायनिक चीजों का इस्तेमाल|
- गैसों के रख-रखाव ठीक नहीं होने पर रिसाव का खतरा|
- दम घुटने से मजदूरों की जान जाने का खतरा|
- अस्थमा और आंखे खराब होने की समस्या|
- खान में तेज धूल की वजह से सांस लेने में दिक्कत|
- कोयले की धूल फेफड़े में जमा हो जाता है।
- जहरीली गैस और मरकरी कैंसर की वजह|
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