दुनिया में से कम ही ऐसे लोग पैदा होते हैं जिनका जीवन अपने आप में एक दर्शन हो जाता है वह दुनिया में आते हैं दुनिया से चले जाते हैं और उनका प्रभाव हमेशा बना रहता है|ऐसे ही एक शक्स है नेल्सन मंडेला, उनकी जयंती पर दुनिया उन्हें याद कर रही है| नस्लवाद के दिनों में जब भी कोई अफ्रीकी मूल का अश्वेत बच्चा स्कूल जाता था तो उसे पहले ही दिन एक नया क्रिश्चियन नाम दिया जाता था| और वह आगे उसी नाम से पुकारा जाता था|ऐसे ही माहौल में जब एक दिन एक अश्वेत बच्चा पहली बार स्कूल गया तो टीचर ने कहा कि आज से तुम्हारा नाम नेल्सन होगा और आज दुनिया उसे नेल्सन मंडेला के नाम से जानती है| मंडला से पहले उनके परिवार में किसी ने स्कूली शिक्षा तक नहीं ली थी|
In This Post We Will Read About Nelson Mandela Biography In Hindi With Previous Year Question & Quiz!
Nelson Mandela Biography In Hindi
जन्म | 18 जुलाई 1918 (मेवेज़ो, केप प्रांत, दक्षिण अफ्रीका) |
मृत्यु | 5 दिसंबर 2013 की मृत्यु हो गई (आयु 95) जोहान्सबर्ग, गौतेंग, दक्षिण अफ्रीका |
पूरा नाम | रोलीहलाहला मंडेला |
मां का नाम | नोसेकेनी फैनी |
पिता का नाम | गडला हेनरी |
व्यवसाय | कार्यकर्ता, राजनेता, दार्शनिक, वकील |
पुरस्कार | सखारोव पुरस्कार (1988) भारत रत्न (1990),निशन-ए-पाकिस्तान (1992),नोबेल शांति पुरस्कार (1993) |
उपनाम | मदिबा, दलिबुंगा |
नेल्सन मंडेला की जीवनी
- स्कूली शिक्षा क्लार्कबरी बोर्डिंग स्कूल से
- वेसल्यिन सेकेंड्री स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई
- स्नातक के लिए फोर्ट हरे कॉलेज में दाखिला
- अश्वेतों के पढ़ाई के लिए फोर्ट हरे कॉलेज एकमात्र केंद्र
- रंगभेद के खिलाफ आंदोलन करने के कारण कॉलेज से निकाले गए
- शादी नहीं करने के लिए घर से भाग गए
- चौकीदार से लेकर क्लर्क तक की नौकरी की
- पत्राचार से स्नातक की डिग्री
- कानून की पढ़ाई के लिए विटवाटसरेंड विश्वविद्यालय में दाखिला
- 1944 में इलविन मेस से शादी
नेल्सन मंडेला से संबंधित प्रश्न जो हाल के वर्षो में पूछे गये हैं | उत्तर |
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‘लाँग वाक टू फ्रीडम’ पुस्तक क़ा लेखक कौन है ? | नेल्सन मंडेला |
दक्षिण अफ्रीका के प्रथम राष्ट्रपति अश्वेत और रंगभेद विरोधी आइकॉन नेल्सन मंडेला की मृत्यु कब हुई ? | 5 दिसम्बर, 2013 |
किस रंगभेद विरोधी कार्यकर्ता को दक्षिण अफ्रीका द्वारा 1962 ई० में 27 वर्षों के लिए कारावास में रखा गया था ? | नेल्सन मंडेला |
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Quiz On Nelson Mandela For SSC UPSC Bank Examination
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महात्मा गांधी की विरासत को आधुनिक युग में अगर किसी शख्स ने आगे बढ़ाया तो वह थे नेल्सन मंडेला, दुनिया के लिए अश्वेतों का गांधी दुनिया ,उनकी जयंती के मौके पर दुनिया भर में उन्हें याद किया गया| भारत के लिए उनकी बेहद खास अहमियत है वह भारत रत्न और कई दूसरे सम्मानों से नवाजे गए हैं इसलिए भारत में उन्हें खास तौर पर याद किया गया|
नेल्सन मंडेला रंगभेद के खिलाफ़ संघर्ष
- गिरफ्तारी से बचने के लिए छद्म नाम डेविड मोत्स्यामाई रखा|
- सत्रह महीना देश से बाहर रहे।
- 1962 में दिक्षण अफ्रीका लौटने पर गिरफ्तार|
- कामगारों को हड़ताल करने के लिए उकसाने और बीना पासपोर्ट देश से बाहर जाने का आरोप रोविनिया ट्रायल के नाम से मुकदमा चला|
- पांच साल की सजा|
- 1963 मे मंडेला पर राजनीतिक षडयंत्र और राजद्रोह का एक और मुकदमा|
- 27 साल की सजा सुनाई गई|
- पत्नी और बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने दिया गया|
- 27 साल में से 18 साल रॉबेन आईलैंड पर विताए|
