मानसून की बारिश हर वर्ष जल के रूप में अमृत बरसाते हैं| खेती की लाखों हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है तालाब जल से भर जाते हैं और भूजल स्तर बढ़ जाता है| लेकिन इसी बारिश के कारण जब बाढ़ आती है तो जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचता है इस परेशानी का हल ढूंढने के लिए भारत में जल संसाधन से जुड़े सर्वोच्च तकनीकी संस्थान केंद्रीय जल आयोग ने गूगल के साथ मिलकर कार्य आरंभ किया है| इसका उद्देश्य यह हैं की यह गूगल के आधुनिक तकनीकों जैसे बाढ़ के प्रभावशाली प्रबंधन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता पूर्व अनुमान तथा बाढ़ से जुड़ी जानकारियों का प्रसार करना ताकि समय रहते बाढ़ की चेतावनी दी जा सके|
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दुनिया में लगातार आने वाली प्राकृतिक आपदा है बाढ़| भारी वर्षा के दौरान नदियों की पानी समेटने की घटती क्षमता के कारण यह स्थिति पैदा होती है| भारतीय महाद्वीप की विशिष्ट भौगोलिक संरचना है| इसके कारण भारत के कई हिस्सों में बाढ़ की स्थिति निर्मित होती है| भारत के उत्तर में हिमालय कई बारहमासी नदियों का स्रोत है| मानसून के दौरान भारी बारिश के चलते नदियां उफान पर आ जाती हैं| जिससे आसपास के क्षेत्र जलमगन हो जाते हैं| अक्सर इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों की बसाहट होती है| भारत में प्रमुख रूप से बाढ़ की परिधि में आने वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल ,उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, केरल,असम,बिहार, गुजरात ,उत्तर प्रदेश ,हरियाणा और पंजाब शामिल है|
मौसम के बदलते स्वरूप के कारण राजस्थान भी इस सूची में जुड़ गया है इसका कारण मॉनसून का असामान्य स्वरुप है| जो अरब सागर में कम दबाव वाला क्षेत्र उत्पन्न करता है जिससे राजस्थान के कई हिस्सों में भारी बारिश होती है और रेगिस्तानी राज्य बाढ़ की चपेट में आ जाता है|
गंगा, यमुना, कोशी ,महानंदा,दामोदर ब्रह्मपुत्र जैसी नदियां जब उफान पर आती है तब देश के उत्तर और उत्तर पूर्वी राज्यों में कोहराम मचा देती है| इसके कारण मानव जीवन और पशुधन को नुकसान पहुंचता है फसले और संपत्ति तबाह हो जाती है| कुछ घंटों की बारिश से ही बाढ़ कम समय में व्यापक रुप ले लेती है| प्रभावी बाढ़ प्रबंधन के लिए जल प्रबंधन के क्षेत्र में भारत की शीर्ष तकनीकी संस्थान केंद्रीय जल आयोग या सीडब्ल्यूसी ने गूगल के साथ एक समझौता किया है|
बाढ़ का पूर्वानुमान बाढ़ के परिमाण समय और अवधि का पता लगाने के उद्देश्य से किया जाता है ताकि मानव जीवन संपत्ति और पर्यावरण को संभावित नुकसान से बचाया जा सके| भारत में बाढ़ का पूर्वानुमान केंद्रीय जल आयोग द्वारा किया जाता है बाढ़ का पूर्वानुमान डाटा प्रवाह मानचित्र द्वारा दिखाया जाता है|
हरे रंग के निशान से महत्वपूर्ण कस्बों शहरों को चिन्हित किया जाता है और नीले रंग से बांध जलाशय और बेरेज़ को चिन्हित किया जाता है| पीला रंग चेतावनी की ओर इशारा करता है उसका मतलब होता है कि नदी सामान्य स्तर से ऊपर की ओर बह रही है| नारंगी रंग नदी गंभीर बाढ़ की स्थिति में बह रही नदी को दर्शाता है लाल रंग में दर्शाया जाता है तो उसका अर्थ यह होता है कि नदी का पानी अत्यधिक उच्च धाराओं में बह रहा है|
भारत सरकार बाढ़ के कारण होने वाले नुकसानों को कम करने के लिए कई प्रयास कर रही है| सीडब्ल्यूसी के साथ Google के संयुक्त उद्यम से मौजूदा बाल पूर्वानुमान तंत्र में सुधार की उम्मीद है| इसकी मदद से समय के साथ स्थान लक्षित और सटीक बाढ चेतावनी सूचना मुहैया कराई जा सकती है| ताकि बाढ़संभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बाढ़ आने से पहले ही आसानी से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके |
गूगल कृत्रिम बुद्धिमत्ता, यांत्रिक शिक्षा और भू-स्थानिक मैपिंग के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्रदान करेगा जबकि केन्द्रीय जल आयोग हाइड्रोलिक अवलोकन डेटा का विश्लेषण मुहैया कराएगा। इस प्रक्रिया से गूगल की कम्प्यूटेशनल पावर और गूगल के उपग्रह द्वारा प्राप्त भौगोलिक डेटा का इस्तेमाल बाढ़ की सूचना देने के लिए किया जाएगा।
बाढ़ के स्तर के अनुमान की सूचनाओं को केन्द्रीय जल आयोग, गूगल के उपग्रह के सहयोग से मानचित्रों द्वारा भेज सकेगा।
केन्द्रीय जल आयोग, गूगल के सहभागिता से जोखिम आधारित बाढ़ मानचित्र द्वारा बाढ़ की सटिक जानकारी दे सकेगा। इसकी मदद से जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर लोगों की जान बचाने के साथ-साथ वहां से निकासी की योजना बनाने में भी मदद मिलेगी। प्रशासनिक अधिकारियों को बाढ़ के फैलाव और बाढ़ की अवधि की विस्तृत जानकारी मिलेगी| जिससे उन्हें जोखिम आधारित योजना बनाने और कम समय में इसे लागू करने का समय मिल सकेगा। आम जनता को बाद के जोखिम की जानकारी का प्रसार, फोन पर अधिसूचनाओं और चेतावनी जरिए दिया जा सकेगा।- CWC
Sita Ram Mandal
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