ब्लॉकचेन एक विशेष प्रकार की विकेन्द्रीकृत तकनीक है, जिसमें आँकड़ों का ब्लॉक की एक शृखला होती है, यह जटिल क्रिप्टोग्राफी तकनीक, पारदर्शी तथा सभी के लिए उपलब्धता जैसी विशेषताओं के कारण यह इस समय दुनिया में ब्लॉकचेन तेजी से अपनाई जाने वाली तकनीक बनती जा रही चली जा रही है।
ब्लॉक – ब्लॉकचेन की सबसे छोटी इकाई है प्रत्येक ब्लॉक में किसी समय विशेष पर हुए लेन-देन का लेखा-जोखा होता जमा रहता है एक ब्लॉक में मुख्यतः 5 जानकारियों जमा होती हैं. ब्लॉक संख्या, वर्तमान ब्लॉक का विशिष्ट नम्बर (हैश संख्या), पिछले ब्लॉक का नम्वर, ब्लॉकचेन में इसके जुड़ने का समय और डेटा (ट्रांजेक्शन अथवा आंकडे). किसी भी ब्लॉकचेन के सबसे पहले ब्लॉक को जेनेसिस ब्लॉक कहा जाता हैं, जो अन्य ब्लॉक से थोडा अलग होता है।
ब्लॉक ऊँचाई-जेनेसिस ब्लॉक के बाद कोई ब्लॉक किस नम्बर पर चेन में जुड़ा है. इससे लॉकचेन सम्बन्धी गणनाएं करने में आसानी होती है उदाहरणार्थ बिटकॉइन ब्लॉकचेन में प्रत्येक 10 मिनट पर एक या अधिक ब्लॉक जोड़े जाते हैं. इसी तरह इथोरियम ब्लॉकचेन के लिए लॉक समय 10-20 सेकण्ड होता है, अतः ब्लॉक ऊँचाई की सहायता से ब्लॉकचेन की कुल लम्चाई या दूसरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
माइनिंग-इस प्रक्रिया में दो तरह के कार्य होते हैं पहला, ब्लॉकचेन में जोड़ने के लिए नए ब्लॉक का सृजन और दूसरा, प्रत्येक लेन-देन के सफल होने के लिए किसी अन्य ब्लॉक की वैधता की जाँच करना, जिसे तकनीकी भाषा में प्रूफ ऑफ वर्क (पीओडब्ल्यू) कहते हैं, बिटकॉइन ब्लॉकचेन में नए ब्लॉक के सृजन पर माइनर को प्रोत्साहन राशि के तौर पर बिटकॉइन मिलते हैं। वर्तमान में यह राशि 12.5 बिटकॉइन प्रति ब्लॉक है, जो फरवरी 2020 से घटकर 6.25 बिटकॉइन प्रति ब्लॉक हो जाएगी |
सार्वजनिक और अनुमति प्राप्त ब्लॉकचेन में अन्तर–सार्वजनिक ब्लॉकचेन व्यवस्था में प्रत्येक ब्लॉक की वैधता के लिए कोई भी व्यक्ति माइनर की तरह जुड़ सकता है, जिसके बदले उसे एक प्रोत्साहन राशि मिलती है, वहीं, अनुमति प्राप्त ब्लॉकचेन में इसकी पहुँच एक निर्धारित समूह तक सीमित रहती है।
स्मार्ट कॉन्ट्रेक्ट-स्मार्ट कॉन्ट्रेक्ट ब्लॉकचेन पर संग्रहित विशिष्ट नियमों और शर्तों के तहत दो पार्टियों के बीच होने वाला एक समझौता है. एक बार हस्ताक्षर होने के बाद इसे बदला नहीं जा सकता |
सुरक्षा का स्तर-प्रत्येक ब्लॉक का एक विशिष्ट हैश नम्बर होता है, जिसे शा-256 नामक प्रोग्रामिक एल्गोरिदम से बनाया जाता है, लॉकचेन तकनीक में सभी ब्लॉक एक दूसरे से जुड़े होते हैं. लाखों-अरबों गणनाएं करके यदि किसी विशेष ब्लॉक में बदलाव किया जाता है तो उस ब्लॉक का हैश नम्बर बदल जाएगा, परन्तु अगले ब्लॉक में पहले से ही उस ब्लॉक का होश नम्बर दर्ज रहता है और वह नए बदलाव को अस्वीकार कर देता है. इसीलिए एक बार आँकड़े दर्ज हो जाने के बाद इसमें बदलाव करना लगभग नामुमकिन है. यही जटिल क्रिप्टोग्राफी तकनीक इसकी सुरक्षा करती है।
knowledge source- Pratiyogita Darpan.
Leave a Reply