संसद के मानसून सत्र 2018 जो की 18 जुलाई से 14 अगस्त तक चलेगी इसमें भारतीय जनता पार्टी या मोदी सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक लाने की कोशिश में हैं| इनमें तीन तलाक विधेयक, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक, बलात्कार के दोषियों को सख्त दंड का प्रावधान वाला विधेयक काफी महत्वपूर्ण है| बजट सत्र के दौरान अवरोध के चलते इनमें से कुछ विधेयक पेश नहीं हो पाए और कुछ पारित नहीं हो सके थे|
मॉनसून सत्र 2018 के दौरान सरकारी ने पारित कराने की कोशिश करेगी| दरअसल मानसून सत्र के लिए सूचीबद्ध विधिक लोकहित से जुड़े हैं और सरकार इन्हें पारित कराने के लिए विपक्षी दलों से सहयोग चाहती है| तीन तलाक विधेयक, सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है| यह विधेयक लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में लंबित है|
सरकार का जोड़ अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित विधेयक को पारित कराने पर भी है| इसके साथ ही सरकार के अजेंडे में मेडिकल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक और ट्रांसजेंडर से जुड़ा विधेयक भी हैं|
मानसून सत्र 2018 में लंबित विधेयक
- संसद में 68 विधेयक लंबित
- 25 विधेयक सरकार की प्राथमिकता सूची
- 15 विधेयक लोक सभा में लंबित
- 10 विधेयक राज्य सभा में लंबित
- 2018-19 की अनुपूरक अनुदान मांग की मंजूरी शामिल
- 2015-16 की अतिरिक्त अनुदान की मांग भी मंजूरी के लिए सरकारी कामकाज में शामिल
मॉनसून सत्र के दौरान कुछ अध्यादेशों को भी विधायक के रुप में पारित कराने के लिए पेश किया जा सकता है| सदन में 24 दिनों के अंतराल पर कुल 18 बैठकें होंगी| इनमें 6 विधेयक अध्यादेशों की जगह लेंगे| यह अध्यादेश निम्न्लिखित हैं|
मानसून सत्र 2018 में अध्यादेश जो विधेयक बनेंगे
- भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश, 2018
- आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश, 2018 उच्च न्यायालयों की वाणिज्यिक अदालतों औरपीठों से संबंधित अध्यादेश, 2018
- होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल संशोधन अध्यादेश, 2018
- राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश, 2018
- ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया संहिता संशोधन अध्यादेश, 2018
मानसून सत्र 2018 दौरान सरकार कुछ नए विधायक भी सरकार सदन में प्रस्तुत करना चाहती है नए विधेयको में शामिल है|
मानसून सत्र 2018 के नए विधेयक
- एयरपोर्टस इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी
- ऑफ इंडिया संशोधन विधेयक 2018
- वैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपाजिट स्कीम बिल 2018 | मानव अधिकार संरक्षण संशोधन विधेयक 2018
- एमएसएमई विकास संशोधन विधेयक 2018
- नेशनल ट्रस्ट फॉर वेल्फेयर ऑफ पर्सन्स विद मल्टीपल डिसेबिल्टीज विधेयक 2018
- बांध सुरक्षा विधेयक 2018
- ट्रैफिकिंग आफ पर्सन्स प्रीवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन विधेयक 2018
कांग्रेस की अगुवाई में सभी विपक्षी दल सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं दूसरी ओर तेलुगू देशम पार्टी द्वारा मानसून सत्र के दौरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की संभावना है| इसके लिए एन चंद्रबाबू नायडू ने विभिन्न दलों को पत्र लिखकर अविश्वास प्रस्ताव पर उन से समर्थन मांगा है| कांग्रेस में मानसून सत्र में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अन्य विपक्षी दलों का साथ देने का फैसला किया है| लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस अन्य दलों के साथ मिलकर काम करेगी|
संसद का पिछला सत्र यानी बजट सत्र 2018, 6 अप्रैल 2018 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया| यह सत्र 29 जनवरी 2018 को शुरू हुआ था जिसका पहला चरण 9 फरवरी 2018 को स्थगित हुआ| बजट सत्र का दूसरा चरण 5 मार्च को शुरू हुआ जो 6 अप्रैल को स्थगित किया गया|
संसद का बजट सत्र 2018 कामकाज
पहला सत्र का कामकाज
लोक सभा- 29 बैठक
राज्य सभा – 30 बैठक
दूसरे सत्र का कामकाज
लोक सभा -4 प्रतिशत
राज्य सभा – 8 प्रतिशत
कुल कामकाज
लोक सभा -23 प्रतिशत
राज्य सभा – 28 प्रतिशत
भाषांतरण की सुविधा
उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू की पहल पर इस बार मानसून सत्र 2018 के दौरान राज्यसभा के सदस्य सदन में अपनी बात मातृभाषा में रख सकेंगे| संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं के भाषांतरण की सुविधा में अब राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान उपलब्ध रहेगी|
दरअसल उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति बनने के बाद से ही एम वेंकैया नायडू ने अपनी मातृभाषा में सांसदों को अपनी राय रखने के लिए प्रेरित करते रहे हैं उन्होंने इस बात का वादा भी किया था कि वह भारतीय भाषाओं में भाषांतरण की सुविधा भी सदन में उपलब्ध करवाएंगे|
इससे पहले राज्यसभा में 22 भाषाओं में से 12 भाषाओं असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी ,तमिल, तेलुगु और उर्दू में अनुवादक की व्यवस्था मौजूद थी|5 भाषाओं में लोकसभा के अनुवादकों को नियुक्त किया गया| जबकि पांच की व्यवस्था राज्यसभा ने कर ली है ताकि सांसद अपनी भाषा में बिना किसी रूकावट के अपनी बात रख सकें इससे भाषाई विविधता के साथ-साथ एकता भी अलग रंग में दिखेगी|
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