नेल्सन मंडेला अपने जीवन से आम लोगों के साथ ही दुनिया की कई बड़ी हस्तियों को भी प्रभावित किया| पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी उन में से एक है| दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में सालाना नेल्सन मंडेला लेक्चर में बराक ओबामा ने नेल्सन मंडेला को अपने जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा बताया| अपने संबोधन में उन्होंने महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग को भी याद किया|
ऐसा नहीं था कि नेल्सन मंडेला शुरू से ही गांधी के रास्ते पर चलना शुरू कर दिया था| रंगभेद के खिलाफ उन्होंने हथियार भी उठाए लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हो गया कि हिंसा से हिंसा का ही जन्म होता है| एक ऐसी ही हिंसा की अगुवाई करते समय उन्हें गिरफ्तार किया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई|
जेल में वह गांधी के दर्शन से रूबरू हुए और धीरे-धीरे एक नए नेल्सन मंडेला ने जन्म लिया| पूरी दुनिया को अपने संघर्षों और सिद्धांतों से प्रेरणा देने वाले नेल्सन मंडेला ने 5 दिसंबर 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया|
नस्लभेद के खिलाफ नेल्सन मंडेला की लड़ाई को आज भी दुनिया याद करती है और एक प्रेरणा के तौर पर हमेशा उसे याद भी किया जाता रहेगा| रंगभेद के खिलाफ उनकी लड़ाई की कहानी दरअसल क्या है?
उन दिनों दक्षिण अफ्रीका में नक्सलवाद और रंगभेद अपने चरम पर था| जब भी कोई अश्वेत बच्चा स्कूल जाता तो उसे याद दिलाया जाता है कि उसका रंग काला है और अगर वह सीना तान कर चलेगा तो उसे जेल तक जाना पड़ सकता है ऐसे ही परिवेश में नेल्सन मंडेला का बचपन बीता|
16 साल के किशोर उम्र में मंडेला ने देखा कि उनके अपने ही देश में अपने ही लोग गुलामों की तरह जीवन जी रहे हैं| और दक्षिण अफ्रीका के निवासी गोरो के बनाए कानूनों का पालन करने को मजबूर है| काले और गोरे रंग के आधार पर उनके बीच भेद भाव किया जाता है|
यह बातें उनके दिलो-दिमाग पर इस कदर बैठ गई की युवावस्था में ही उन्होंने यह ठान लिया कि दक्षिण अफ्रीका के लोगों को इस जुल्म और सितम से मुक्ति दिलाएंगे और एक स्वतंत्र और नस्लभेद मुक्त राष्ट्र बनाएंगे|
कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने रंगभेद के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया और 1942 के बाद तो नेल्सन मंडेला ने नक्सलवाद और रंगभेद के खिलाफ आंदोलन में खुलकर भाग लेना शुरू कर दिया|
नेल्सन मंडेला 1942 में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस का सदस्य बने| 1944 में उन्होंने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के भीतर ही युवाओं के लिए एक अलग संगठन अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई यूथ लीग की मांग थी|
अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की मांग
- अश्वेतों के साथ हो रहा नस्लभेद तुरंत समाप्त हो|
- निष्पक्ष और लोकतांत्रिक सरकार का गठन|
- अश्वेतों के लिए कानून अश्वेत लोग हीं बनाएंगे।
- पूर्ण नागरिकता|
- जमीन का दोबारा से बंटवारा|
- कांग्रेस यूथ लीग की मांग|
- ट्रेड यूनियनों के अधिकार|
- बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा|
नेल्सन मंडेला के दबाव में आकर 1956 में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने स्वतंत्रता का चार्टर स्वीकार कर लिया| लेकिन सरकार ने मंडेला और उनके साथियों पर देशद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया|
इस अपराध की सजा मृत्युदंड थी|इन सभी नेताओं पर मुकदमा चलाया गया और 1961 में नेशनल और 29 साथियों को निर्दोष घोषित करते हुए रिहा कर दिया गया यह मुकदमा ट्रेजन ट्रायल के नाम से मशहूर है|
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